लखनऊ।
तकरीबन एक माह से सपा परिवार में छिडी जंग अभी शांत नहीं हुई है। यह परिवार पर्दे के सामने भले ही एक होने का दावा कर रहा हो लेकिन अंदर से यह परिवार अनेक है। सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव का जलवा इन दिनों बखूबी देखने को मिल रहा है। चाहे वह कोएद का विलय हो, या फिर मनमाने तरह से टिकट का वितरण एवं संगठन की कार्यकारणी का गठन हो। इन सभी मामलों में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की नहीं सुनी जा रही है। इस अंर्तकलह से सपा के टाप टू बाटम नेता आहत है कि वह किधर जाए।
मालूम हो कि सपा परिवार की रार अब जगजाहिर हो रही है। इसे मैनेज करने में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के भी पसीने छूट रहे है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लाख नाराजगी के बावजूद शिवपाल यादव ने बाहुबली विधायक मुख्यतार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का विलय करा दिया। सूपी की सियासत में हमेशा चर्चा में रहने वाले पूर्वांचल की राजनीति में इन दिनों भूचाल आ गया है। जहां अंसारी बंधुओं के समर्थकों के खेमे में खुशी और अंसारी बंधुओं का विरोध करके अपनी राजनीति चमकाने वाले खेमे में गम का माहौल दिखाई दे रहा है। इस निर्णय से सबसे ज्यादा उत्साह गाजीपुर, बलिया, मऊ, चंदौली, जौनपुर, आजमगढ़, बनारस आदि के विधायक और मंत्री दिखाई दे रहे है। विधायकों का मानना है कि जो सपा के अंर्तकलह व परिवारिक झगड़े में नुकसान हो गया था अब डैमेज कंट्रोल हो गया है। कौमी एकता दल व सपा के एक साथ आ जाने पर पूर्वांचल के हर विधानसभा में लगभग 15 से 20 हजार वोट का इजाफा हुआ है। जो विधानसभा 2017 के चुनाव में नईया पार लगाने के लिए काफी है। अंसारी बंधुओं के विलय का विरोध करने वाले पहले पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह ने भी अपना सुर बदल दिया अब इसे सपा के लिए लाभकारी बताने लगे है।
इसके साथ शिवपाल यादव ने जिस तरह से टिकटों का बंटवारा किया वह किसी से छिपा नहीं है। महराजगंज की नौतनवा सीट से इस बार बाहुबली पूर्व विधायक अमर मणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि को टिकट दिया है। जबकि इन पर अपनी ही पत्नी सारा की मौत का आरोप है। इसे मामले में सीबीआई जांच चल रही है। इसके अलावा उन्होंने कुछ टिकटों में बदलाव भी किये। प्रदेश कार्यकारिणी का गठन किया उसमें भी अपने चहेतों को सम्मान दिया। वहीं उन्होनें अखिलेश के कई समर्थकों को पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया। इन सब कारणों से निश्चित रूप से सीएम नाराज है। गत दिनों उन्होनें भी अपनी टीस निकालते हुए यह कह दिया कि हमारे पर तुरूप का पत्ता है। हमे भी दशहरा का इंतजार है। इसके अलावा तीन अक्टूबर से आरंभ होने वाली साइकिल यात्रा को भी सीएम ने रद्द कर दिया। उनके इस तरह के बयान से साफ है कि वह आहत है और वह चुनाव से पूर्व कोई बडा धमाका कर सकते है। इसके साथ ही सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की छह अक्टूबर को होने वाली आजमगढ रैली भी स्थगित कर दी गयी।
इस तरह शिवपाल यादव एवं अखिलेश यादव के बीच चल रहे शीत युद्ध से पूरी पार्टी आहत है। परिवार को छोड बाकी नेता एवं आम कार्यकर्ता असमंजस में है कि वह किसका साथ दे। इस विवाद से सपा कार्यकर्ता भी स्वयं को दूर रखते हुए अपने घरों में बैठ गया है। जबकि चुनावी मौसम है इस समय संगठन को चुस्त दुरूस्त करने की बेहद आवश्यकता है। वहीं परिवार की इस कलह का लाभ विपक्ष उठाने के फिराक में है। ऐसे में सपा को आगामी विधानसभा चुनाव में खासा नुकसान उठाना पड सकता है।
तकरीबन एक माह से सपा परिवार में छिडी जंग अभी शांत नहीं हुई है। यह परिवार पर्दे के सामने भले ही एक होने का दावा कर रहा हो लेकिन अंदर से यह परिवार अनेक है। सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव का जलवा इन दिनों बखूबी देखने को मिल रहा है। चाहे वह कोएद का विलय हो, या फिर मनमाने तरह से टिकट का वितरण एवं संगठन की कार्यकारणी का गठन हो। इन सभी मामलों में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की नहीं सुनी जा रही है। इस अंर्तकलह से सपा के टाप टू बाटम नेता आहत है कि वह किधर जाए।
8th October, 2016