तमिलनाडु विधानसभा के विशेष सत्र में मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामी की ओर से पेश किए गए विश्वास मत प्रस्ताव पर वोटिंग शुरू हो गई है. इस दौरान द्रमुक विधायकों ने जोरदार हंगामा किया और उन्होंने पन्नीरसेल्वम के समर्थन में जमकर नारे लगाए. विधानसभा अध्यक्ष ने द्रमुक और पन्नीरसेल्वम के समर्थकों के गुप्त मतदान की मांग खारिज कर दी.
माना जा रहा है कि आखिरी मिनट पर कोई बड़ा उलटफेर ना हो तो पलानीस्वामी विश्वास मत हासिल कर लेंगे. तमिलनाडु की राजनीति में 29 साल बाद कोई मुख्यमंत्री विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का सामना कर रहे हैं.
पलानीस्वामी को लगा झटका
वैसे विरोधियों के मुश्किल खड़ी करने से पहले अपने ही पलानीस्वामी की मुश्किल बढ़ा सकते हैं.
विश्वास मत की पूर्व संध्या पर पलानीस्वामी गुट को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब विधायक और राज्य के पूर्व डीजीपी आर नटराज ने कहा कि वे पलानीस्वामी के विश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करेंगे.
नटराज के इस कदम से 234 सदस्यों वाली विधानसभा में पलानीस्वामी के कथित समर्थक विधायकों की संख्या कम होकर 123 रह गई है. अन्नाद्रमुक ने वरिष्ठ पार्टी नेता केए सेनगोट्टायन को सदन में पार्टी का नेता चुना है.
डीएमके और कांग्रेस ने खोले पत्ते
द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि उनकी पार्टी पलानीस्वामी सरकार के विश्वास मत के खिलाफ मतदान करेगी. वहीं, कांग्रेस ने भी विश्वास मत के खिलाफ ही वोटिंग करने का फैसला किया है.
मायापोर विधायक नटराज ने कहा, 'मैं इदाप्पडी के पलानीस्वामी सरकार के विश्वास मत के प्रस्ताव के खिलाफ मतदान के लिए विवश हूं. मैंने अपने विधानसभा क्षेत्र में लोगों से बात की और उनमें से अधिकतर की राय है कि पनीरसेल्वम की सरकार को बने रहना चाहिए. मुझे विधानसभा के लोगों की राय को विधानसभा में प्रतिबिंबित करना होगा.'
नटराज ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वो इसे विश्वास मत के तौर पर नहीं बल्कि 'अंत:करण' के मत के तौर पर देखते हैं.
अन्नाद्रमुक के 134 विधायक
नटराज के इस कदम से पहले पलानीस्वामी ने 124 विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए कहा था कि उनकी सरकार टिकी रहेगी. वहीं, पनीरसेल्वम ने शशिकला और उनके परिवार के खिलाफ तब तक अपनी जंग जारी रखने का फैसला किया है 'जब तक अम्मा (जयललिता) का शासन बहाल नहीं हो जाता.'
पनीरसेल्वम के पास अब 11 विधायकों का समर्थन है, लेकिन विशेषज्ञों को लगता है कि अगर पलानीस्वामी गुट के कुछ और विधायकों को अपने पक्ष में करने में कामयाब हो जाते हैं तो वे उसे अल्पमत की सरकार बना सकते हैं. 234 सदस्यों वाली विधानसभा में अन्नाद्रमुक के 134 विधायक हैं.
जयललिता ने जुलाई 2012 में सेनगोट्टायन को राजस्व मंत्री के पद से हटा दिया था. तब वे पार्टी में मुख्यालय सचिव के पद पर भी थे, उन्हें इस पद से भी हटा दिया गया था.
नई सरकार को सदन में बहुमत साबित करने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया था, लेकिन अन्नाद्रमुक की महासचिव शशिकला के वफादार माने जाने वाले पलानीस्वामी ने दो दिन में ही बहुमत साबित करने का फैसला किया है.
शशिकला के खिलाफ पिछले हफ्ते पूर्व मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम के विद्रोह की वजह से राजनीतिक गतिरोध बन गया था और अन्नाद्रमुक समर्थक दो धड़ों में बंट गए थे.
पनीरसेल्वम की भावुक अपील
इधर, पनीरसेल्वम ने अन्नाद्रमुक विधायकों से मुख्यमंत्री पलानीस्वामी के विश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने की शुक्रवार रात अपील करते हुए कहा कि उन्हें 'परिवार राज' का समर्थन नहीं करना चाहिए. विश्वास प्रस्ताव का समर्थन दिवंगत प्रमुख जयललिता और उनको वोट देने वालों को धोखा देने के बराबर होगा.
पनीरसेल्वम ने एक संदेश में अन्नाद्रमुक विधायकों को कहा कि जयललिता ने उन सब को तैयार किया और एक पहचान दिलाई. उन्होंने द्रमुक का नाम लिए बिना कहा कि जयललिता ने अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखते हुए राज्य में परिवार राज की स्थापना नहीं होने पाए, इसके लिए राज्यभर का दौरा किया.
उन्होंने पार्टी महासचिव शशिकला के 2011 में पार्टी से निकाले जाने का जिक्र करते हुए विधायकों से पूछा कि क्या वह ऐसे निष्कासित व्यक्ति के परिवार राज का सहयोग करेंगे?
गुप्त मतदान की मांग
पन्नीरसेल्वम गुट के नेताओं ने तमिलनाडु विधानसभा में पेश होने वाले विश्वास प्रस्ताव पर गुप्त मतदान की मांग की है.
पन्नीरसेल्वम के आवास पर शुक्रवार सुबह सघन चर्चा के बाद ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके-पन्नीरसेल्वम गुट) नेताओं के एक समूह ने सचिवालय में विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात की और शनिवार को होने वाले विश्वास मत के दौरान गुप्त मतदान की मांग की.
एआईएडीएमके के एक पूर्व सांसद का विचार है कि पन्नीरसेल्वम का समर्थन करने वाले विधायकों को अपनी बगावत को दर्शाने के लिए विश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करना चाहिए.
18th February, 2017