यूरिड मीडिया डेस्क/नई दिल्ली।
केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बीच आपसी सद्भाव का लगता है अब अंत समय आ गया है, जिस तरह से केंद्र सरकार ने उर्जित पटेल को आरबीआई का गवर्नर बनाया उसके बाद बहुत ही कम समय में केंद्र उनके काम से असंतुष्ट नजर आने लगी है। केंद्र सरकार का मानना है कि उसे इस बात की उम्मीद थी कि आरबीआई देश की आर्थिक विकास दर को बढ़ाने का प्रयास करेगा, जिसमें ब्याज दरों को कम करना सहित तमाम अन्य कदम शामिल हैं। लेकिन आरबीआई का जिम्मा संभालने के बाद उर्जित पटेल ने सिर्फ 25 बेस प्वाइंट की कमी की है।
सरकार की अपेक्षाओं खरा नहीं उतरी...
गिरती विकास दर के लिए आरबीआई गवर्नर के अलावा मौद्रिक नीति कमेटी के सदस्यों को भी जिम्मेदार ठहराया गया है, जिसकी अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर करते हैं। इस कमेटी में दो आरबीआई के जबकि तीन सरकार के प्रतिनिधि होते हैं। केंद्र सरकार में के एक प्रभावी गुट का मानना है कि आरबीआई सरकार की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर रही है, जिस तरह से ब्याज दरों में कमी नहीं की गई उसने विकास दर को कम करने का काम किया है।
आरबीआई नहीं देना चाहती जवाब ...
दरअसल केंद्र सरकार ने सीधे तौर पर आरबीआई और मौद्रिक नीति कमेटी के खिलाफ नाराजगी नहीं जाहिर की है, बल्कि केंद्र की ओर से भेजे गए एक मेल का आऱबीआई ने कोई जवाब नहीं दिया, जिससे यह बात सामने आई है कि केंद्र और आरबीआई के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। दुनियाभर में केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच ब्याज दरों को लेकर टकराव होता रहा है। लेकिन भारत में यह मुद्दा इससे कहीं आगे बढ़ गया है।
आरबीआई कोई बात सुनने को तैयार नहीं ...
जिस तरह के केंद्र सरकार के उर्जा मंत्रालय, परिवहन मंत्रालय ने कई योजनाओं के लिए आरबीआई का दरवाजा खटखटाया और आरबीआई ने इसमें अपना व्यवधान डाला उसने इस टकराव को बढ़ाया है। केंद्र के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि आरबीआई सरकार के मंत्रालयों की कई बातों को सुनने के लिए भी तैयार नहीं है। इसके अलावा जिस तरह से एनपीए में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है उसके खिलाफ आरबीआई कुछ खास कार्रवाई नहीं कर रहा है, यहां तक की कई बैंकों ने आरबीआई के इस रुख से नाराजगी जाहिर की है, जानकारी के अनुसार कई शीर्ष बैंकों ने इसके लिए वित्त मंत्रालय का दरवाजा खटखटाया है
आरबीआई ने चुनाव आयोग की उस अपील ठुकराई ..
एनपीए के मुद्दे को सुलझाने के लिए आरबीई के भीतर एक कमेटी का गठन किया गया था ताकि बैंकों को इस मुसीबत से निकाला जा सके, लेकिन यह कमेटी आजतक कोई बड़ा परिणाम देने में विफल रही है। केंद्र औऱ आरबीआई के बीच टकराव उस वक्त बढ़ गया जब आरबीआई ने चुनाव आयोग की उस अपील को ठुकरा दिया जिसमें आयोग ने अपील की थी कि यूपी समेत पांच राज्यों के चुनाव में उम्मीदवारों के लिए अधिक पैसा निकालने की अनुमति दी जाए। आयोग ने अपील की थी कि नोटबंदी के दौरान चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को 24 हजार रुपए की बजाए दो लाख रुपए निकालने की अनुमति दी जाए। आऱबीआई के ना कहने के बाद चुनाव आयोग के अधिकारी ने अपने पत्र में कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।