लखनऊ
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राजधानी लखनऊ में मेट्रो निर्माण कार्य के चलते गोमतीनगर से चारबाग तक जानें वाली सिटी बसे अब सिर्फ हजरतगंज तक ही जा रही जिस वजह से इन बसों के रुट की दुरी में तो कमी हुई है पर इनका किराया कम नही किया गया है। रूट डायवर्जन की वजह से लोकल बसें अलग अलग रूट से होकर आती जाती है। और ये सिर्फ एक रुट पर नही बल्कि कई रूटों पर हो रहा है। इन सबके बीच खास बात ये है की इन बसों में सफर करना भी खतरे से खाली नही है। शहर की कई बसों में न डिपर है, न इंडिकेटर है और इसके साथ ही चालक की न तो ड्राईविंग स्थिति की जांच होती है न ही उसके स्वास्थ्य की। ऐसे में कभी भी कोई भी गंभीर घटना हो सकती है। इन सब बातों से साफ है की महानगर परिवहन के नियमों का खुला उल्लंघन कर रहा है। महानगर परिवहन सेवा के अधिकारी इस बात पर चुप्पी साधे बैठे है। परिवहन विभाग के आदेश के बावजूद न तो बस वाले नियम का पालन कर रहे हैं और न ही महानगर परिवहन अधिकारी इन नियमों को पालन करवा पा रहे हैं।
मनमाना किराया
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- डायवर्जन से पहले गोमती नगर से चारबाग तक का किराया 25 रुपए होता था।
- डायवर्जन के बाद बसें अब हजरतगंज तक ही जाती है, लेकिन किराया अभी भी 25 रुपए से 30 रूपए तक वसूला जा रहा है।
- चारबाग से हज़रतगंज तक का किराया 10 रुपए किराया होता था।
- डायवर्जन के बाद अब किराया 15 रुपए तक वसूला जा रहा है।
- रूटों पर 5 से 10 रुपए अतिरिक्त वसूले जा रहे है।
बसें की हालत खस्ता
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- अधिकांश बसों में फस्टेड तथा अग्निशमन के उपकरण उपलब्ध नही है।
- कुछ बसों में न डबल गेट है, न ही इमरजेंसी गेट काम करता है।
- चालक की न तो ड्राईविंग स्थिति की जांच होती है न तो स्वस्थ्य की।
- बसों में न डिपर है और इंडिकेटर भी काम नही करता है।
सिटि बस एमडी ए रहमान ने बताया
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एमडी ए रहमान से जब यूरिड मीडिया के रिपोर्टर ने पूछा की किराया मनमाने तरीके से वसूला जा रहा है उन्होने बताया की उन्हे ऐसी कोई भी शिकायत नही मिली है। अगर ऐसा है तो इस पर कार्यवाही की जाएगी। साथ ही बसों की हालत पर उन्होने टरकाते हुए कहा की वो जब दौरे पर निकलते है तो उन्हे तो सारी बसें फिट मिलती है।
यह बात तो यात्री और महानगर परिवहन अधिकारी अच्छी तरह से जानते है की बसों की क्या हालत है, और वह लखनऊ वासियों को कैसी सुविधा प्रदान कर रहे है।
लखनऊ
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राजधानी लखनऊ में मेट्रो निर्माण कार्य के चलते गोमतीनगर से चारबाग तक जानें वाली सिटी बसे अब सिर्फ हजरतगंज तक ही जा रही जिस वजह से इन बसों के रुट की दुरी में तो कमी हुई है पर इनका किराया कम नही किया गया है। रूट डायवर्जन की वजह से लोकल बसें अलग अलग रूट से होकर आती जाती है। और ये सिर्फ एक रुट पर नही बल्कि कई रूटों पर हो रहा है। इन सबके बीच खास बात ये है की इन बसों में सफर करना भी खतरे से खाली नही है। शहर की कई बसों में न डिपर है, न इंडिकेटर है और इसके साथ ही चालक की न तो ड्राईविंग स्थिति की जांच होती है न ही उसके स्वास्थ्य की। ऐसे में कभी भी कोई भी गंभीर घटना हो सकती है। इन सब बातों से साफ है की महानगर परिवहन के नियमों का खुला उल्लंघन कर रहा है। महानगर परिवहन सेवा के अधिकारी इस बात पर चुप्पी साधे बैठे है। परिवहन विभाग के आदेश के बावजूद न तो बस वाले नियम का पालन कर रहे हैं और न ही महानगर परिवहन अधिकारी इन नियमों को पालन करवा पा रहे हैं।
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राजधानी लखनऊ में मेट्रो निर्माण कार्य के चलते गोमतीनगर से चारबाग तक जानें वाली सिटी बसे अब सिर्फ हजरतगंज तक ही जा रही जिस वजह से इन बसों के रुट की दुरी में तो कमी हुई है पर इनका किराया कम नही किया गया है। रूट डायवर्जन की वजह से लोकल बसें अलग अलग रूट से होकर आती जाती है। और ये सिर्फ एक रुट पर नही बल्कि कई रूटों पर हो रहा है। इन सबके बीच खास बात ये है की इन बसों में सफर करना भी खतरे से खाली नही है। शहर की कई बसों में न डिपर है, न इंडिकेटर है और इसके साथ ही चालक की न तो ड्राईविंग स्थिति की जांच होती है न ही उसके स्वास्थ्य की। ऐसे में कभी भी कोई भी गंभीर घटना हो सकती है। इन सब बातों से साफ है की महानगर परिवहन के नियमों का खुला उल्लंघन कर रहा है। महानगर परिवहन सेवा के अधिकारी इस बात पर चुप्पी साधे बैठे है। परिवहन विभाग के आदेश के बावजूद न तो बस वाले नियम का पालन कर रहे हैं और न ही महानगर परिवहन अधिकारी इन नियमों को पालन करवा पा रहे हैं।
मनमाना किराया
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- डायवर्जन से पहले गोमती नगर से चारबाग तक का किराया 25 रुपए होता था।
- डायवर्जन के बाद बसें अब हजरतगंज तक ही जाती है, लेकिन किराया अभी भी 25 रुपए से 30 रूपए तक वसूला जा रहा है।
- चारबाग से हज़रतगंज तक का किराया 10 रुपए किराया होता था।
- डायवर्जन के बाद अब किराया 15 रुपए तक वसूला जा रहा है।
- रूटों पर 5 से 10 रुपए अतिरिक्त वसूले जा रहे है।
बसें की हालत खस्ता
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- अधिकांश बसों में फस्टेड तथा अग्निशमन के उपकरण उपलब्ध नही है।
- कुछ बसों में न डबल गेट है, न ही इमरजेंसी गेट काम करता है।
- चालक की न तो ड्राईविंग स्थिति की जांच होती है न तो स्वस्थ्य की।
- बसों में न डिपर है और इंडिकेटर भी काम नही करता है।
सिटि बस एमडी ए रहमान ने बताया
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एमडी ए रहमान से जब यूरिड मीडिया के रिपोर्टर ने पूछा की किराया मनमाने तरीके से वसूला जा रहा है उन्होने बताया की उन्हे ऐसी कोई भी शिकायत नही मिली है। अगर ऐसा है तो इस पर कार्यवाही की जाएगी। साथ ही बसों की हालत पर उन्होने टरकाते हुए कहा की वो जब दौरे पर निकलते है तो उन्हे तो सारी बसें फिट मिलती है।
यह बात तो यात्री और महानगर परिवहन अधिकारी अच्छी तरह से जानते है की बसों की क्या हालत है, और वह लखनऊ वासियों को कैसी सुविधा प्रदान कर रहे है।
30th July, 2016