यूरिड मीडिया डेस्क -लखनऊ
। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार पर उंगलियां उठी हैं। सीएजी रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि अखिलेश सरकार ने 20 करोड़ रुपये के बेरोजगारी भत्ता बांटने के लिए करीब 15 करोड़ रुपये समारोह के आयोजन पर खर्च कर दिए। जनरल और सोशल सेक्टर की सीएजी रिपोर्ट में इस तरह के खर्च पर आपत्तियां सामने आई हैं। सीएजी की ये रिपोर्ट गुरुवार को विधासनभा में रखी गई।
मई 2012 में शुरू हुई थी योजना सीएजी रिपोर्ट में जो मुख्य बात उभरकर सामने आई उसके मुताबिक बेवजह खर्च पर लगाम के लिए कदम उठाए जा सकते थे। जैसे बेरोजगारी भत्ता अगर लाभार्थियों को सीधे उनके बैंक अकाउंट में भेजा जाता तो समारोह के आयोजन के खर्च से बचा जा सकता था, इससे योजना का फायदा ज्यादा लाभार्थियों को मिलता।
2012-13 में 69 जिलों में बेरोजगारी भत्ते का हुआ था वितरण सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक अखिलेश यादव सरकार ने बेरोजगारी भत्ता योजना की शुरूआत मई 2012 में की थी। इस योजना में सीधे राष्ट्रीयकृत बैंक या क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में लाभार्थियों के बचत खातों में त्रैमासिक भुगतान की बात कही गई थी। हालांकि रिकॉर्ड में जो बातें सामने आई हैं उसमें 2012-13 में प्रदेश के 69 जिलों के 1,26,521 बेरोजगारों में 20.58 करोड़ रुपये बेरोजगारी भत्ता वितरण किया जाना था। इसके लिए प्रदेश सरकार ने लाभार्थियों को समारोह स्थल पर लाने में 6.99 करोड़ रुपये खर्च किए, वहीं उनके खाने-पीने और बैठने की व्यवस्था पर करीब 8.07 करोड़ रुपये खर्च कर दिए।
15 करोड़ रुपये समारोह के आयोजन पर हुआ था खर्च राज्य सरकार ने सितंबर 2016 में इस संबंध में अपने जवाब में बताया था कि प्रदेश सरकार की ओर से जारी किए गए निर्देशों के अनुसार ही लाभार्थियों को चेक के जरिए वितरण को लेकर खर्च किया गया था। वहीं सीएजी ने इस जवाब के उत्तर में कहा था कि इस तरह से बड़ी संख्या में लाभार्थियों के परिवहन को लेकर इस योजना के दिशा-निर्देशों में विचार नहीं किया गया था।
बता दें कि बेरोजगारी भत्ते की योजना मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में शुरू हुई थी। उस समय 500 रुपए भत्ता दिया गया था, लेकिन 2007 में मायावती की सरकार आने के बाद योजना बंद कर दी गई थी। 2012 में अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा सरकार आने पर ये योजना फिर शुरू हुई। 2012-13 में अखिलेश सरकार ने बजट में 9 लाख लोगों को बेरोजगारी भत्ता देने के लिए 697.24 करोड़ का बजट रखा था। हालांकि, एक साल बाद इस योजना को बंद करना पड़ा।
19th May, 2017