अखिलेश ने खेला बड़ा ब्राह्मण कार्ड, ब्राह्मण चेहरों को दिया महत्व
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लखनऊ:- जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 करीब आ रहा है वैसे-वैसे सभी राजनीतिक दलों की धड़कनें तेज़ हो रही हैं। सभी दल अपना-अपना वोट बैंक की तलाश में जुट गए हैं। इसी के चलते सभी दलों प्रयास जारी हैं। इसका एक नमूना आज अखिलेश सरकार के आठवें मंत्रिमंडल विस्तार में देखने को मिला जब अखिलेश सरकार ने ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए अपने मंत्रिमंडल में ब्राह्मण मंत्रियों को महत्व दिया।
अखिलेश ने रायबरेली से विधायक मनोज पाण्डेय, आजमगढ़ से विधायक शिवाकान्त ओझा की वापसी कराई और उनको कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिलवाया। इसी के साथ ही राज्यमंत्री अभिषेक मिश्रा का भी कद बढ़ाते हुए उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया।
अगर प्रदेश के ब्रहमण वोटरों पर नजर डालें तो इनकी आबादी भी अच्छी-ख़ासी है। प्रदेश में कुल 11 प्रतिशत ब्राह्मण मतदाता हैं। ये खास तौर पर मध्य यूपी और पूर्वाचल में एक निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ब्राह्मण वोटरों की कीमत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि काँग्रेस ने भी सीएम कैंडिडेट ब्राह्मण ही बनाई है।
मालूम हो कि प्रदेश में ब्राह्मण समाज की ठीक ठाक आबादी है। करीब 11 प्रतिशत आबादी वाले यह समाज मध्य यूपी के साथ पूर्वाचंल में निर्णायक है। इसके अलावा यह मतदाता जिस दल के साथ रहता है उसी पार्टी की यहां पर सरकार बनती रही है। इसलिए इस वर्ग को साथ जोडने के लिए सभी दल इन दिनों प्रयासरत है। कांग्रेस द्वारा ब्राह्मण नेता को सीएम कंडीडेट बनाया गया है।
अभी इससे पहले अखिलेश सरकार में सातवा मंत्रिमंडल विस्तार बीते 27 जून को हुआ था जिसमें भी ब्राह्मण चेहरे को जगह दी गई थी। लखनऊ के सरोजनीनगर से विधायक शारदा प्रताप शुक्ला को मंत्री बनाया गया था।
इसे देख बसपा ने भी भाईचारा सम्मेलन आरंभ कर दिए है। इसी पूर्वाचंल में जिम्मेदारी सतीश चन्द्र मिश्र को तथा पश्चिम में राम वीर उपाध्याय को सौंपी गयी है। भाजपा की इस वर्ग को आकर्षित करने के लिए ब्राह्मण नेताओं को आगे बढा रही हैं। इसे देख मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी चाल चली। इस चुनावी माहौल में हर राजनीतिक दल ब्राह्मण वोटरों को लुभाने का भरपूर प्रयास कर रहा है।