युरिड मीडिया डेस्क
- पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार में कैबिनेट मंत्री और गैंगरेप के आरोपी गायत्री प्रजापति को जमानत देने वाले अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश को शुक्रवार को हाई कोर्ट की प्रशासनिक समिति ने निलंबित कर दिया. कोर्ट ने मिश्रा के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं. खबरों के मुताबिक जस्टिस सुधीर अग्रवाल मिश्रा के खिलाफ जांच करेंगे जस्टिस ओम प्रकाश मिश्रा के सारे अधिकार भी सीज कर दिए गए हैं. जस्टिस मिश्रा POSCO कोर्ट में तैनात हैं और 30 अप्रैल यानी कल रिटायर हो जाएंगे.
अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रजापति पर 2014 में एक महिला से बलात्कार करने और उसकी बेटी से रेप की कोशिश के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था. 17 फरवरी को हाई कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रजापति और 6 अन्य लोगों पर मुकदमा दायर किया गया था. पिछले महीने की 15 तारीख को पुलिस ने प्रजापति को गिरफ्तार करके जेल भेजा था. प्रजापति को इस दौरान लखनऊ के अशियाना इलाके से गिरफ्तार किया गया था. प्रजापति ने गिरफ्तार होने के बाद कहा था कि अगर पुलिस सच सामने लाना चाहती है तो उनका और कथित पीड़िता मां-बेटी का नारको टेस्ट करवाया जाना चाहिए.
शुक्रवार को गायत्री प्रजापति को जमानत देने के फैसले के खिलाफ सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान ही जस्टिस ओम प्रकाश मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई के संकेत मिल गए थे. मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले ने कोर्ट से उठते ही इस बाबत निर्देश जारी किया था. बता दें कि प्रजापति की जमानत पर विरोध जताते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि जिन स्थितियों में जमानत दी गई, वह घोर आपत्तिजनक है. जज ओमप्रकाश मिश्रा ने जमानत देते हुए कहा था कि अभियुक्तों के साथ सहवास में महिला की सहमति थी. उन्होंने कहा कि अगर 3 साल से दुष्कर्म हो रहा था तो कहीं शिकायत क्यों नहीं की.
29th April, 2017