खरखौदा यूरिड मीडिया डेस्क। गरीबों की योगीराज में भी नहीं सुनी जा रही है। सामूहिक दुष्कर्म तक के मामले में पुलिस पीड़ितों को थाने से दुत्कार कर भगा रही है। ऐसे ही एक मामले में दुष्कर्म पीड़ित महिला ने सुनवाई नहीं होने पर सोमवार सुबह फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। खुद को फंसते देख पुलिस अब दुष्कर्म की शिकायत किए जाने से ही इंकार कर रही है। आइजी ने पूरे मामले में जांच बिठा दी है।
30 जून को असम निवासी महिला ने खरखौदा थाने में तहरीर देकर बताया था कि वह झुग्गी झोपड़ी में रहकर जीवन यापन करती है। उसने आरोप लगाया था कि 29 जून की रात को तीन महिलाओं की मदद से तीन युवकों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। पूरा मामला सुनने के बाद महिला को थाने से टरका दिया गया। रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। पीड़िता ने इसकी शिकायत पुलिस ऑफिस में की तो अफसरों ने जांच कर कार्रवाइ के आदेश दिए लेकिन कुछ नहीं हुआ। परिवार वालों के मुताबिक पीड़िता पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने से तनाव में थी। सोमवार की सुबह पीड़िता ने तड़के पास की एक झुग्गी में दुपट्टे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। परिजनों ने पुलिस पर आरोपियों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाकर जमकर हंगामा किया।
परिजनों का कहना है कि मृतका की शादी असम में हुई थी, जिसके दो बच्चे भी हैं। पति ने एक वर्ष पूर्व तलाक दे दिया था, जिसके बाद से वह अपनी बहन के पास झुग्गी में रहकर जीवन गुजार रही थी।
पूरे मामले में इंस्पेक्टर संदीप सिंह सामूहिक दुष्कर्म की शिकायत किए जाने से ही इंकार करते रहे। पूरे मामले में उच्चाधिकारियों को भी अंधेरे में रखकर सिर्फ आत्महत्या की सूचना ही दी गई।
इंस्पेक्टर जहां सामूहिक दुष्कर्म की शिकायत मिलने से मना कर रहे हैं वहीं, दूसरी तरफ जो महिला की तस्वीर नजर आ रही है। वो 30 जून को खरखौदा थाने से शिकायत करने के बाद की है। जो शिकायत पत्र पुलिस ऑफिस में दिया गया परिजनों ने उसकी भी कॉपी दी है।
11th July, 2017