शिवपाल के इस कदम से बीजेपी-बीएसपी में मचेगी अफरा-तफरी !
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पिछले दिनों कांग्रेस से गठबंधन को लेकर कहा था कि उनका साथ हमेशा
कांग्रेस के साथ रहेगा। उन्होंने कहा था कि वे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का साथ नहीं छोड़ेंगे।
27 अगस्त को बिहार की...
वहीं, अब राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की 27 अगस्त को
बिहार की राजधानी पटना में जा रही रैली में खुद और बसपा सुप्रीमो मायावती के शामिल होने की बात कहकर अखिलेश ने प्रदेश में एक बार फिर नए सियासी
गठजोड़ की संभावना को जन्म दे दिया है। हालांकि, प्रदेश का सियासी गणित और सपा-बसपा की उथल-पुथल इन संभावनाओं पर सवालिया निशान भी लगा रही
है। साथ ही यह आशंका भी पैदा कर रही है कि सपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव और बसपा से निष्कासित नसीमुद्दीन सिद्दीकी भाजपा विरोधी
गठबंधन की फांस बन सकते हैं।
चुनाव के दौरान मायावती ने...
खास बात यह है कि इस पूरे घटनाक्रम में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण होगी। क्योंकि देश में भाजपा विरोधी महागठबंधन
खड़ा करने की कोशिश को मुलायम ने ही बिहार चुनाव में सपा के उम्मीदवार उतारकर अंगूठा दिखा दिया था। वहीं, शिवपाल सिंह यादव ने छह जुलाई को
समाजवादी सेकुलर मोर्चा गठित करने और मुलायम को उसका अध्यक्ष बनाने की बात कही है।
गठन का मकसद पुराने और...
यह भी स्पष्ट किया है कि मोर्चा के गठन का मकसद पुराने और
उपेक्षित समाजवादियों व कार्यकर्ताओं को एकजुट करना है। दूसरी तरफ बसपा के बड़े मुस्लिम चेहरे नसीमुद्दीन सिद्दीकी मायावती से अलग होकर राष्ट्रीय बहुजन
मोर्चा बना चुके हैं। वहीं, सपा में शिवपाल उपेक्षित चल रहे हैं, ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि शिवपाल और नसीमुद्दीन एक मंच पर आ सकते हैं।
मायावती अपने धुर-विरोधियों से...
इसकी बड़ी वजह यह है कि नसीमुद्दीन का मायावती विरोधी रुख और शिवपाल का यह कहना कि पहले समाजवादी पार्टी और परिवार तो मुलायम के नेतृत्व में
एकजुट हो जाए, फिर गठबंधन पर बात होगी। यह बताने के लिए पर्याप्त है कि कम से कम ये दोनों नेता भाजपा विरोधी उस गठबंधन में जिसमें अखिलेश या
मायावती हों, जाने वाले नहीं हैं। जाहिर है इन नेताओं का अलग पाले में खड़े होना गठबंधन को कमजोर ही करेगा। ऊपर से मुलायम का रुख भी गठबंधन के
भविष्य पर असर डालेगा।
भाजपा विरोधी दलों को एकजुट...
अखिलेश यादव द्वारा पिछले दिनों महागठबंधन पर बयान, इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि यह कांगे्रस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में भाजपा
विरोधी दलों की उस संयुक्त बैठक के बाद आया, जो राष्ट्रपति चुनाव के सिलसिले में विरोधी दलों की तरफ से साझा उम्मीदवार उतारने पर विचार करने के लिए
बुलाई गई थी।
बसपा प्रमुख मायावती...
बैठक में बसपा प्रमुख मायावती भी शामिल थीं और सपा के प्रमुख रणनीतिकार प्रो. रामगोपाल यादव भी थे। अखिलेश ने यह भी साफ किया है कि
27 अगस्त को पटना में लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में होने वाली साझा रैली 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा विरोधी दलों को एकजुट करने के
कांग्रेस के साथ रहेगा। उन्होंने कहा था कि वे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का साथ नहीं छोड़ेंगे।
27 अगस्त को बिहार की...
वहीं, अब राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की 27 अगस्त को
बिहार की राजधानी पटना में जा रही रैली में खुद और बसपा सुप्रीमो मायावती के शामिल होने की बात कहकर अखिलेश ने प्रदेश में एक बार फिर नए सियासी
गठजोड़ की संभावना को जन्म दे दिया है। हालांकि, प्रदेश का सियासी गणित और सपा-बसपा की उथल-पुथल इन संभावनाओं पर सवालिया निशान भी लगा रही
है। साथ ही यह आशंका भी पैदा कर रही है कि सपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव और बसपा से निष्कासित नसीमुद्दीन सिद्दीकी भाजपा विरोधी
गठबंधन की फांस बन सकते हैं।
खड़ा करने की कोशिश को मुलायम ने ही बिहार चुनाव में सपा के उम्मीदवार उतारकर अंगूठा दिखा दिया था। वहीं, शिवपाल सिंह यादव ने छह जुलाई को
समाजवादी सेकुलर मोर्चा गठित करने और मुलायम को उसका अध्यक्ष बनाने की बात कही है।
गठन का मकसद पुराने और...
यह भी स्पष्ट किया है कि मोर्चा के गठन का मकसद पुराने और
उपेक्षित समाजवादियों व कार्यकर्ताओं को एकजुट करना है। दूसरी तरफ बसपा के बड़े मुस्लिम चेहरे नसीमुद्दीन सिद्दीकी मायावती से अलग होकर राष्ट्रीय बहुजन
मोर्चा बना चुके हैं। वहीं, सपा में शिवपाल उपेक्षित चल रहे हैं, ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि शिवपाल और नसीमुद्दीन एक मंच पर आ सकते हैं।
एकजुट हो जाए, फिर गठबंधन पर बात होगी। यह बताने के लिए पर्याप्त है कि कम से कम ये दोनों नेता भाजपा विरोधी उस गठबंधन में जिसमें अखिलेश या
भविष्य पर असर डालेगा।
विरोधी दलों की उस संयुक्त बैठक के बाद आया, जो राष्ट्रपति चुनाव के सिलसिले में विरोधी दलों की तरफ से साझा उम्मीदवार उतारने पर विचार करने के लिए
बुलाई गई थी।
बसपा प्रमुख मायावती...
बैठक में बसपा प्रमुख मायावती भी शामिल थीं और सपा के प्रमुख रणनीतिकार प्रो. रामगोपाल यादव भी थे। अखिलेश ने यह भी साफ किया है कि
27 अगस्त को पटना में लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में होने वाली साझा रैली 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा विरोधी दलों को एकजुट करने के
3rd June, 2017