लखनऊ, (यूरिड मीडिया)।
राज्य संपत्ति विभाग के नियन्त्रणाधीन सरकारी आवासों के आवंटन प्रक्रिया में गुरूवार को सरकार ने दोनों सदनों से संशोधन प्रस्ताव पारित कराकर ट्रस्टों तथा पत्रकारों के लिए आवास आवंटन में बड़ी राहत दी। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों, ट्रस्टों एवं पत्रकारों के आवास संबंधी नियमावली को लेकर गतिरोध पैदा हो गया था। राज्य संपत्ति विभाग ने न्यायालय के आदेश के अनुरूप ऐसे सभी आवासों के आवंटन निरस्त करने के आदेश जारी कर दिये थे। इसी के बाद ट्रस्ट संचालकों तथा पत्रकारों में असमंजस की स्थिति बनी हुई थी आैर सरकार से इस संदर्भ में कानून बनाकर राहत दिये जाने की मांग की जा रही थी। राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवासों के लिए विधेयक पारित करा लिया परन्तु ट्रस्टों एवं पत्रकारों के मामले में कई खामियां रह गयी थी जिसे गुरूवार के संशोधन विधेयक से दुरूस्त कर लिया गया। अब ट्रस्टों तथा पत्रकारों को 10 वर्ष तक आवंटन किया जाएगा। इस प्रक्रिया में वरिष्ठ पत्रकारों के साथ ही अन्य टाइप-5 के आवास में रहने वालों को रहने का अधिकार दिया गया था जबकि पहले पत्रकारों के लिए टाइप -4 तक ही आवास अनुमन्य थे।
23rd December, 2016