हरिद्वार-- उत्तराखंड राज्य की 69 सीटों पर 15 फ़रवरी को मतदान हो चुका है। कुल 628 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में बंद हो चुकी है। इस बार 68 प्रतिशत मतदान रिकॉर्ड किया गया। आज हम उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की कुछ खास बातों पर गौर करते हैं।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में इस बार हुआ रिकॉर्ड मतदान
मतदान
सबसे पहले बात करते हैं कुल मतदान की तो इस बार उत्तराखंड में रिकॉर्ड वोटिंग दर्ज की गई। इस बार प्रदेश में कुल 68 फीसदी मतदान हुआ। जबकि कर्णप्रयाग में एक प्रत्याशी की मौत के बाद 9 मार्च को चुनाव होना है।
इसके सात ही कुल मतदान के आंकड़े भी बदल जायेंगे।
जानकारी के मुताबिक पूरे राज्य में सबसे ज्यादा वोट उत्तरकाशी में पड़े, यहाँ कुल वोटर्स में से 73 प्रतिशत लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया। इसके बाद 70 प्रतिशत मतदान के साथ उधमसिंह नगर, हरिद्वार और नैनीताल दूसरे नंबर पर रहे। जबकि वहीँ देहरादून में 67% और रुद्रप्रयाग में 63% वोटिंग हुई। बागेश्वर, चंपावत और अलमोड़ा में 62 फीसदी मतदान रिकॉर्ड हुआ जबकि चमोली में 61 फीसदी वोट पड़े। पिथौरागढ़, पौड़ी और टिहरी में 60% वोटिंग हुई।
वीवीपैट मशीन
पहली बार उत्तराखंड में इन विधानसभा चुनावों में तीन सीटों पर वीवीपैट मशीन का इस्तेमाल किया गया। इस मशीन के द्वारा वोटर जान पाटा है कि उसका वोट किसे दिया है। नीपुर, देहरादून जिले की धर्मपुर और उधमसिंह नगर जिले की रुद्रपुर विधानसभा सीट पर वीवीपैट मशीन का इस्तेमाल किया गया।
कई जगहों पर वोटिंग का बहिष्कार
वहीँ इस उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कई जगहों पर नाराज लोगों ने मतदान का बहिष्कार भी किया। जरूरी सुविधाएं न मिलने के कारण गढ़वाल और कुमाऊं इलाकों के कई गांवों ने वोट न करने की चेतावनी पहले ही दे दी थी। गढ़वाल के उत्तरकाशी जिले में स्थित पुरोला के ओस्ला, गंगार, पवान और दांतीर गांव में मतदान का बहिष्कार हुआ। अल्मोड़ा के बाबरीयानायाल गांव और सोमेश्वर के खाटा गांव में लोगों ने वोट डालने से इनकार कर दिया। जबकि धारचुला विधानसभा सीट के क्वीरीजिमिया गांव में केवल 6 लोगों ने ही मतदान किया। खास बात यह थी कि ये सभी सरकारी अधिकारी थे।
इसके अलावा उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान रूस, नामीबिया, किर्गिस्तान, मिस्र और बांग्लादेश सहित 13 देशों के चुनाव प्रबंधन निकायों के प्रतिनिधि और प्रमुख आये थे। इस प्रतिनिधिमंडल में नामीबिया के निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष एवं एक आयुक्त, मिस्र के सुप्रीम कोर्ट के दो सदस्य, रूसी संघ के केंद्रीय निर्वाचन आयोग के सदस्य तथा बांग्लादेश और किर्गिस्तान के निर्वाचन आयोग के वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल थे। इन लोगों ने बड़ी बारीकी से चुनाव प्रक्रिया तो समझी ही साथ ही साथ ईवीएम की जानकारी ली और वोटिंग के दौरान कई मतदान केन्द्रों का दौरा भी किया।
एक सीट पर उत्तराखंड विधानसभा चुनाव टला
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कर्ण प्रयाग में बीएसपी प्रत्याशी की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद चुनाव आयोग ने मतदानताल दिया था। अब 9 मार्च को याहन मत पड़ेंगे। दो सीटों से लड़े हरीश रावत
मुख्यमंत्री हरीश रावत दो जगह से लड़ रहे चुनाव
राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस विधानसभा चुनाव में दो सीटों से अपना भाग्य आजमाया है। इस बार रावत हरिद्वार (ग्रामीण) के अलावा उधमसिंह नगर जिले की किच्छा सीट भी चुनावी मैदान में थे। आपको बता दें कि हरीश रावत फिलहाल पिथौरागढ़ जिले की धारचूला सीट से विधायक हैं।
इन दिग्गजों की साख दांव पर
कांग्रेस छोडकर बीजेपी में शामिल हुए पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत की कोटद्वार और बाजपुर में यशपाल आर्य और चौबट्टाखाल में सतपाल महाराज की अग्निपरीक्षा है। पूर्व सीएम बीसी खंडूरी की बेटी रितू खंडूरी के चुनाव लडने से यमकेश्वर में सबकी नजरें हैं। इसी तरह पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ बहुगुणा सितारगंज से किस्मत आजमा रहे हैं। खास बात ये है कि बीजेपी ने चौबटटाखाल और यमकेश्वर में मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर महाराज और रितू को मौका दिया है। भारतीय जनता पार्टी के लिए कांग्रेस के बागियों वाली सीटें पर भी नजरें रहेंगी, क्योंकि वहां भीतरघात की आशंका है।
कांग्रेस के सामने बागियों के जाने के बाद उनके विकल्प में उतरे नए उम्मीदवारों को जीताना बड़ी चुनौती है। गौरतलब है कि उत्तराखंड का पूरा चुनाव प्रचार कांग्रेस की तरफ मुख्यमंत्री हरीश रावत और भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर केंद्रित रहा है। जहां कांग्रेस रावत को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करके चुनावी मैदान में उतरी है। भारतीय जनता पार्टी बिना चेहरे के नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांग रही है।
कांग्रेस के इकलौते स्टार प्रचार सीएम रावत ने जनसभाओं में चुनाव को उत्तराखंड के स्वाभिमान से जोड़ने पर जोर लगा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सहायता से उत्तराखंड के विकास को जोड़कर वोट मांगे हैं।
ख़ास बातें
मतदान प्रकिया की 221 स्थानों पर वीडियोग्राफी हो रही है, जबकि 197 स्थानों पर वेबकास्टिंग के साथ 2,012 मतदान केंद्रों पर मतदान प्रक्रिया की फोटोग्राफी की जा रही है। आपको बता दें कि सर्वाधिक ऊंचा मतदान केंद्र यमुनोत्री है जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 9,800 फीट है। 1,285 मतदन केंद्रों पर सीआरपीएफ की तैनाती के साथ सभी मतदान केद्रों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
18th February, 2017