उत्तरप्रदेश की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी व इस प्रदेश के मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर हमेशा से ही ऊँगली उठती रही है. फिर चाहे व पीएम मोदी हो, अमित शाह हो या फिर बसपा सुप्रीमो मायावती हो, हर कोई सीएम अखिलेश के इस सपने में सेंध लगाता नज़र आया है. परंतु हाल ही में संसद के प्रतिनिधिमंडल द्वारा इस एक्सप्रेसवे का मुआयना किया गया था, जिसके बाद इस प्रतिनिधिमंडल द्वारा प्रदेश सरकार के इस प्रोजेक्ट को पूर्णत हरी झंडी मिली है.
भूमि अधिग्रहण के लिए सबसे अच्छा मॉडल :
उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा बनवाया गया लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे शुरू से ही किसी ना किसी विवाद का शिकार बना है.
जहाँ एक ओर इस प्रोजेक्ट पर ज़्यादा धनराशि खर्च करने के इलज़ाम लगते रहे हैं,
वहीँ दूसरी ओर सरकार द्वारा इस मामले पर सफाई देते हुए कहा गया था कि यह इस तरह के बाकी प्रोजेक्टों के लिए यह एक मिसाल साबित हुआ है.
यही नहीं संसद के प्रतिनिधिमंडल द्वारा इस एक्सप्रेसवे का मुआयना किया जाने के बाद इसे भूमि अधिग्रहण के मामले में अब तक का सबसे अच्छा मॉडल माना जा रहा है.
आपको बता दें कि इसके अलावा इस एक्सप्रेसवे पर करीब 4 किमी का रनवे भी है, जो अब तक किसी भी एक्सप्रेसवे पर संभव नहीं हो सका है.
उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा यह भी दावा किया गया है कि यह प्रोजेक्ट एक ऐसा प्रोजेक्ट है जो अपने तय समय में पूरा हुआ है.
साथ ही कहा गया है कि NHAI द्वारा अब तक बनाए गए सभी हाईवे प्रोजेक्टों में से यह एक मिसाल बन गया है,
ऐसा इसलिए क्योकि अब तक NHAI भी इस तरह के प्रोजेक्ट को अंजाम नहीं दे सकी है.
बता दें कि प्रदेश सरकार द्वारा यह भी दावा किया गया है कि इस भूमि अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले किसानों को भी मार्किट के रेटों पर मुआवज़ा दिया गया है.
इस एक्सप्रेसवे के एक मुख्य इंजीनियर के अनुसार अगर देश के बाकी हाईवे व लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे के निर्माण के आकड़ों पर नज़र डाली जाए, तो इस एक्सप्रेसवे के हर किमी के निर्माण का मूल्य और निर्माणों के मुकाबले कम ही रहा है.
मुख्य इंजिनियर के अनुसार अगर दिल्ली-मेरठ के 6 लेन वाले एक्सप्रेसवे की बात की जाए,
तो इसकी प्रति किमी की कीमत करीब 47 करोड़ है, जबकि लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे के प्रति किमी की कीमत करीब 33 करोड़ है.
16th February, 2017