देश को भरोसा नही दिला पाये मोदी
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भाजपा राष्ट्रीय परिषद का संदेश
कार्यकर्ता भी उदासीन रहे, भाजपा नेताओं के खोखे आश्वासन से आक्रोश
विजय शंकर पंकज (यूरिड मीडिया)
लखनऊ। सेना पर आतंकी हमले के बाद देश में उभरे उबाल आैर आक्रोश के बीच भारतीय जनता पार्टी की केरल के कोकरझाड़ में संपन्न राष्ट्रीय परिषद का संदेश बड़ा ही फीका आैर नकरात्मक रहा। सरकार आैर संगठन की दृष्टि से भाजपा नेतृत्व देश के सुदूर दक्षिण कोण से शुभ संदेश नही दे पायी। वैसे भी हिन्दू -सनातन धार्मिक व्यवस्था में दक्षिण हमेशा से ही अशुभ ही माना जाता रहा है आैर वहां पर बैठक कर जैसे भाजपा ने भी देशवासियांे को ऐसी ही व्यवस्था का संकेत दिया। आतंकी घटना के बाद जहां पूरा देश एकजुटता के साथ पाक के खिलाफ कठोर कार्रवाई की अपेक्षा कर रहा था तो प्रधानमंत्री का भाषण पाक जनता के खिलाफ शान्ति का पाठ पढ़ा रहा था। यही नही पूरी राष्ट्रीय परिषद में पांच राज्यों में अगले वर्ष की शुरूआत में होने वाले चुनावों की कोई रणनीति उभर कर नही आयी आैर नही यहां पर संगठन में चल रहे उफान तथा कार्यकर्ताओंं की नाराजगी को ही शान्त करने की किसी पहल पर चर्चा हुई। ऐसे चुनावी समर में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भाजपा नेतृत्व के लिए महंगा साबित हो सकता है।
आतंकी घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहली बार 24 सितम्बर कोकरझाड़ में जनसभा को संबोधित कर रहे थे। लोग टी.वी. से लेकर अन्य संचार माध्यमों पर मोदी की ललकार सुनने की आस लगाये हुए थे। मोदी के भाषण के बाद करोड़ों देशवासियों को निराशा ही हाथ लगी। एक घंटे से ज्यादा लंबे भाषण में प्रधानमंत्री देश को यह भरोसा नही दिला पाये कि आतंकी घटनाओं तथा विदेशी आक्रमणकारियों से देश को कैसे महफूज रख पायेगे। प्रधानमंत्री 18 से 24 सितम्बर तक यही रट लगाये हुए है कि सैनिकों का बलिदान बेकार नही जाएगा। जनता प्रधानमंत्री से सीधी कार्रवाई का ठोस मांग कर रही है। प्रधानमंत्री यह भरोसा भी नही दिला पाये कि देश की जनता कुछ इन्तजार करे। वह तो अपने शाब्दिक भाषणों की रवायत में पाक की जनता को गरीबी, शिक्षा आैर स्वास्थ्य के मुद्दे पर संघर्ष का आह्वान करने लगे। मोदी सरकार के कार्यकाल का आधा से ज्यादा समय बित गया आैर इस दरम्यान भारत की जनता को महंगाई, गरीबी, बीमारी, अशिक्षा की स्थिति में बढ़ोतरी के अलावा कोई सुधार नही दिखायी दिया। भाषणबाजी तथा कोरे आश्वासन ज्यादा दिन नही चलते। मोदी सरकार में लगातार जनता पर नये टैक्स लादे जा रहे है। इस टैक्स से देश के कुछ पूंजीपतियों को ही लाभ पहुंचाया जा रहा है। यह स्थिति अब देश की जनता भी समझने लगी है। ऐसे में प्रधानमंत्री अपने देश की समस्या छोड़ अब पाकिस्तान में सुधार करने पर जोर दे रहे है। मोदी के इस भाषण आैर कोरे आश्वासनों की भाजपा नेता आैर कार्यकर्ता ही आलोचना करने लगे है।
कहावत है - "" करैला आैर नीम चढ़ा "" एक तो मोदी के हवा - हवाई दावे आैर आश्वासन। उस पर उनके एकमात्र सिपहसालार आैर विश्वस्त भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का कार्यकर्ताओँ के प्रति उदासीन रवैया। भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद से कार्यकर्ता की स्थिति अमित शाह के गुलामों जैसी हो गयी है। सांसदों आैर विधायकों तक को अमित शाह से मिलने का समय नही मिलता है आैर यदा-कदा मेहरबानी बरस गयी तो ऐसे जैसे कि कड़वी गोली खा ली हो। ढाई बरस की सरकार में भाजपा कार्यकर्ताओं को विभिन्न पदों पर समायोजित करने की अभी तक कार्रवाई ही नही की गयी। पहले राज्य मुख्यालयों से सूची अवश्य मंगाई गयी परन्तु वह दिल्ली कार्यालय में जला दी गयी। अभी भी तमाम महत्वपूर्ण पदों पर कांग्रेस तथा उसके सहयोगी दलों के ही नेता बैठे हुए है। अन्य सरकारें यह कार्य प्राथमिकता पर करती थी आैर कार्यकर्ताओं की संगठन के प्रति संलग्नता के लिए अन्य उपाय भी किये जाते थे परन्तु अब निराश भाजपा कार्यकर्ता कहने लगे है कि सरकार आैर संगठन में मोदी-अमित के अलावा किसी राजनीतिक कार्यकर्ता की नही बल्कि पूंजीपतियों की जरूरत है। राज्यों की कमान कुछ कठपुतली नेताओँ को सौंपी जा रही है। भाजपा नेतृत्व को कार्यकर्ताओं की नाराजगी की जानकारी भी है परन्तु उन्हें मनाने या समझाने की जुर्रत ही नही समझी गयी। इसके विपरीत दूसरे दलों के नेताओँ को शामिल कर पार्टी के पुराने एवं निष्ठावान कार्यकर्ताओँ की उपेक्षा की जा रही है।
मोदी सरकार के खिलाफ जनता की नाराजगी के मुख्य पहलू:-
- महंगाई पर नियन्त्रण नही।
- स्वच्छता अभियान के प्रचार पर जोर परन्तु कोई ठोस कार्रवाई नही। गांवों में सफाई कर्मियों के नाम पर लूट। शहरों में स्लम एरिया के लिए कोई ठोस कार्रवाई नही। शौचालय निर्माण कार्य केवल कागजों में।
- जनता पर लगातार विभिन्न टैक्स में बढ़ोतरी
- ब्याज दरों में कटौती कर, पेंशनर्स तथा अन्य गरीबों के लिए समस्या खड़ी करना।
- ब्याज दरों में कटौती पूंजीपतियों को सस्ते दरों पर रकम मुहैया कराने का उद्देश्य।
- कुछ पूंजीपतियों को करो में भारी छूट तथा लगातार उन्हें रियायतेंं देना।
- भाजपा सरकार में कार्यकर्ताओं की पूछ न होने तथा संगठन के पदाधिकारियों के उपेक्षा पूर्ण रवैये से पार्टी में तनाव का माहौल बना हुआ है। यही कारण है कि कुछ क्षेत्रों जैसे सड़क, रेल आदि में बड़े काम होने के बाद भी जनता में भाजपा के प्रति सकरात्मक संदेश नही जा पा रहा है।