लखनऊ:-
यूपी के बुलंदशहर के NH-91 पर हुए गैंगरेप कांड का मुख्य आरोपी मंगलवार को पुलिस की गिरफ्त में आ गया। जिसके बाद मंगलवार को मुख्य तीन आरोपियों को पुलिस ने मीडिया के सामने पेश किया। जिसमें पुलिस ने सलीम और रईस उर्फ रईसुल को मुख्य आरोपी बताया है लेकिन वहां एक और नया बवाल तब खड़ा हो गया जब आईजी मेरठ ने पीड़ित का नाम सभी के सामने उजागर कर दिया। पहले सलीम को बावरिया बताने वाली पुलिस अब कह रही है कि वे छैमार हैं। डीजीपी जावीद अहमद भी आरोपितों के नाम बताने में गलती कर चुके हैं। एसएसपी बुलंदशहर अनीस अंसारी का कहना है, कि अपराधियों के नाम की तस्दीक नहीं हो पाई थी। अब उनके नाम कुछ और निकले। वहीं छैमार को उन्होंने बावरिया की एक उपजाति बताया है।
यूपी के बुलंदशहर के NH-91 पर हुए गैंगरेप कांड का मुख्य आरोपी मंगलवार को पुलिस की गिरफ्त में आ गया। जिसके बाद मंगलवार को मुख्य तीन आरोपियों को पुलिस ने मीडिया के सामने पेश किया। जिसमें पुलिस ने सलीम और रईस उर्फ रईसुल को मुख्य आरोपी बताया है लेकिन वहां एक और नया बवाल तब खड़ा हो गया जब आईजी मेरठ ने पीड़ित का नाम सभी के सामने उजागर कर दिया। पहले सलीम को बावरिया बताने वाली पुलिस अब कह रही है कि वे छैमार हैं। डीजीपी जावीद अहमद भी आरोपितों के नाम बताने में गलती कर चुके हैं। एसएसपी बुलंदशहर अनीस अंसारी का कहना है, कि अपराधियों के नाम की तस्दीक नहीं हो पाई थी। अब उनके नाम कुछ और निकले। वहीं छैमार को उन्होंने बावरिया की एक उपजाति बताया है।
धर्म और जाति को लेकर राजनीति-
- सलीम सोमवार को गिरफ्तार हुआ तो उसे सहारनपुर के गंगोह का बताया गया।
- प्रेस नोट में उसे कन्नौज का बताया गया।
- सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने जिन छह आरोपितों को जेल भेजा है उनमें से दो के वारदात में शामिल होने पर संदेह है।
- हाई कोर्ट के स्वत: संज्ञान लेने के बाद अफसर हड़बड़ाए और खुलासे में घुमंतू जातियों का एक गैंग बना दिया है।
- चर्चा है कि अपराधियों के धर्म और जाति को लेकर राजनीति न होने लगे और उससे वोट बैंक पर असर पड़े इसलिए पुलिस अफसरों के बीच आरोपितों के नाम को लेकर विरोधाभास हो रहा है।
कौन होते है बावरिया-
- ये मूलत: राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले होते हैं।
- यूपी में ये लखीमपुर, एटा, मथुरा में फैले हुए हैं।
- ये रेलवे स्टेशन के पास परिवार और बच्चों समेत यात्री के रूप में रुकते हैं। ये लाठी डंडो से अटैक करते हैं।
10th August, 2016