मुलायम सिंह यादव पिता मुलायम सिंह यादव जिन्होने अखिलेश यादव को अच्छी शिक्षा विदेशों में दिलाया/ कन्नौज सीट खाली किया सांसद बनाया। 2011 में भाई शिवपाल सिंह यादव से प्रदेश अध्यक्ष कुर्सी को लेकर अखिलेश यादव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। 2012 में पहली बार पूर्ण बहुमत सरकार बनने पर अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया। यही पिता मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश यादव के दुश्मन नम्बर एक है जिसकी राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी छीन करके निर्वाचन आयोग में साइकिल सिम्बल पर दावा ठोंक दिया।
चाचा शिवपाल यादव परिवारिक सूत्र बताते है कि शिवपाल सिंह और शिवपाल सिंह पत्नी ने अखिलेश यादव को बच्चे की तरह पाला पोसा है। राजनीतिक प्रशिक्षण दिया/पिता मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक व्यवस्तता और माता की अस्वस्थता के कारण शिवापाल एवं उनकी पत्नी ने माता-पिता की भूमिका निभाया। वही चाचा शिवपाल अखिलेश यादव के दुश्मन नम्बर दो है। जिन्हें मंत्री पद से बर्खास्त किया और प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छीन लिया।
अमर सिंह चाचा अमर सिंह जिन्होंने अखिलेश की पढाई और प्रेम विवाह में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सपा पार्टी से अलग होने के बाद भी अमर सिंह भतीजे अखिलेश पर सीधा हमला नहीं किया। समय-समय पर आर्थिक मद्द भी किया और राजनीति में आर्थिक स्रोत का पाठ भी पढाया। यही चाचा अमर सिंह दुश्मन नम्बर तीन।
चचेरे चाचा अखिलेश के दोस्त राम गोपाल यादव जिनका प्रत्यक्ष रूप में अखिलेश यादव के जीवन में जन्म से लेकर मुख्यमंत्री कुर्सी तक कोई महत्वपूर्ण योगदान नहीं दिखाई दे रहा है। वही चाचा दोस्त नम्बर एक है। उनके इशारे पर अखिलेश ने पिता मुलायम सिंह यादव की राष्ट्रीय अध्यक्ष कुर्सी लेकर दुश्मन नम्बर एक , प्रदेश अध्यक्ष कुर्सी और मंत्रिमण्डल से बर्खास्त करके शिवपाल सिंह यादव को दुश्मन नम्बर दो बना दिया।
नरेश अग्रवाल कांग्रेस-भाजपा, बसपा से होकर सपा तक राजनीतिक सफर करने वाले सांसद नरेश अग्रवाल अखिलेश यादव के दोस्त नम्बर दो है। नरेश अग्रवाल की योग्यता राम गोपाल यादव की दोस्ती और राजनीतिक स्वार्थ अभिषेक मिश्र, नीरज शेखर, सहित तमाम सांसद/विधायक एवं विधान परिषद सदस्य जिनका वजूद सपा के राष्ट्रीय मुखिया मुलायम सिंह यादव से बना है। अपने निजी राजनीतिक लाभ के लिए अखिलेश यादव के साथ खड़े है। अधिकारी एवं मीडिया अपने-अपने निजी स्वार्थ से अखिलेश यादव के मित्र है।
युवाओं की टीम जिन्होने 2012 में सत्ता में आने के बाद पांच वर्ष तक ठेका टेन्डर एवं पावर का लाभ लिया है उनकी भाषा अखिलेश यादव के समर्थन एवं मित्र की है।
वर्तमान में जो राजनीतिक हालात हैं यूरिड मीडिया ग्रुप के विश्लेषण में सपा के विवाद के लिए तमाम कारण हो सकते है लेकिन एक महत्वपूर्ण कारण अखिलेश यादव की हठ धर्मिता आौर पिता-चाचा के प्रति अविश्वास भी महत्वपूर्ण कहा जा सकता है।
अखिलेश यादव परिवार एवं पार्टी में दोस्त और दुश्मन तय करके 2017 चुनावी मैदान में असली चुनौती देने वाली बसपा एवं भाजपा जैसी कैडर वाली पार्टी से मुकाबला करने जा रहे है जबकि सपा कैडर विभाजित है। ऐसे में कांग्रेस-रालोद व अन्य गठबन्धन भी अखिलेश यादव को वैसी मजबूती नहीं दिला पाएगा जैसा पिता मुलायम सिंह यादव दिला सकते है।
अखिलेश यादव को बाहरी से ज्यादा अपने लोगों के विरोधो का सामना करना पड़ेगा और मतदाताओं को जवाब भी देना पड़ेगा कि पिता मुलायम सिंह यादव के साथ ऐसा बर्ताव क्यों किया?
कहा जाता है- मनुष्य बली नही होता है समय होता बलवान
11 मार्च 2017 को तय हो जायेगा कि समय किसे बलवान बनाता है क्योंकि चुनाव में तो सभी बलवान दिखते है? असली बलवान परिणाम आने पर सामने आते है।
16th January, 2017