लखनऊ। यूपी के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति और 6 अन्य आरोपियों के खिलाफ रेप के मामले में सोमवार को लखनऊ की स्पेशल पॉक्सो कोर्ट में आरोप तय होंगे। पिछली सुनवाई के दौरान चौक के पुलिस क्षेत्राधिकारी राधेश्याम राय ने विशेष न्यायाधीश उमा शंकर शर्मा की कोर्ट में 824 पेज का आरोपपत्र पेश किया था।
राधेश्याम राय के नेतृत्व में मामले की जांच करने वाली एसआईटी ने गायत्री, उनके गनर चंद्रपाल, रूपेश्वर उर्फ रूपेश, अशोक तिवारी, विकास वर्मा, अमरेंद्र सिंह और आशीष शुक्ला के खिलाफ आईपीसी की अलग-अलग धाराओं के तहत आरोप लगाए थे।
वहीं, चार्जशीट में गायत्री, अमरेंद्र, आशीष और अशोक के खिलाफ पॉक्सो कानून के तहत आरोप लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद 17 फरवरी को लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में गैंगेरप विक्टिम की एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके बाद गायत्री और अन्य आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की जांच में हुआ था बड़ा खुलासा
गायत्री प्रजापति को जब रेप के मामले में जमानत मिली तो इस पर काफी विवाद हुआ। इसके बाद बीते जून महीने में इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक जांच में खुलासा हुआ कि प्रजापति को साजिश के तहत जमानत दी गई थी, जिसमें एक सीनियर जज भी शामिल थे।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जमानत देने के लिए 10 करोड़ रुपए तक का लेन-देन हुआ था। इंटैलिजेंस ब्यूरो ने गायत्री के केस से जुड़े जज ओपी मिश्रा की पॉक्सो कोर्ट में पोस्टिंग में घूसखोरी की बात कही थी। रिपोर्ट के मुताबिक, मिश्रा की ईमानदारी संदेह के घेरे में है और उनकी इमेज भी अच्छी नहीं है।
रिपोर्ट के मुताबिक, गायत्री को 10 करोड़ रुपए के ऐवज में जमानत दी गई थी। इस रकम में से 5 करोड़ रुपए उन तीन वकीलों को दिए गए जो मामले में मिडिएटर का रोल निभा रहे थे। बाकी के 5 करोड़ रुपए पॉक्सो जज ओपी मिश्रा और उनकी पोस्टिंग संवेदनशील मामलों की सुनवाई करने वाली कोर्ट में करने वाले जिला जज राजेंद्र सिंह को दिए गए थे।
जांच में सामने आया था कि कैसे बार एसोसिएशन के पदाधिकारी तीन वकीलों ने मिश्रा की पॉक्सो कोर्ट में तैनाती की डील फिक्स कराई। गायत्री को जमानत मिलने के तीन-चार हफ्ते पहले मिश्रा के चैंबर में डिस्ट्रिक्ट जज और तीनों वकीलों के बीच कई बार मीटिंग हुई। आखिरी मीटिंग 24 अप्रैल को हुई और इसी दिन प्रजापति ने मिश्रा की कोर्ट में जमानत अर्जी दी थी।
अपनी रिपोर्ट में जस्टिस भोसले ने कहा कि एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज ओपी मिश्रा को 7 अप्रैल को उनके रिटायरमेंट से ठीक 3 हफ्ते पहले ही पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) जज के रूप में तैनात किया गया था।
मिश्रा ने ही गायत्री को 25 अप्रैल को रेप के मामले में जमानत दी थी। मिश्रा का अप्वाइंटमेंट नियमों की अनदेखी करते हुए और अपने काम को बीते एक साल से ठीक तरह से करने वाले जज लक्ष्मी कांत राठौर को हटाकर हुआ था। 18 जुलाई 2016 को पॉक्सो जज के रूप में लक्ष्मी कांत की तैनाती की गई थी और वह बेहतरीन काम कर रहे थे।
डिस्ट्रिक्ट जज राजेंद्र सिंह से पूछताछ की जा चुकी है। उनको प्रमोट करके हाईकोर्ट में तैनात किया जाना था, लेकिन इस मामले के सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने उनका नाम वापस ले लिया है। आगे का प्रॉसेस पेंडिंग है।
इसके बाद हाईकोर्ट की एडमिनिस्ट्रेटिव कमेटी ने 28 अप्रैल की रात पॉक्सो कोर्ट के जज ओम प्रकाश मिश्र को उनके रिटायरमेंट (30 अप्रैल) से दो दिन पहले सस्पेंड कर दिया।
चीफ जस्टिस ने अपने आदेश में लिखा, जिस तरह से जानकार जज ने अपराध की गंभीरता को अनदेखा करते हुए आरोपी को जमानत देने में जल्दबाजी दिखाई, उससे हमें इन न्यायाधीश की मंशा पर संदेह है जो खुद 30/4/2017 को रिटायर हो रहे हैं। गायत्री प्रजापति 2017 में 942 करोड़ की संमत्ति के मालिक है।
3rd July, 2017