चार महीने तक नहीं होंगे विवाह
यूरिड मीडिया डेस्क लखनऊ। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की आज एकादशी है। इसे हरिशयनी, देवशयनी, विष्णुशयनी, पदमा या शयन एकादशी भी कहा जाता है। शास्त्रानुसार देवताओं को एकादशी सबसे प्रिय होती है। जो व्यक्ति आज पुण्यमयी पर एकादशी का व्रत रखता उसके जीवन में सदा सुख एवं समृद्धि बनी रहती है।
हर महीने दो पक्षों में दो एकादशी आती है इस तरह से साल में कुल 24 एकादशी होती है। इसका व्रत रखने वाले मनुष्य के जीवन से पाप नष्ट होते है एवं जीवन में अक्षय फल की प्राप्ति होती है। एकादशी में पुण्यकर्म एवं सच्चे मन से रखे गए व्रत पर ज़रूर सफलता मिलती है। इस वजह से इसे मनोकामना पूरा करने वाला व्रत भी कहते है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहते हैं। इस तिथि को 'पद्मनाभा' भी कहते हैं। सूर्य के मिथुन राशि में आने पर यह एकादशी आती है। इसी दिन से चातुर्मास शुरू होता है। यानी इस दिन से भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और फिर चार माह बाद उन्हें उठाया जाता है। उस दिन को देवोत्थानी एकादशी कहा जाता है।
यह भी कहा जाता है कि आज के बाद से हिंदू धर्म के सभी शुभ काम आज के बाद अगले चार महीने तक बंद हो जाएंगे और फिर देवोत्थान एकादशी से मांगलिक कार्य शुरू होंगे। शास्त्रों के अनुसार नदियों में जैसे गंगा, देवताओं में विष्णु, नागों में शेष नाग श्रेष्ठ है, ठीक उसी प्रकार सभी व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। बेहतर एवं अच्छी फल प्राप्ति के लिए हर मनुष्य को एकादशी का व्रत जरूर रखना चाहिए।
इस व्रत का पारण 5 जुलाई को प्रात: 7:56 से 9:28 के बीच किया जाएगा। व्रत के साथ ही एकादशी के दौरान मंदिर में दीपदान, घर में कीर्तन, तुलसी पूजन एवं गुप्त दान करने से अच्छे फल की प्राप्ति होती है।
4th July, 2017