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रामगोपाल से भयभीत अमर गाथा...

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रामगोपाल से भयभीत अमर गाथा...

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विजय शंकर पंकज ( यूरिड मीडिया)

लखनऊ। रामगोपाल यादव की समाजवादी पार्टी में वापसी की घोषणा के साथ ही अमर सिंह अज्ञात भय से कांपने लगे। भय बर्दाश्त नही हुआ तो अपने कुछ मीडिया कर्मियों को बुलाकर इलेक्ट्रानिक मीडिया के समक्ष रो पड़े -- 'अब रामगोपाल यादव मुझे पार्टी से निकाल सकते है। मैं बाहरी हूं, रामगोपाल तो घर के है।' आदत के मुताबिक अमर सिंह को टी.वी. के सामने पूरा विधवा विलाप सामने आ गया। असल में बात-बात पर रोने वाली विधवाओं के प्रति भी लोगों की सहानुभूति कम हो जाती है। इसी प्रकार सपा में आने आैर मुलायम सिंह यादव पर अपना एहसान जताने वाले अमर सिंह के आरोपों आैर एहसानों को लोग गंभीरता से नही लेते। यही नही राज्यसभा का सांसद होते हुए आैर विभिन्न राजनीतिक घटनाक्रमों को अपने हिसाब से मोड़ देने का दावा करने वाले अमर सिंह को उनके समर्थक भी नेता न मानकर राजनीतिक तिकड़म बाज मानते है। प्रतिद्वन्दी तो कुछ आैर ही कहते है।


अमर की खुली पोल--