नई दिल्ली
:-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को हुए टाउनहॉल के कार्यक्रम में जनता से सीधे बात की। पीएम मोदी गौरक्षा को लेकर काफी सख्त दिखे। गायों की रक्षा के नाम पर बेकसूर लोगों के साथ बर्बर सलूक के कई मामले सामने आने के बीच पीएम मोदी ने कड़े शब्दों में कहा कि कुछ लोग गौरक्षा के नाम पर अपनी दुकानें खोल बैठे हैं। ये वैसे लोग हैं जो अपने काले कारनामे छिपाने के लिए ऐसा करते हैं। उन्होंने राज्य सरकारों से कहा की गाय रक्षकों पर दस्तावेज तैयार करें क्योंकि उनमें से 80 फीसदी रात में अवैध गतिविधियां करते हैं और दिन में गाय हिमायती बन जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह का सहायता समूह चलाने का यह मतलब नहीं है कि दूसरों का उत्पीड़न किया जाए। अपनी सरकार की ‘माई गवर्नमेंट’पहल की दूसरी वषर्गांठ के अवसर पर टाउन हॉल स्टाइल संबोधन में मोदी ने गाय की हिमायत करने वालों पर यह तीखी टिप्पणी की। टाउनहॉल में पीएम मोदी ने लोगों के सवालों के जवाब दिए। इससे पहले उन्होंने पीएमओ ऐप भी लॉन्च किया। इस ऐप के जरिए लोग सीधे पीएमओ से जुड़ सकते हैं।
टाउनहॉल में पीएम मोदी ने कहा
--
- गौरक्षा के नाम पर कुछ लोग अपनी दुकानें खोल बैठे हैं, मुझे बहुत गुस्सा आता है।
- कुछ लोग जो असमाजिक कामों में लिप्त रहते हैं, वे गौरक्षक का चोला पहन लेते हैं, राज्य सरकारें ऐसे लोगों का डॉजियर तैयार करें।
- अधिकतर गायें कत्ल नहीं की जातीं, पॉलीथिन खाने से मरती हैं ।
- ऐसे समाजसेवक प्लास्टिक फेंकना बंद करा दें, गाय की रक्षा होगी।
- लोकतंत्र का सरल अर्थ केवल एक बार वोट देना नहीं,लोकतंत्र का अर्थ 5 साल का ठेका हो गया है। एक बार वोट देना और 5 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट देना लोकतंत्र नहीं. - लोकतंत्र इस तरह पनप नहीं सकता।
- जनता की भागीदारी तकनीक की वजह से संभव।
- राजनीति में चुनाव जीतने के बाद सराकर का ध्यान अगले चुनाव की ओर लग जाता है और उसकी योजनाएं उसी के आधार पर बनती हैं कि अपना जनाधार कैसे बढ़ाया जाए. इस उद्देश्य से कारवां बीच में रुक जाता है।
- नीतियों, फैसलों के अलावा लास्ट माइल डिलिवरी का भी उतना ही महत्व है।
- पैसा खर्च कर अस्पताल बना, लेकिन अगर मरीज को फायदा ना मिले तो उसका होना बेकार है।
- विकास और गुड गवर्नेंस का संतुलन जरूरी।
- कभी कभी समस्या की जड़ में सरकार होती है।
सरकार से हिसाब मांगना ठीक नही--
- सरकार से बार बार हिसाब मांगना पड़े, ये ठीक नहीं है।
- आम लोगों को आसानी से जानकारी हासिल हो, यही हमारा लक्ष्य है।
- हमने कई प्रक्रियाओं को आसान और छोटा किया, हमने किसानों के लिए ई-मंडी शुरू कि ताकि वो खुद तय करे कि उसे अपनी फसल कहां बेचनी है।
- पीने का शुद्ध पानी मिले तो आधी बीमारियां ठीक हो जाएंगी, मेरा स्वच्छता मिशन इसी ओर एक कदम है. अफोर्डेबल हेल्थकेयर भी बहुत जरूरी है।
- टीकाकरण के लिए खरबों के विज्ञापन दिए जाते हैं, फिर भी लाखों का टीकाकरण नहीं होता. सरकारी सुविधा होने के बावजूद बच्चों ने लाभ नहीं लिया।
- परंपरागत खेती को तरीकों को तुरंत छोड़ना होगा. ऐसा न सोचें कि हमारा कृषि क्षेत्र गया-बीता है. कृषि जगत के लोगों को अधुनिक कृषि से जोड़ना होगा।
- हमारी कोशिश है कि किसान को उसकी जमीन का हेल्थ कार्ड मिले, सस्ते में बीज लेने के लोभ में फंस जाता है किसान, अनाप-शनाप कीटनाशकों का प्रयोग खतरनाक।
क्लिक करे
-- JDU के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने कांवड़ यात्रा को बताया बेकारी बेरोजगारी की भीड़।
:-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को हुए टाउनहॉल के कार्यक्रम में जनता से सीधे बात की। पीएम मोदी गौरक्षा को लेकर काफी सख्त दिखे। गायों की रक्षा के नाम पर बेकसूर लोगों के साथ बर्बर सलूक के कई मामले सामने आने के बीच पीएम मोदी ने कड़े शब्दों में कहा कि कुछ लोग गौरक्षा के नाम पर अपनी दुकानें खोल बैठे हैं। ये वैसे लोग हैं जो अपने काले कारनामे छिपाने के लिए ऐसा करते हैं। उन्होंने राज्य सरकारों से कहा की गाय रक्षकों पर दस्तावेज तैयार करें क्योंकि उनमें से 80 फीसदी रात में अवैध गतिविधियां करते हैं और दिन में गाय हिमायती बन जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह का सहायता समूह चलाने का यह मतलब नहीं है कि दूसरों का उत्पीड़न किया जाए। अपनी सरकार की ‘माई गवर्नमेंट’पहल की दूसरी वषर्गांठ के अवसर पर टाउन हॉल स्टाइल संबोधन में मोदी ने गाय की हिमायत करने वालों पर यह तीखी टिप्पणी की। टाउनहॉल में पीएम मोदी ने लोगों के सवालों के जवाब दिए। इससे पहले उन्होंने पीएमओ ऐप भी लॉन्च किया। इस ऐप के जरिए लोग सीधे पीएमओ से जुड़ सकते हैं।
--
- गौरक्षा के नाम पर कुछ लोग अपनी दुकानें खोल बैठे हैं, मुझे बहुत गुस्सा आता है।
- कुछ लोग जो असमाजिक कामों में लिप्त रहते हैं, वे गौरक्षक का चोला पहन लेते हैं, राज्य सरकारें ऐसे लोगों का डॉजियर तैयार करें।
- अधिकतर गायें कत्ल नहीं की जातीं, पॉलीथिन खाने से मरती हैं ।
- ऐसे समाजसेवक प्लास्टिक फेंकना बंद करा दें, गाय की रक्षा होगी।
- लोकतंत्र का सरल अर्थ केवल एक बार वोट देना नहीं,लोकतंत्र का अर्थ 5 साल का ठेका हो गया है। एक बार वोट देना और 5 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट देना लोकतंत्र नहीं. - लोकतंत्र इस तरह पनप नहीं सकता।
- जनता की भागीदारी तकनीक की वजह से संभव।
- राजनीति में चुनाव जीतने के बाद सराकर का ध्यान अगले चुनाव की ओर लग जाता है और उसकी योजनाएं उसी के आधार पर बनती हैं कि अपना जनाधार कैसे बढ़ाया जाए. इस उद्देश्य से कारवां बीच में रुक जाता है।
- नीतियों, फैसलों के अलावा लास्ट माइल डिलिवरी का भी उतना ही महत्व है।
- पैसा खर्च कर अस्पताल बना, लेकिन अगर मरीज को फायदा ना मिले तो उसका होना बेकार है।
- विकास और गुड गवर्नेंस का संतुलन जरूरी।
- कभी कभी समस्या की जड़ में सरकार होती है।
सरकार से हिसाब मांगना ठीक नही--
- सरकार से बार बार हिसाब मांगना पड़े, ये ठीक नहीं है।
- आम लोगों को आसानी से जानकारी हासिल हो, यही हमारा लक्ष्य है।
- हमने कई प्रक्रियाओं को आसान और छोटा किया, हमने किसानों के लिए ई-मंडी शुरू कि ताकि वो खुद तय करे कि उसे अपनी फसल कहां बेचनी है।
- पीने का शुद्ध पानी मिले तो आधी बीमारियां ठीक हो जाएंगी, मेरा स्वच्छता मिशन इसी ओर एक कदम है. अफोर्डेबल हेल्थकेयर भी बहुत जरूरी है।
- टीकाकरण के लिए खरबों के विज्ञापन दिए जाते हैं, फिर भी लाखों का टीकाकरण नहीं होता. सरकारी सुविधा होने के बावजूद बच्चों ने लाभ नहीं लिया।
- परंपरागत खेती को तरीकों को तुरंत छोड़ना होगा. ऐसा न सोचें कि हमारा कृषि क्षेत्र गया-बीता है. कृषि जगत के लोगों को अधुनिक कृषि से जोड़ना होगा।
- हमारी कोशिश है कि किसान को उसकी जमीन का हेल्थ कार्ड मिले, सस्ते में बीज लेने के लोभ में फंस जाता है किसान, अनाप-शनाप कीटनाशकों का प्रयोग खतरनाक।
क्लिक करे
-- JDU के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने कांवड़ यात्रा को बताया बेकारी बेरोजगारी की भीड़।
7th August, 2016