लखनऊ। प्रदेश के दो धुरन्धर राजनीतिज्ञ अपने अतीत को याद कर आंसू बहा रहे है। एक समय अपनी राजनीति की हनक रखने वाले ये नेता आज इतने असहाय हो गये है कि अपने थके शरीर पर परेशान कर रही मक्खियों को भगाने की ताकत नहीं जुटा पा रहे है। यह हालात है समाजवादी पुरोधा मुलायम सिंह यादव तथा दलितों की मसीहा बेटी मायावती की।
देश की विपक्षी राजनीति में विरोधियों को चर्चित चरखा दाव से कई बार चित करने वाले मुलायम सिंह यादव अपने ही भाई-बेटे के दाव में पडकर पस्त हो गयें है।
इसी प्रकार सत्ता का स्वाद चखने के बाद मायावती ने बसपा संगठन और सरकार पर जो दबदबा बनाया वह कई चर्चित तानाशाहों को भी मात कर देने वाला था परन्तु समय की चक्र ने मायावती को ऐसा दिन दिखाया कि गुलाम भी अब उन पर आंखे ही नहीं तरेर रहे बल्कि खुली चुनौतियां दे रहे है। मुलायम सिंह को सबसे गहरा जख्म अपने बड़े अखिलेश यादव से लगा है। अपनी राजनीति चालबाजी से विरोधियों को धूल चटाने वाले मुलायम सिंह यादव को उन्हीं के भाई रामगोपाल ने ऐसी सीख दी, जिसे वो जिन्दगीभर भूल नहीं पायेंगे। रामगोपाल अखिलेश की जोड़ी ने पार्टी ही नहीं राजनीति से भी सन्यास करा दिया। इसी प्रकार मायावती के पास वर्षों तक नौकरी करने वाले और गुलामी की जिन्दगी जीने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, जुगल किशोर, दारा सिंह चौहान आदि, अब उनके लिए चुनौती बन गये है।
30th June, 2017