चेन्नई-- तमिलनाडु की जनता को जल्द ही वीके शशिकला के रूप में अपनी नयी मुख्यमंत्री मिलने वाली हैं. रविवार को AIADMK की हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया जिसमें ओ पन्नीरसेल्वम ने सीएम पद से इस्तीफा दिया, साथ ही शशिकला के नाम का भी प्रस्ताव रखा. शशिकला को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है और सूत्रों की मानें तो वह जल्द ही सीएम पद की शपथ ले सकती हैं. हालांकि शशिकला के लिए यह फूलों की गद्दी नहीं होने वाली है और उन्हें आने वाले वक्त में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है -
एक नज़र उन चुनौतियों पर :
शशिकला के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा है जिसका फैसला मई में आने की संभावना है. 50 करोड़ से भी ज्यादा की आय से अधिक संपत्ति रखने वाले इस मामले में जयललिता के साथ साथ शशिकला और दो लोग और भी अभियुक्त हैं. जयललिता को इन आरोपों से बरी कर दिया गया था लेकिन शशिकला के साथ साथ उनके भतीजे वीएन सुधाकरन और उनकी ननद इल्लावारासी पर अभी भी इस मामले की तलवार लटक रही है.
गौरतलब है कि शशिकला ने कोई चुनाव नहीं लड़ा है और वह राजनीति में सीधे तौर पर सक्रिय नहीं थीं. आने वाले छह महीने में उन्हें किसी विधानसभा सीट से चुनाव जीतना होगा.
शशिकला को पार्टी का समर्थन तो मिल गया है लेकिन अभी उनके लिए तमिलनाडु की जनता का समर्थन और प्यार हासिल करना भी बहुत ज्यादा मायने रखता है. अपने नेताओं को बेहद प्यार करने के लिए पहचाने जाने वाली तमिलनाडु की जनता क्या शशिकला को अपने दिल में 'अम्मा' की तरह जगह दे पाएगी.
सीएम बनने के बाद भी शशिकला के मन्नारगुडी खानदान पर सबकी नज़र रहेगी. तमिलनाडु की राजनीति में शशिकला के परिवार को 'मन्नारगुडी खानदान' के नाम से भी जाना जाता है. राज्य के तिरुवरुर ज़िले में मन्नारगुडी में शशिकला के परिवार की जड़ें हैं. यह बात भी किसी से छुपी नहीं है कि जयललिता से शशिकला की नज़दीकियों का सिलसिला उनके पति एम नटराजन की वजह से ही शुरू हुआ था. ऐसे में शशिकला के हाथ में सरकार की कमान दिए जाने के बाद सत्ता में उनके परिवार की दखलअंदाज़ी पर विरोधी पार्टियां निश्चित ही नज़र बनाकर रखेगी.
इन सबके बीच जयललिता की भतीजी दीपा जयकुमार पर भी राजनीतिक पंडितों की नज़र रहेगी. AIADMK के एक खेमे में माना जाता है कि शशिकला के सामने दीपा एक कड़ी चुनौती बनकर आ सकती हैं. दिलचस्प बात यह है कि दीपा में जयललिता की झलक साफ तौर पर नज़र आती है. दीपा पिछले साल तब सुर्खियों में आई जब चेन्नई में उन्हें उनकी बुआ से अस्पताल में मिलने नहीं दिया गया. बाद में उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें जयललिता के अंतिम संस्कार में आने से भी रोका गया. NDTV पर लिखे एक ब्लॉग में दीपा ने कहा था - खून का रिश्ता होने की वजह से मैं उनके मुश्किल वक्त में उनके साथ रहना चाहती थी. क्योंकि मैं उनसे सबसे ज्यादा प्यार करती थी. कई लोग तो मुझे ही बुआ का उत्तराधिकारी मानते थे.'
इसके अलावा यह भी देखना दिलचस्प होगा की शशिकला की केंद्र सरकार के साथ कितनी पटरी बैठ पाती है. बताया जाता है कि शशिकला को पार्टी का महासचिव बनाए जाने के फैसले से केंद्र सहमत नहीं था. ऐसे में देखना होगा कि सीएम का कार्यभार संभालने के बाद केंद्र और राज्य सरकार के बीच क्या समीकरण बैठ पाता है.
6th February, 2017