यूरिड मीडिया डेस्क:- आए दिन हम बच्चों के साथ हो  रहे अपराधों को सुनते और देखते आ रहे है जो हमरे देश को जझोर कर रख देती है। जिसके बाद सरकार बच्चों के साथ हो रहे संगीन अपराधों को देखते हुए सरकार ने वर्ष 2012 में एक विशेष कानून बनाया था, जो बच्चों को छेड़खानी, बलात्कार और कुकर्म जैसे मामलों से सुरक्षा प्रदान करता है। इस कानून का नाम है ,पास्को एक्ट। जाने किन धाराओं के तहत दर्ज होता है केस..... 
  
  
क्या होता है पास्को एक्ट 
  
और
  
 सजा-
  
  
- पास्को शब्द अंग्रेजी शब्द से आता है।  
  
 
- इसका पूर्णकालिक मतलब होता है प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फार्म सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 यानी लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012। 
  
 
- इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है।  
  
 
- यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है। 
  
 
- वर्ष 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है।
  
 
ये लगती हैं धाराएँ-
  
- इस अधिनियम की धारा 4 के तहत वो मामले शामिल किए जाते हैं जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किया गया हो। 
  
 
- इसमें सात साल की सजा से लेकर उम्रकैद और अर्थदंड भी लगाया जा सकता है। 
  
 
- पास्को एक्ट की धारा 6 के अधीन वे मामले लाए जाते हैं जिनमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गम्भीर चोट पहुंचाई गई हो। 
  
 
- इसमें दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है। 
  
 
- इसी प्रकार पास्को अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है इस धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर पांच से सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। 
  
 
- पास्को कानून की धारा 3 के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को भी परिभाषित किया गया है। 
  
 
- जिसमें बच्चे के शरीर के साथ किसी भी तरह की हरकत करने वाले शख्स को कड़ी सजा का प्रावधान है। 
  
 
- 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में आ जाता है। 
  
 
- यह कानून लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है।  
  
 
- इस कानून के तहत पंजीकृत होने वाले मामलों की सुनवाई विशेष अदालत में होती है।
  
 
                                            
                                          
                                            यूरिड मीडिया डेस्क:- आए दिन हम बच्चों के साथ हो  रहे अपराधों को सुनते और देखते आ रहे है जो हमरे देश को जझोर कर रख देती है। जिसके बाद सरकार बच्चों के साथ हो रहे संगीन अपराधों को देखते हुए सरकार ने वर्ष 2012 में एक विशेष कानून बनाया था, जो बच्चों को छेड़खानी, बलात्कार और कुकर्म जैसे मामलों से सुरक्षा प्रदान करता है। इस कानून का नाम है ,पास्को एक्ट। जाने किन धाराओं के तहत दर्ज होता है केस..... 
  
क्या होता है पास्को एक्ट 
  
और
  
सजा-
  
  
और
सजा-
- पास्को शब्द अंग्रेजी शब्द से आता है।  
 - इसका पूर्णकालिक मतलब होता है प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फार्म सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 यानी लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012। 
 - इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है।  
 - यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है। 
 - वर्ष 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है।
 
ये लगती हैं धाराएँ-
  
- इस अधिनियम की धारा 4 के तहत वो मामले शामिल किए जाते हैं जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किया गया हो। 
 - इसमें सात साल की सजा से लेकर उम्रकैद और अर्थदंड भी लगाया जा सकता है। 
 - पास्को एक्ट की धारा 6 के अधीन वे मामले लाए जाते हैं जिनमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गम्भीर चोट पहुंचाई गई हो। 
 - इसमें दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है। 
 - इसी प्रकार पास्को अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है इस धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर पांच से सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। 
 - पास्को कानून की धारा 3 के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को भी परिभाषित किया गया है। 
 - जिसमें बच्चे के शरीर के साथ किसी भी तरह की हरकत करने वाले शख्स को कड़ी सजा का प्रावधान है। 
 - 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में आ जाता है। 
 - यह कानून लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है।  
 - इस कानून के तहत पंजीकृत होने वाले मामलों की सुनवाई विशेष अदालत में होती है।
 
                                                16th August, 2016
                                            
                                        