लखनऊ
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उत्तर प्रदेश की सियासी जमीन की उर्वरा शक्ति को देख देख दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों को यूपी की सरजमी खुब पंसद आ रही है। क्योंकि यूपी की भूमि शुरू से ही काफी उर्वरक रही है। जिसके कारण यूपी ने देश को नौ प्रधानमंत्री दिये हैं। भाजपा के अटल बिहारी बाजपेयी सरीखे नेता ने प्रधानमंत्री बनने के लिए देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा यूपी को अपना कर्मभूमि बनाया तो उसी नक्शेकदम पर नरेन्द्र मोदी भी चले। इसके अलावा शरद यादव, मुफ्ती मोहम्मद सईद सरीखे कई नेता यहीं से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे और केन्द्र में मंत्री बने। इन बड़े नेताओं की देखादेखी देश के दूसरे राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी राजनीतिक की लिहाज से अपने गृहराज्य की अपेक्षा यूपी ही खूब भाया। इस समय केन्द्र में प्रधानमंत्री से लेकर दो कैबिनेट मंत्री ऐसे है जो दूसरे राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्री है।
बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की करें तो वह गुजरात में 14 साल मुख्यमंत्री रहे। सीएम रहते हुए ही मोदी ने 2014 में पहली बार गुजरात के बड़ोदरा और यूपी की वाराणसी सीट से सांसदी का चुनाव लड़ा। बाद में उन्होंने बड़ोदरा सीट छोड़ी और वाराणसी की सीट बरकरार रखते हुए प्रधानमंत्री बने। इसी साल के अंत में हुए दिल्ली विधानसभा के चुनाव में पीएम मोदी को टक्कर भी दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से ही मिली। महज एक साल में पार्टी का गठन कर अरविंद केेजरीवाल ने दिल्ली की 15 साल से काबिज शीला दीक्षित को करारी शिकस्त दी थी। उसके बाद गत लोकसभा चुनाव में वाराणसी में भाजपा के नरेन्द्र मोदी को टक्कर देने पहुंच गए। लेकिन यहां उन्हे शिकक्त का सामना करना पड़ा। दो पूर्व मुख्यमंत्री केन्द्रीय मंत्रिमंडल में यूपी से संसद सदस्य है। इसी तरह दो पूर्व मुख्यमंत्री इस समय कांग्रेस का भविष्य संवारने में लगे है। भाजपा की फायरब्रांड नेत्री और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती इस समय यूपी के झांसी संसदीय क्षेत्र से सांसद है और केन्द्र में कैबिनेट मंत्री है। वे 2012 के विधानसभा चुनाव में हमीरपुर की चरखारी सीट से विधायक रही। यूपी में सक्रिय होने से पहले उमा भारती मध्य प्रदेश की खुजराहों सीट से दो बार और एक बार भोपाल से सांसद रह चुकी है।
इसी तरह गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर इस समय केन्द्र में रक्षा मंत्री है और वे उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य है। गोवा के मुख्यमंत्री के अलावा वहां की विधानसभा मे ंविपक्ष के नेता रहे मनोहर पर्रिकर वहां दो बार सीएम रहे। गोवा में सीएम पद छोडने के बाद केन्द्र में मंत्री बनने के लिए भाजपा नेतृत्व ने उन्हे राज्यसभा भेजने के लिए यूपी भेजा। केन्द्र में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी दिल्ली की मुख्यमंत्री रहने के बाद उत्तर प्रदेश से ही राज्यसभा सदस्य रही। आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए कांग्रेस ने दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को लगाया है। कांग्रेस नेतृत्व ने चौथी बार जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलामनबी आजाद को प्रदेश प्रभारी बनाया है। इससे पूर्व वह कई बार प्रदेश प्रभारी बनकर चुनाव लडा चुके हैं लेकिन उस दौरान कांग्रेस कुछ खास नहीं कर पायी। इस बार देखना है कि वे अपने प्रताप से कांग्रेस को कितनी और कहां तक सफलता दिलाते है।
पन्द्रह साल तक दिल्ली में मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस से सीएम पद की उम्मीदवार है। दिल्ली की सीएम बनने से पहले वे यूपी की कन्नौज सीट से वह दो बार सांसद रह चुकी हैं दिल्ली में चुनाव हारने के बाद वे कुछ दिनों के लिए केरल की राज्यपाल भी रही। राज्यपाल पद से हटने के बाद सक्रिय राजनीति में आने पर कांग्रेस ने उन्हे यूपी में सीएम पद का उम्मीदवार बनाया है।
17th October, 2016