लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सत्ता संभाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को तीन माह से ज्यादा का समय हो गया परन्तु अभी तक सरकार का रंगरूप ही नही खुलकर आया है। पिछली सरकार के विवादास्पद मुख्यसचिव राहुल भटनागर अभी भी योगी के मुख्य सलाहकार है। विधानसभा चुनाव के समय भारतीय जनता पार्टी इन्ही भटनागर को लेकर आक्रामक रही आैर हटाने के लिए चुनाव आयोग को कई ज्ञापन दिये गये। इसी प्रकार जिन अधिकारियों को हटाने के लिए सरकार ने जो मास्टर प्लान बनाया था, उन्ही में से तत्कालीन महोबा के जिलाधिकारी रौतेला को योगी ने अपने जिले गोरखपुर की कमान थमा दी। इसको लेकर भाजपा पदाधिकारियों आैर कार्यकर्ताओं में भी रोष व्याप्त है।
भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि योगी तथा उनके युवा मंत्रिमंडल की प्रशासनिक अनुभवहीनता सरकार के कामकाज में सबसे बड़ी रूकावट है। मुख्यमंत्री सहित दोनों ही उपमुख्यमंत्री प्रशासनिक तौर पर अनुभवहीन है। अनुभवी मंत्रियों सूर्य प्रताप शाही, धर्मपाल सिंह, स्वामी प्रसाद मौर्या, चौधरी लक्ष्मी नारायण को मुख्यमंत्री दरबार में वह अहमियत नही है जो नये चाटुकार मंत्रियों की है। सरकार के दोनों ही प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा तथा सिद्धनाथ सिंह अभी तक उत्तर प्रदेश की नब्ज ही नही पहचान पाये। यही कारण है कि भाजपा प्रवक्ता के रूप में दिल्ली में सफल चेहरे माने जाने वाले यह दोनों ही सरकारी प्रवक्ता के रूप में असफल साबित हुए है।
मुख्यमंत्री ने जिन चीनी मिलों की बिक्री के घोटाले की उच्च स्तरीय जांच का निर्णय लिया है, उसकी ज्यादातर कार्रवाई में मुख्यसचिव राहुल भटनागर शामिल रहे है। ऐसे में मुख्यमंत्री की यह घोषणा मूर्त रूप नही ले पा रही है। इसी प्रकार खनन एवं रिवर फ्रंट घोटाले की जांच में भी तरह-तरह की अड़गेंबाजी शु डिग्री हो गयी है। अफसरशाही ज्यादातर मामलों में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों तक को गुमराह की रही है। केन्द्र की ही तरह से उत्तर प्रदेश के अधिकारी भी अपने मंत्रियों की नही सुनते। अधिकारी अभी मंत्रियों की चाहत का पता लगाने में लगे है तो मंत्री अपने काम को अंजाम देने के लिए माध्यम तलाशने में जुटे है।
19th June, 2017