लखनऊ
:-
गोमती नगर स्थित लोहिया संस्थान में मरीजों को कम बेड होने और असुविधाओं के चलते कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस संस्थान में 350 बेड हैं हालांकि सभी बेड फुल हो चुके हैं। 14 बेड की क्षमता वाला इमरजेंसी वार्ड भी फुल हो चुका है। ऐसे में मरीजो को वार्ड के बाहर खुले मे ही स्ट्रेचर पर या जमीन पर पड़े रहकर इलाज करवाना पड़ रहा है। सभी को बेड का इंतजार है, ज़ोर सिफ़ारिशे भी काम नही आ रही है। इससे संस्थान द्वारा किए गए दावे केवल एक औपचारिकता नजर आ रहे है।
बुरी हालत में मरीज
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- यूरिड मीडिया ग्रुप के रिपोर्टर ने जब मरीज से अस्पताल की हालत के बारे में पूछा तो गोंडा से आए सुभाष सिंह नें बताया कि बेड न मिलने के कारण उन्हें अपने पिता जी का इलाज वार्ड के बाहर स्ट्रेचर पर ही कराना पड़ रहा है, और उनको किसी भी प्रकार की तवज्जो नहीं दी जा रही है।
- दूसरे मरीज से पूछे जाने पर उसने बताया कि वो 4 दिन से अस्पताल के चक्कर लगा रहा है, लेकिन डॉक्टर उसे भर्ती करने के नाम पर बार बार टरका रहे है।
- कई मरीजों का यह भी कहना है कि सरकार उनको मार रही है, ऐसी ज़िंदगी से अच्छा है कि उन्हें मौत आजाए।
इन वार्डों में नहीं है जगह
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- 14 बेड की इमरजेंसी से लेकर वार्ड तक में बेड खाली नहीं।
- यूरो सर्जरी, कॉर्डिओलॉजी, न्यूरो सर्जरी, न्यूरो मेडिसिन, गेस्ट्रो सर्जरी समेत सभी विभाग पूरी तरह से फुल हैं।
- इंडोस्कोपी जांच भी सिर्फ हफ्ते में 2 दिन ही संभव हो पाती है।
डायरेक्टर दीपक मालवीय नें कहा
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- लोहिया संस्थान के डाइरेक्टर डॉ. दीपक मालवीय से बात-चीत के दौरान उन्होंने कहा कि मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, इसी वजह से मरीजों को बेड नहीं मिल प रहे हैं।
- दीपक मालवीय के अनुसार लोहिया संस्थान में एक नई बिल्डिंग का निर्माण कार्य जारी है।
- इस नई बिल्डिंग में लगभग 450 बेडों की सुविधा उपलब्ध होगी।
- इसके साथ ही इमरजेंसी वार्ड के बेडों की संख्या में भी बढ़ोतरी की जाएगी।
- डाइरेक्टर मालवीय नें यह भी बताया कि संस्थान में जल्द ही मातृ शिशु वार्ड भी उपलब्ध होगा, जिसकी बात चीफ सेक्रेटरी से चल रही है।
लखनऊ
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गोमती नगर स्थित लोहिया संस्थान में मरीजों को कम बेड होने और असुविधाओं के चलते कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस संस्थान में 350 बेड हैं हालांकि सभी बेड फुल हो चुके हैं। 14 बेड की क्षमता वाला इमरजेंसी वार्ड भी फुल हो चुका है। ऐसे में मरीजो को वार्ड के बाहर खुले मे ही स्ट्रेचर पर या जमीन पर पड़े रहकर इलाज करवाना पड़ रहा है। सभी को बेड का इंतजार है, ज़ोर सिफ़ारिशे भी काम नही आ रही है। इससे संस्थान द्वारा किए गए दावे केवल एक औपचारिकता नजर आ रहे है।
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गोमती नगर स्थित लोहिया संस्थान में मरीजों को कम बेड होने और असुविधाओं के चलते कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस संस्थान में 350 बेड हैं हालांकि सभी बेड फुल हो चुके हैं। 14 बेड की क्षमता वाला इमरजेंसी वार्ड भी फुल हो चुका है। ऐसे में मरीजो को वार्ड के बाहर खुले मे ही स्ट्रेचर पर या जमीन पर पड़े रहकर इलाज करवाना पड़ रहा है। सभी को बेड का इंतजार है, ज़ोर सिफ़ारिशे भी काम नही आ रही है। इससे संस्थान द्वारा किए गए दावे केवल एक औपचारिकता नजर आ रहे है।
बुरी हालत में मरीज
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- यूरिड मीडिया ग्रुप के रिपोर्टर ने जब मरीज से अस्पताल की हालत के बारे में पूछा तो गोंडा से आए सुभाष सिंह नें बताया कि बेड न मिलने के कारण उन्हें अपने पिता जी का इलाज वार्ड के बाहर स्ट्रेचर पर ही कराना पड़ रहा है, और उनको किसी भी प्रकार की तवज्जो नहीं दी जा रही है।
- दूसरे मरीज से पूछे जाने पर उसने बताया कि वो 4 दिन से अस्पताल के चक्कर लगा रहा है, लेकिन डॉक्टर उसे भर्ती करने के नाम पर बार बार टरका रहे है।
- कई मरीजों का यह भी कहना है कि सरकार उनको मार रही है, ऐसी ज़िंदगी से अच्छा है कि उन्हें मौत आजाए।
इन वार्डों में नहीं है जगह
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- 14 बेड की इमरजेंसी से लेकर वार्ड तक में बेड खाली नहीं।
- यूरो सर्जरी, कॉर्डिओलॉजी, न्यूरो सर्जरी, न्यूरो मेडिसिन, गेस्ट्रो सर्जरी समेत सभी विभाग पूरी तरह से फुल हैं।
- इंडोस्कोपी जांच भी सिर्फ हफ्ते में 2 दिन ही संभव हो पाती है।
डायरेक्टर दीपक मालवीय नें कहा
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- लोहिया संस्थान के डाइरेक्टर डॉ. दीपक मालवीय से बात-चीत के दौरान उन्होंने कहा कि मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, इसी वजह से मरीजों को बेड नहीं मिल प रहे हैं।
- दीपक मालवीय के अनुसार लोहिया संस्थान में एक नई बिल्डिंग का निर्माण कार्य जारी है।
- इस नई बिल्डिंग में लगभग 450 बेडों की सुविधा उपलब्ध होगी।
- इसके साथ ही इमरजेंसी वार्ड के बेडों की संख्या में भी बढ़ोतरी की जाएगी।
- डाइरेक्टर मालवीय नें यह भी बताया कि संस्थान में जल्द ही मातृ शिशु वार्ड भी उपलब्ध होगा, जिसकी बात चीफ सेक्रेटरी से चल रही है।
28th July, 2016