यूरीड मीडिया ब्यूरो
:-
भारत और अमेरिका के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर हुए। यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं को मरम्मत, सप्लाई और ईंधन भरने, जमीन जैसे कामों के लिए एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल करने की इजाजत देगा। दोनों देशों ने इस समझौते को करते हुए चीन की बढ़ती समुद्री ताकत को ध्यान में रखा है। साजो-सामान संबंधी आदान-प्रदान समझौते (लेमोआ) पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत करते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने कहा कि यह समझौता 'व्यवहारिक संपर्क और आदान-प्रदान' के लिए अवसर प्रदान करेगा।
- समझौते पर हस्ताक्षर के बाद बयान में कहा गया कि, उन्होंने इस महत्व पर जोर दिया कि यह व्यवस्था रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार सहयोग में नए और अत्याधुनिक अवसर प्रदान करेगा।
- अमेरिका ने भारत के साथ रक्षा व्यापार और प्रौद्योगिकी को साझा करने को निकटम साझेदारों के स्तर तक विस्तार देने पर सहमति जताई है।
- दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध उनके साझा मूल्यों एवं हितों पर आधारित है।
- अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि लेमोआ दोनों देशों को एक साथ काम करने में सक्षम बनाने में बेहद महत्वपूर्ण है।
- पर्रिकर ने एक सवाल के जवाब में इसका (एलईएमओए का) कोई सैन्य अड्डा बनाने से कोई लेना-देना नहीं है।
क्लिक करे-- पैलेट गन पर नहीं लगेगी पूरी तरह रोक जरूरत पड़ने पर फिर होगी इस्तेमाल
यूरीड मीडिया ब्यूरो
:-
भारत और अमेरिका के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर हुए। यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं को मरम्मत, सप्लाई और ईंधन भरने, जमीन जैसे कामों के लिए एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल करने की इजाजत देगा। दोनों देशों ने इस समझौते को करते हुए चीन की बढ़ती समुद्री ताकत को ध्यान में रखा है। साजो-सामान संबंधी आदान-प्रदान समझौते (लेमोआ) पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत करते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने कहा कि यह समझौता 'व्यवहारिक संपर्क और आदान-प्रदान' के लिए अवसर प्रदान करेगा।
:-
भारत और अमेरिका के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर हुए। यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं को मरम्मत, सप्लाई और ईंधन भरने, जमीन जैसे कामों के लिए एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल करने की इजाजत देगा। दोनों देशों ने इस समझौते को करते हुए चीन की बढ़ती समुद्री ताकत को ध्यान में रखा है। साजो-सामान संबंधी आदान-प्रदान समझौते (लेमोआ) पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत करते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने कहा कि यह समझौता 'व्यवहारिक संपर्क और आदान-प्रदान' के लिए अवसर प्रदान करेगा।
- समझौते पर हस्ताक्षर के बाद बयान में कहा गया कि, उन्होंने इस महत्व पर जोर दिया कि यह व्यवस्था रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार सहयोग में नए और अत्याधुनिक अवसर प्रदान करेगा।
- अमेरिका ने भारत के साथ रक्षा व्यापार और प्रौद्योगिकी को साझा करने को निकटम साझेदारों के स्तर तक विस्तार देने पर सहमति जताई है।
- दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध उनके साझा मूल्यों एवं हितों पर आधारित है।
- अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि लेमोआ दोनों देशों को एक साथ काम करने में सक्षम बनाने में बेहद महत्वपूर्ण है।
- पर्रिकर ने एक सवाल के जवाब में इसका (एलईएमओए का) कोई सैन्य अड्डा बनाने से कोई लेना-देना नहीं है।
क्लिक करे-- पैलेट गन पर नहीं लगेगी पूरी तरह रोक जरूरत पड़ने पर फिर होगी इस्तेमाल
30th August, 2016