युरिड मीडिया डेस्क-
मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, लेकिन हाल के समय में पत्रकारों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं। एक-डेढ़ साल (16 महीने) में उन पर 54 से ज्यादा हमले सामने आए हैं। मीडिया वॉचडॉग हूट ने अपनी एक रिपोर्ट में यह आंकड़े पेश किए हैं, वो भी वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे के मौके पर। तीन मई को दुनिया भर में इसे मनाया जाता है।
इंवेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग पर खतरा ज्यादा
हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पत्रकारों पर हमले के वास्तविक आंकड़े इससे कहीं ज्यादा हैं, क्योंकि एक मंत्री ने संसद को बताया कि साल 2014-15 के बीच पत्रकारों पर 142 हमले हुए। वहीं इन हमलों के पीछे की कहानियां एक स्पष्ट तस्वीर बयां कर रही हैं और वो यह कि इंवेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग तेजी से खतरनाक साबित होती जा रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, पत्रकार जो किसी स्टोरी को इंवेस्टिगेट करने के लिए बाहर जाते हैं, फिर चाहे वो रेत खनन, पत्थर उत्खनन, अवैध निर्माण, पुलिस क्रूरता, चिकित्सकीय लापरवाही, चुनाव अभियान या नागरिक प्रशासन भ्रष्टाचार का मामला हो, उन पर हमले किए जाते हैं।
ये लोग कर रहे पत्रकारों पर हमले
यह भी कहा गया कि पत्रकारों पर ज्यादातर हमले पुलिस व मीडिया कवरेज का विरोध करने वाली राजनीतिक पार्टियों व उनके नेताओं, भीड़ द्वारा किए गए। इसके अलावा मीडिया के स्वतंत्र कामकाज को प्रभावित के लिए उठाए गए तमाम कदमों पर भी बात रखी, जैसे कि किसी इलाके में इंटरनेट सर्विस को रद कर देना, मीडिया कंपनियों पर सेल्फ-सेंसरशिप, देशद्रोह कानून लागू कर देना इत्यादि।
रिपोर्ट में उदाहरण के तौर पर आतंकी बुरहान वानी की हत्या पर दो कश्मीर अखबारों के प्रिंटिंग प्रेस को बंद करने और उसी दौरान कश्मीर रीडर पर तीन महीने के लिए बैन लगा देने का उल्लेख किया गया है। पिछले साल जनवरी में पठानकोठ हमले की कवरेज के लिए एनडीटीवी चैनल पर एक दिन के लिए बैन लगाने का भी जिक्र किया गया है, ऑपरेशन की रणनीतिक जानकारी के खुलासे का आरोप लगा था। हालांकि चैनल द्वारा सुप्रीम कोर्ट का रुख किए जाने के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रतिबंध पर रोक लगा दिया था।
रिपोर्ट के अनुसार, बीते साल जनवरी से जून के बीच बड़ी संख्या में पत्रकारों पर हमले के केस फाइल किए गए। साल के आखिर तक यह आंकड़ा 40 पार कर गया। यह भी कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर ने इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने जैसी समस्या का सबसे ज्यादा सामना किया।
3rd May, 2017