सीएम अखिलेश व सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव
सुयोग्य राज द्विवेदी (यूरिड मीडिया ब्यूरो)
लखनऊ
:- उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए जहां एक ओर प्रदेश का सियासी पारा अपनी चरम सीमा पर चढ़ रहा है वहीं दूसरी ओर तमाम राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। सभी विपक्षी दलों की भरपूर कोशिश है की सत्ताधारी पार्टी यानि की सपा को उखाड़ फेकना है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की छवि हमेशा से ही एक साफ-सुथरे राजनेता वाली रही है। वर्ष 2012 का विधानसभा चुनाव को अखिलेश ने सपा सुप्रीमो व अपने पिता मुलायम सिंह यादव की छत्रछाया में लड़ा था पर आगामी 2017 का विधानसभा चुनाव वे अपनी पहचान के साथ लड़ना चाहते हैं इसीलिए समय-समय पर पार्टी हित व जनहित में वे कई गंभीर कदम उठाते रहे हैं। इसी की एक और मिसाल पेश करते हुए सीएम अखिलेश ने आज एक घंटे के अंदर प्रदेश के 2 कद्दावर मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया जिनमें कोयला व खनन मंत्री गायत्री प्रजापति व पंचायती राज मंत्री राज किशोर सिंह शामिल हैं।
गायत्री प्रसाद प्रजापति
गौरतलब है कि प्रजापति पर अवैध खनन को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार के आरोप अर्से से लगते रहे हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश में जगह-जगह बड़े पैमाने पर जारी अवैध खनन को गम्भीरता से लेते हुए गत 28 जुलाई को प्रदेश में हुए अवैध खनन और इसमें शामिल सरकारी अधिकारियों की भूमिका की जांच सीबीआई से कराकर छह महीने के अंदर रिपोर्ट देने के निर्देश दिये थे।
- वर्ष 2012 में पहली बार अमेठी से विधायक बने प्रजापति ने कामयाबी की सीढ़ियों पर काफी तेजी से कदम रखे।
- उन्हें फरवरी 2013 में सिंचाई राज्यमंत्री बनाया गया था।
- बाद में उन्हें खनन राज्यमंत्री के पद पर नियुक्त किया गया था।
- जुलाई 2013 में प्रजापति को स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया गया था और जनवरी 2014 में उन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया गया था।
राज किशोर सिंह
वर्ष 2012 में बस्ती जिले की हर्रैया सीट से विधायक चुने गये राजकिशोर पर भ्रष्टाचार और जमीन हड़पने के आरोप लाग्ने के चलते उन्हें बर्खास्त किया गया। वह सपा की पिछली सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं।
यह पहली बार नहीं है कि सीएम अखिलेश यादव ने किसी मंत्री को बर्खास्त किया हो, इससे पहले भी सीएम अखिलेश मंत्रिमंडल से कई बड़े मंत्रियों कि छुट्टी कर चुके हैं।
ज्ञात हो कि सीएम अखिलेश ने सपा के वरिष्ठ मंत्री बलराम यादव को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। उनके खिलाफ यह कार्रवाई माफिया सरगना मुख्तार अंसारी के दबदबे वाले कौमी एकता दल के सपा में विलय में भूमिका निभाने के आरोप में की गई थी।
इससे पहले किन-किन को किया गया बर्खास्त
?
राजा महेंद्र अरिदमन सिंह | स्टाम्प और नागरिक सुरक्षा मंत्री |
अंबिका चौधरी | पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री |
शिव कुमार बेरिया | वस्त्र और रेशम उद्योग मंत्री |
नारद राय | खादी और ग्रामोद्योग मंत्री |
शिवाकांत ओझा | तकनीक शिक्षा मंत्री |
आलोक कुमार शाक्य | तकनीक शिक्षा राज्य मंत्री |
योगेश प्रताप सिंह | बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री |
भगवत शरण गंगवार | सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग और निर्यात प्रोत्साहन विभाग |
बलराम यादव |
माध्यमिक शिक्षा मंत्री |
कौन-सा मंत्री क्यों हटाया गया ?
राजा अरिदमन सिंह
- आनंद सिंह को कैबिनेट से हटाने के बाद मुलायम को एक ठाकुर नेता के रूप में एक चेहरे की जरूरत थी।
- बताया जाता है कि इसी वजह से राजा अरिदमन सिंह को परिवहन विभाग से हटाकर स्टाम्प समेत तीन विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
- लेकिन कहा गया कि अरिदमन अपने वादे पर खरे नहीं उतर पाए।
- लोकसभा चुनाव में भी वह अपनी विधानसभा भी नहीं बचा पाये थे। ऐसे में मुलायम इनसे नाराज चल रहे थे।
अम्बिका चौधरी
- यूपी में बलिया से सबसे ज्यादा मंत्री बनाये गए हैं। ऐसे में विकास की राजनीति के बजाय गुटबाजी ज्यादा होने लगी।
- यूपी से सबसे ज्यादा मंत्री होने के बाद भी लोकसभा में वहां सपा कुछ ख़ास नहीं कर पाई।
- चौधरी तो अपनी विधानसभा भी नहीं बचा पाए। जबकि उनकी दबंगई की खबरें लगातार सामने आ रही थीं।
- अम्बिका का विभाग भी बीच में बदलते हुए पिछड़ा वर्ग कल्याण और विकलांग कल्याण की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी।
- नारद भी बलिया से आते हैं। लेकिन वह भी लोकसभा में कुछ ख़ास नहीं कर पाए।
- इनके बारे में भी कहा जाता है कि ये गुटबाजी में फंसे हुए हैं। नारद राय के पास खादी और ग्रामोद्योग विभाग था।
- शिवकुमार बेरिया के पास वस्त्र एवं रेशम उद्योग था और यही विभाग उनके हटने का कारण बन गया।
- स्थानीय कार्यकर्ता लगातार मुलायम से शिवकुमार बेरिया की शिकायत कर रहे थे कि वह कार्यकर्ताओं का काम नहीं कर रहे हैं।
- ऐसे में मंत्री जी भी कई बार यह कहते सुने गए कि मेरे विभाग का बजट ही कम है तो मैं क्या करूं।
- इसके अलावा, लोकसभा चुनाव में हार के कारण तलाशने के लिए बुलाई गई समीक्षा बैठक में मुलायम ने भी सबके सामने बेरिया को फटकार लगाई थी।
- शिवाकांत ओझा के कैबिनेट में अंतिम दिन तभी शुरू हो गए थे।
- जब उन्होंने पिछले साल चेकडैम घोटाले की जानकारी मीडिया में लीक कर शिवपाल यादव गुट के मंत्री राजकिशोर सिंह को खुली चुनौती दी थी।
- इस घोटाले को लेकर सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। जिससे शिवपाल यादव भी खूब परेशान हुए थे।
- योगेश के हटने का सबसे बड़ा कारण यही रहा है कि शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापकों के तौर पर नौकरी दिलवाने की जिम्मेदारी उन्हीं के ऊपर थी।
- जिस तरह से पिछले दिनों शिक्षामित्रों के मामले पर सरकार की फजीहत हुई है, उससे योगेश का जाना तय हो गया था।
- इनके पास लघु उद्योग विभाग था। लेकिन कहा जाता है कि इनका काम सीएम और मुख्य सचिव ज्यादा करते रहे हैं।
- इनके ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगा, जिससे सीएम खफा रहते थे। यही वजह रही कि इन्हें हटाया गया है।
इसके अलावा सपा सरकार के दर्जा प्राप्त मंत्री कुलदीप उज्ज्वल काे भी पार्टी से निकाला गया था। कुलदीप उज्ज्वल पर बागपत डीएम को गाली देने का आरोप है। डीएम औऱ मंत्री के बातचीत की आॅडियो टेप वायरल होने के बाद समाजवादी पार्टी के आलाकमान ने मंत्री को पार्टी से बर्खास्त कर दिया।
राम मंदिर निर्माण का समर्थन करने को लेकर उत्तर प्रदेश के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री ओमपाल नेहरा को बर्खास्त कर दिया गया। राम मंदिर जैसे गंभीर मुद्दे पर बयान देना ओमपाल नेहरा महंगा पड़ गया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राम मंदिर पर बयानबाजी को लेकर उन्हें बर्खास्त किया।
12th September, 2016