यूरिड मीडिया डेस्क नई दिल्ली। नोटबंदी के दौरान अगर कोई जेल में बंद था और वह अपने पुराने नोट नहीं बदलवा पाया तो ऐसे लोगों की संपत्ति सरकार छीन नहीं सकती। ऐसे लोग जो वाजिब वजह से पुराने नोट नहीं बदलवा सके, उन्हें नोट बदलवाने के लिए स्पेशल विंडो क्यों नहीं दी जा सकती? यह सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर व जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की पीठ ने केंद्र सरकार को मंगलवार को न केवल कड़ी फटकार लगाई है, बल्कि इस संबंध में जवाब भी मांगा है। केंद्र सरकार ने अपना जवाब दायर करने के लिए 10 दिन की मोहलत मांगी है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा कि वह दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दायर करे। अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी।
सॉलीसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार ने लोगों को नोट बदलवाने के लिए पहले तीन महीने का पर्याप्त समय दिया था। इसके बाद भी उन्हें भरपूर मौका दिया गया। चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर नोटबंदी के दौरान कोई जेल में था। जेल में रहकर कोई कैसे रुपए कमाएगा और कैसे वह जेल में बंद रहते हुए अपने पुराने नोटों को बदलवाएगा। ऐसे में उनकी संपत्ति उनसे छीनी नहीं जा सकती। सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों को कोई न कोई स्पेशल विंडो जरूर दे।
ऐसे कई लोग हैं जिनके पास पुराने नोट जमा ना करा पाने का वाजिब कारण मौजूद है, उन्हें मौका दिया जाना चाहिए और अगर सरकार उन्हें मौका नहीं देती है तो यह एक गंभीर मुद्दा होगा। सुप्रीम कोर्ट एक महिला की ओर से दायर याचिका व कुछ अन्य याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई कर रहा है। महिला का कहना था कि नोटबंदी के दौरान वह अस्पताल में थी और उसने बच्चे को जन्म दिया था। इस वजह से वह अपने पुराने नोट जमा नहीं कर पाई। उक्त नोटों को बदलवाने के लिए उसे विशेष अनुमति दी जाए।
कारण और सबूत देने पर दी जा सकती है स्पेशल विंडो
चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति के पास 500 व 1000 के पुराने नोट हैं। वह आरबीआई को उचित कारणों के साथ बताता है कि यह पैसा उसने क्यों और किस कारण से जमा नहीं कराया तो ऐसे मामलों पर विचार किया जा सकता है। साथ में व्यक्ति यह भी सबूत देता है कि यह पैसा उसका ही है तो उसे नोट बदलवाने के लिए स्पेशल विंडो दी जा सकती है।
5th July, 2017