उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भले ही स्वास्थ्य सेवाओं का हर जगह बखान करें लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और है। प्रशासनिक अधिकारियों की जुबान पर भले ही समाजवादी एम्बुलेंस 102 और 108 फर्राटे भर रही हो लेकिन यह आम लोगों की मदद नहीं कर पा रही है।
डिलीवरी से पहले ही डॉक्टरों लिख दिया पेट में बच्चे की मौत
वैसे तो डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है लेकिन यह डॉक्टर कभी-कभी यमराज का रूप धारण कर लेते हैं।ऐसा ही एक मामला मेरठ जिले में देखने को मिला। यहां एक गर्भवती महिला के परिजन प्रसव कराने के लिए उसे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल लेकर घूमते रहे लेकिन संवेदनहीन डॉक्टर रेफर करते रहे इतना ही नहीं डॉक्टरों ने रेफर रसीद पर भी डिलीवरी से पहले ही बच्चे की मौत दिखा दी। यही नहीं अच्छी सुविधाओं का दावा ठोंकने वाली समाजवादी एम्बुलेंस भी दगा दे गई। इसका नतीजा यह हुआ कि महिला 7 घण्टे भीषण ठण्ड में अस्पताल के बाहर तड़पती रही और खुले में प्रसव हो गया। ठंड अधिक होने और इलाज न मिलने से नवजात की मौत हो गई इसके बाद जमकर हंगामा हुआ।
यह है घटनाक्रम
जानकारी के मुताबिक, लावड़ निवासी 32 वर्षीय महिला मंगलवार को प्रसव पीड़ा में सात घंटे तक तड़पती रही। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सीएचसी, जिला महिला चिकित्सालय से लेकर मेडिकल कॉलेज में इलाज नहीं मिला। मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों ने भर्ती करने से इंकार किया। परिजन उसे लेकर चल दिए ऐसे में करीब सात घंटे की पीड़ा के बाद महिला को मेडिकल कॉलेज में खुले में प्रसव हो गया। इसके बाद हंगामा हुआ और मामले ने तूल पकड़ा तो आनन-फानन में महिला को भर्ती कर लिया गया। महिला के देवर कामिल की जुबानी सुनकर आपका कलेजा भी कांप जाएगा। लेकिन मेडिकल कॉलेज में बैठे चिकित्सकों की दिल नहीं पसीजा। कामिल का कहना है कि उसकी भाभी को सुबह नौ बजे प्रसव पीड़ा हुई थी। वह उसे लावड़ पीएचसी पर लेकर पहुंचे तो उन्होंने दौराला सीएचसी रेफर कर दिया। 108 एंबुलेंस पर फोन किया तो एंबुलेंस नहीं आयी।
ऐसे में किराये के वाहन से सीएचसी पर पहुंचे लेकिन वहां से जिला महिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया। वहां पर करीब 2 घंटे तक इंतजार करने के बाद एंबुलेंस पहुंची। जिसके बाद जिला महिला चिकित्सालय पहुंचे वहां पर चिकित्सकों ने देखते ही कहा कि इनकी हालत गंभीर है। इन्हें वेंटिलेटर पर लेना पड़ सकता है क्योंकि महिला में खून की कमी है। इसलिए मेडिकल कॉलेज में ले जाओ वहीं पर कंप्लीट ट्रीटमेंट मिल सकता है।
ऐसे में हमने जिला अस्पताल में एंबुलेंस मांगी तो उन्होंने 108 पर बात कराई। लेकिन काफी देर इंतजार करने के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची ऐसे में किराये का वाहन करके मेडिकल कॉलेज पहुंचे। कामिल ने बताया कि जिस वक्त मेडिकल कॉलेज में पहुंचे तो हम लोग जिला महिला अस्पताल से दी गई रेफर रसीद लेकर डॉक्टर से मिले तो उन्होंने कहा कि कागज में लिखा है कि बच्चे की पेट में ही मौत हो चुकी है।
18th January, 2017