तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन की खबर से अभी देश बाहर भी नहीं निकला था कि अब उनके अंतिम संस्कार को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, जयललिता के करीबी रिश्तेदार उनके पार्थिव शरीर को दफनाए जाने से नराज हैं।
इसी नराजगी के चलते मंगलवार को उन्होंने जयललिता का अंतिम संस्कार दोबारा किया, जोकि हिंदू ब्राह्मण रीति-रिवाज अनुसार था। बस जयललिता के पार्थिव शरीर की जगह उन्होंने एक घास की गुडिया का अंतिम संस्कार किया। उसका श्रीरंगपटना में कावेरी नदी के तट पर दाह संस्कार किया गया।
जयललिता का 3 महीने की बीमारी के बाद निधन हो गया था। उनके अंतिम समय में जयललिता की सहयोगी और सलाहकार शशिकला थी। उन्होंने ही जयललिता के शव को दफनाने का फैसला लिया था। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा था कि जयललिता एम जी रामास्वामी की विचारधारा को मानती थी। रामास्वामी हिंदू धर्म को नहीं मानते थे। उन्हें भी दफनाया ही गया था इसलिए जयललिता को भी दफनाया जाएगा। जयललिता के अंतिम समय में भी परिवार को उनसे दूर रखा गया था।
14th December, 2016