लखनऊ। कांग्रेस, लेफ्ट, राजद, डीएमके, बीएसपी, एनसी और टीएमसी ने जहां आज रात संसद के केंद्रीय कक्ष में होने वाले जीएसटी लॉन्च के कार्यक्रम का बहिष्कार किया है, वहीं समाजवादी पार्टी के साथ एनडीए में शामिल तमाम पार्टियों के आलावा एआईडीएमके, बीजेडी, जदयू, एनसीपी और टीआरएस, वाईएसआर और एनसीपी केंद्र सरकार के इस कार्यक्रम में शामिल होने जा रही है। खास बात ये है कि सपा ने जीएसटी को काला कानून कहा है लेकिन फिर भी वो जीएसटी के लॉन्चिंग कार्यक्रम का हिस्सा बनने को तैयार है।
सपा के ही वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल जीएसटी को काला कानून ठहरा रहे हैं। चौधरी ने जीएसटी को लेकर सपा के रुख के बारे में पूछे जाने पर कहा कि सपा पहले ही इस कानून के पक्ष में रही है और उसने संसद में इसका समर्थन भी किया था।
सपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी एक काला कानून है और इससे देश में ईस्ट इंडिया कंपनी के काल वाले हालात फिर से पैदा हो जाएंगे। जीएसटी को लेकर संसद में आयोजित होने वाले सत्र में अपनी शिरकत की संभावना के बारे में पूछे जाने पर अग्रवाल ने कहा कि वे सैद्धांतिक रूप से जीएसटी के खिलाफ हैं लेकिन पार्टी विशेष सत्र में हिस्सा लेगी।
गौरतलब है कि कांग्रेस, लेफ्ट पार्टियों और तृणमूल कांग्रेस ने जीएसटी पर सरकार के मेगा शो का बहिष्कार किया है। इस तरह जीएसटी दूसरा मौका है जब विपक्ष की एकता केंद्र सरकार खासकर एनडीए के सामने तार-तार हुई है। इससे पहले राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद को समर्थन देने के मुद्दे पर नीतीश कुमार की जेडीयू और ओमप्रकाश चौटाला की आईएनएलडी ने विपक्ष से अलग रुख अपनाया है।
इस बारे में नरेश अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी लॉंन्च में जाना कहीं से भी विपक्ष को बांटना नहीं है। कांग्रेस ने बहिष्कार का फैसला हमसे पूछकर नहीं किया था। हम जीएसटी का विरोध करते हैं और जब भी सत्ता में आएंगे तो इसे वापस लेंगे लेकिन चूंकि राष्ट्रपति वहां मौजूद हैं इसलिए हमारे सभी सांसद इस विशेष सत्र में हिस्सा लेंगे।
30th June, 2017