लखनऊ
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वर्ष 1995 से शुरू हुई मिल डे मील योजना कई बार भ्रष्टाचार की भेट चढ़ चुकी है।
अब एक बार फिर
मिड डे मील योजना में अरबों के घोटाला करने की तैयारी बहुत ही ज़ोर-शोर से शुरू हो गयी है। अरबों के घोटाले के लिए टेंडर प्रक्रिया शीघ्र ही शुरू हो जाएगी। इससे पहले भी मिड मील योजना में कई बड़े घोटाले हो चुके हैं। बिना कम्पनियों के पंजीकरण हुए ही फर्जी तरीके से कम्पनियों को अरबों रुपए के कार्य दिये जा चुके हैं।
बाल विकास व आंगनबाड़ी में खाद्द पदार्थ बांटने वाली कंपनियां की ऑर्डर वैधता 15 अप्रैल को खत्म हो गई थी जबकि कैबिनेट ने इसको 3-3 महीने का एक्सटेन्शन भी दिया था।
क्या है मिड-डे मील कार्यक्रम-
- मध्यान्ह भोजन योजना भारत सरकार द्वारा 15 अगस्त 1995 को प्रारम्भ की गयी।
- जिसके अन्र्तगत प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को माह में 80 प्रतिषत उपस्थिति पर 100 ग्राम प्रतिदिन की दर से माह में 3 किलोग्राम खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है।
- वर्तमान में इस योजना के अन्तर्गत समस्त राजकीय/ सरकार सहायतित विद्यालयों / इण्टर कालेजों के कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के विद्यार्थियों को मिड-डे मील उपलब्ध कराया जा रहा है।
2nd September, 2016