नई दिल्ली
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दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों में करारी हार का सामना करने के बाद असम में बीजेपी ने सबक लेते हुए अपने सांसदों और प्रदेश के बड़े नेताओं की जिम्मेदारी तय कर दी है। बीजेपी को लगता है, यूपी में भी असम की तरह ही अपने सांसदों प्रदेश नेताओं को भरोसे में लेकर ही चुनावी फैसला करने में पार्टी को फायदा मिलेगा। बीजेपी अब टिकट बंटवारे में भी अब अपने सांसदों की पसंद और फीडबैक को ज्यादा तव्वजो दे रही है। बीजेपी का कहना की टारगेट पूरा होने पर ही मिलेगा लोकसभा का टिकट मिलेगा।
बीजेपी सांसदों को मिला टारगेट -
- बीजेपी ने 2017 का यूपी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए अपने सांसदों और प्रदेश नेताओं के टारगेट फिक्स कर दिए हैं।
- बीजेपी ने अपने सभी सांसदों से उनके संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाले हर विधानसभा से तीन योग्य उम्मीदवारों का नाम भी मांगा है।
- पार्टी नेतृत्व ने सांसदों को कहा है कि पार्टी उनके उम्मीदवार को टिकट देने के लिए गंभीरता से विचार करेगी।
सांसदों के लिए मुसीबत
- कुल मिलाकर यह लक्ष्य सांसदों के लिए दोधारी तलवार पर चलने की तरह साबित होगा।
- क्योंकि अगर उसके उम्मीदवार को टिकट नहीं मिला, तो वो काम भी नहीं करेगा।
- भितरघात करके अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार को हराने के लिए पूरी कोशिश करेगा, जिसका नुकसान आखिरकार पार्टी को ही होगा।
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दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों में करारी हार का सामना करने के बाद असम में बीजेपी ने सबक लेते हुए अपने सांसदों और प्रदेश के बड़े नेताओं की जिम्मेदारी तय कर दी है। बीजेपी को लगता है, यूपी में भी असम की तरह ही अपने सांसदों प्रदेश नेताओं को भरोसे में लेकर ही चुनावी फैसला करने में पार्टी को फायदा मिलेगा। बीजेपी अब टिकट बंटवारे में भी अब अपने सांसदों की पसंद और फीडबैक को ज्यादा तव्वजो दे रही है। बीजेपी का कहना की टारगेट पूरा होने पर ही मिलेगा लोकसभा का टिकट मिलेगा।
- बीजेपी ने 2017 का यूपी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए अपने सांसदों और प्रदेश नेताओं के टारगेट फिक्स कर दिए हैं।
- बीजेपी ने अपने सभी सांसदों से उनके संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाले हर विधानसभा से तीन योग्य उम्मीदवारों का नाम भी मांगा है।
- पार्टी नेतृत्व ने सांसदों को कहा है कि पार्टी उनके उम्मीदवार को टिकट देने के लिए गंभीरता से विचार करेगी।
- कुल मिलाकर यह लक्ष्य सांसदों के लिए दोधारी तलवार पर चलने की तरह साबित होगा।
- क्योंकि अगर उसके उम्मीदवार को टिकट नहीं मिला, तो वो काम भी नहीं करेगा।
- भितरघात करके अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार को हराने के लिए पूरी कोशिश करेगा, जिसका नुकसान आखिरकार पार्टी को ही होगा।
19th August, 2016