उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी में मचे घमासान पर 13 जनवरी शुक्रवार को चुनाव आयोग में सुनवाई हुई थी। समाजवादी पार्टी में नेतृत्व के लिए शुरू हुई लड़ाई, पार्टी पर प्रभुता का झगड़ा बन गयी है। जिसके बाद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से उतारकर मुख्यमंत्री अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया था। जिसके बाद सपा प्रमुख ने चुनाव आयोग में गुहार लगायी थी। चुनाव आयोग ने 13 जनवरी को मामले में अंतिम सुनवाई की थी। सुनवाई के बाद चुनाव आयोग के पास सिर्फ तीन ही विकल्प बचे हैं।
समाजवादी पार्टी में मचे घमासान पर चुनाव आयोग ने शुक्रवार 13 जनवरी को अंतिम सुनवाई की थी।
चुनाव आयोग का पहला विकल्प:
चुनाव आयोग ने समाजवादी विवाद पर 13 जनवरी को मैराथन बैठक की थी।
बैठक में दोनों ओर के पक्षों को सुनने के बाद मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
हालाँकि, अब चुनाव आयोग के पास सिर्फ तीन तरीके ही बचे हैं, जिस पर आयोग अपना फैसला सुना सकता है।
गौरतलब है कि, बैठक में सपा प्रमुख लगातार खुद के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने का दावा कर रहे थे।
यदि चुनाव आयोग सपा प्रमुख को राष्ट्रीय अध्यक्ष मानता है तो निर्विवाद रूप से साइकिल का निशान सपा प्रमुख को दे दिया जायेगा।
चुनाव आयोग का दूसरा विकल्प:
यदि चुनाव आयोग रामगोपाल के दावों के साथ जाता है, तो अखिलेश यादव को साइकिल का निशान दिया जा सकता है।चुनाव
आयोग का तीसरा विकल्प:
हालाँकि, अब चुनाव आयोग के पास सिर्फ तीन तरीके ही बचे हैं, जिस पर आयोग अपना फैसला सुना सकता है।
सपा प्रमुख और अखिलेश को चुनाव चिन्ह देने के अलावा चुनाव आयोग सिंबल को फ्रीज भी कर सकता है।
14th January, 2017