चुनाव आयोग के अहम फैसले के बाद समाजवादी पार्टी और चुनाव चिह्न साइकिल यूपी के सीएम अखिलेश यादव खेमे की हो गई है। अब सपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आज लखनऊ में अपने समर्थकों से मुलाकात करेंगे।
यूपी में 7 चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव की शुरुआत 11 फरवरी से होने वाली है। ऐसे में अखिलेश यादव का अब पूरा ध्यान पार्टी को अधिक से अधिक सीटें जीताने के लिए चुनावी रणनीति पर होगी।
चुनावा आयोग के फैसले के बाद अखिलेश यादव सोमवार रात अपने पिता मुलायम सिंह यादव से मिले। उसके बाद उन्होंने ट्वीट कर कहा कि साइकिल चलती जाएगी और आगे बढ़ती जाएगी।
सपा के अंदर मचे घमासान के खत्म होने के बाद अब अखिलेश कांग्रेस और अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन करके दोबारा यूपी की सत्ता पर काबिज होने की रणनीति पर आगे बढ़ेंगे।
सपा और चुनाव निशान साइकिल पर कुछ ऐसे हुआ फैसला
चुनाव आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी की अध्यक्षता वाले तीन सदस्य आयोग ने विस्तृत सुनवाई के 13 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आयोग ने दो मुद्दे तय किए थे, पहला, क्या पार्टी में विभाजन हुआ है। दूसरा, यदि विभाजन है तो बहुमत किसके पास है और चुनाव निशान किसे दिया जाए।
आयोग ने फैसले में कहा कि पार्टी में विभाजन हुआ था। मुलायम यिंह खेमा यह दवा करता रहा कि 1 जनवरी को लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में होने वाले वार्टी को अधिवेशन असंवैधानिक था। इसलिए पार्टी में विभाजन नहीं हुआ है, और मुलायम सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हुए हैं। इस अधिवेशन में अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था। अधिवेशन में पार्टी के 90 फीसदी प्रतिनिधियों, विधायकों और सांसदों ने हिस्सा लिया था।
आयोग ने कहा कि मुलायम सिंह यादव की ओर से आयोग को दिए गए पत्र में उन्होंने खुद स्वीकार किया कि पार्टी में विभाजन हो चुका है। आयोग ने पार्टी के महासचिव अमर सिंह के 3 जनवरी के पत्र का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने आयोग को लिखा, हमारा विनम्र आग्रह है कि समाजवादी पार्टी तथा इसके चुनाव निशान के विवाद का निपटारा पार्टी के संविधान के अनुसार किया जाए न कि टूटे हुए धड़े के दावों के अनुसार।
आयोग ने कहा कि यह स्वीकारोक्ति मुलायम खेमे के सभी दावों को ध्वस्त कर देती है कि पार्टी में विभाजन नहीं हुआ, इसलिए यह माना जाता है कि पार्टी में विभाजन हो गया।
चुनाव निशान पर आयोग ने कहा कि चुनाव निशान आदेश,1968 के पैरा-15 के अनुसार इसका फैसला बहुमत को देखते हुए किया जाता है। अखिलेश यादव खेमे ने दवा किया है उनके पक्ष में पार्टी के सांसद, विधायक, विधान पार्षद तथा पार्टी प्रतिनिधियों का 90 फीसदी समर्थन है।
इसके बारे में उन्होंने कहा कि 228 विधायकों में से 205 विधायक, 68 विधानपार्षदों में से 56 तथा लोकसभा और राज्यसभा के 24 सदस्यों में से 15 का समर्थन उन्हें प्राप्त है। इसके अलावा पार्टी के 5731 प्रतिनिधियों में 4716 का समर्थन भी उनके साथ है। जबकि मुलायम खेमे ने ऐसा कोई दावा ही नहीं किया। इसलिए चुनाव निशान साइकिल अखिलेश खेमे को इस्तोमल करने की अनुमति दी जाती है।
17th January, 2017