लखनऊ - आज देश भर में ईद का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस मौके पर हर कोई एक दूसरे से मिलता है। अपनी गिला-शिकवा दूर करता है। मुस्लिम समुदाय के लिए यह त्योहार काफी मायने रखता है। लेकिन कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जिनके पास आज के दिन भी ना तो कुछ खाने के लिए है और ना ही पहनने के लिए। कुछ ऐसा ही देखने को मिला वाराणसी के मंडुवाडीह इलाके में, यहां रहने वाली शबाना (20) के घर में ईद की कोई तैयारी नहीं है। शबाना के माता-पिता इस दुनिया में नहीं है। वो अपने नानी घर में रहती है और उसका एक छोटा भाई है। शबाना की स्थिति ऐसी है कि उसके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है और ना ही कुछ पहनने के लिए। ऐसे में पावन पर्व ईद भी है।
एक दिन पहले तक शबाना काफी परेशान थी। उसके दिमाग में एक ख्याल आया, उसने अपने जिले के डीएम का नंबर पता कराया और उन्हें मदद के लिए मैसेज कर दी। मैसेज में शबाना ने लिखा-”डीएम सर, नमस्ते, मेरा नाम शबाना है और मुझे आपकी थोड़ी सी हेल्प की जरूरत है। सर सबसे बड़ा त्यौहार ईद है। सब लोग नए कपड़े पहनेंगे लेकिन हमारे परिवार में नए कपड़े नहीं आए। मेरे माता-पिता नहीं है। 2004 में इंतकाल हो चुका है। मेरे घर में मैं और मेरी नानी और छोटा भाई है। सर ईदी की खातिर मेरी मजबूरी को समझे।”
शबाना का यह मैसेज पढ़कर डीएम योगेश्वर राम मिश्र का आंख भर आया। उन्होंने तुरंत एसडीएम सदर सुशील कुमार गौड़ को बुलाकर शबाना के परिवार को मदद करने के लिए कहा। एसडीएम गौड़ ने शबाना के नंबर से उसके घर का लूकेशन पता कराया। इसके बाद वो शबाना के घर सभी के लिए नए कपड़े, मिठाई और सेवईंयों के लिए कुछ पैसे लेकर पहुंच गए।
डीएम की तरफ से भेजे गए ईदी को देखकर शबाना खुशी से झूम उठी। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि डीएम ने मोबाइल मैसेज पढ़कर उसकी मदद की है। उसकी आंख से खुशी के आंसू छलक पड़े। अफसरों के आने की जानकारी पर आसपास के लोग भी शबाना के घर पहुंच गए। सभी ने डीएम के व्यवहार की सराहना की और बधाई दी।