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गैरो पर करम - अपनों पर सितम, हाले बयां कांग्रेस

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गैरो पर करम - अपनों पर सितम, हाले बयां कांग्रेस

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कांग्रेस पर दल-बदलुओं का कब्जा--

कांग्रेस पर आजकल दलबदलुओं या यह कहिये कि समय से साथ कांग्रेस को धोखा देकर दूसरों का दामन थामने वालों का ही पार्टी पर कब्जा है। दलबदलुओं की इस राजनीति को समझते हुए भी कांग्रेसी नेतृत्व या तो इतना अक्षम है या उसकी राजनीतिक सोच इतनी संकीर्ण है कि वह बाहरी तत्वों के क्रियाकलापों पर ध्यान नही दे पा रहा है। कांग्रेस में प्रमुख पदों पर नेह डिग्री परिवार के अलावा अन्य किसी का दावा नही रहा है। इन्दिरा गांधी ने अपने कार्यकाल में ही ऐसे सभी दावेदारों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद जो भी कांग्रेस अध्यक्ष ( सिताराम केसरी) या प्रधानमंत्री (नरसिंह राव, मनमोहन सिंह) की कुर्सी पर बैठे, सभी नेह डिग्री परिवार की कृपा से ही मिला। आपात काल के दौरान जगजीवन राम आैर हेमवती नन्दन बहुगुणा ने कांग्रेस को ऐसे मौके पर धोखा दिया जब पार्टी तथा नेतृत्व इन्दिरा गांधी को इनकी ज्यादा जरूरत थी। बाद में यह भी कांग्रेस में लौटे। जगजीवन राम की पुत्री मीरा कुमार लोक सभा अध्यक्ष बनी। बहुगुणा का परिवार तो राजनीतिक धोखे की मिसाल ही बन गया है। वैसे चन्द्रभानु गुप्त ने उसी समय बहुगुणा को राजनीति के नटवरलाल की संज्ञा दी थी।

अब उनके बेटे विजय बहुगुणा को कांग्रेस ने उत्तरा खंड का मुख्यमंत्री बनाया तो बाद में वह पार्टी ही छोड़ गये। दलबदल करने वाली बहुगुणा की बेटी रीता जोशी को कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया तो वह भी आड़े वक्त में पार्टी छोड़ने की चेतावनी दे रही है। इसके बाद शरद पवार ने पहले महाराष्ट्र में कांग्रेसी नेतृत्व को चैलेन्ज दिया लेकिन तबसे अब तक महाराष्ट्र से केन्द्र तक कांग्रेस उनकी पिछलग्गू बनी फिर रही है। अर्जुन सिंह आैर नारायण दत्त तिवारी ने भी नेह डिग्री परिवार के कांग्रेसी नेतृत्व को चैलेन्ज किया परन्तु कुछ दिनों बाद ही उन्हें अपनी जमीनी हकीकत का एहसास हो गया। उसके बाद यह दोनों दोबारा महत्वपूर्ण पद हासिल कर लिए। इन्ही के साथ यूपी की राजनीति में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले जगदम्बिका पाल भी अर्जुन सिंह के साथ चले गये। यही नही जगदम्बिका पाल ने नरेश अग्रवाल के साथ मिलकर लोक तांत्रिक कांग्रेस बना ली आैर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनायी। दोबारा कांग्रेस में लौट जगदम्बिका पाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बन गये आैर फिर सांसद बने परन्तु कांग्रेस के दुर्दिन आते ही पाला बदलकर भाजपा में जा मिले। आयातित नेताओं में रामनरेश यादव को भी कांग्रेस ने राज्यपाल जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठाया परन्तु उन्होने पाला नही बदला।


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अपनों पर सितम--