लखनऊ। लोकतंत्र में भारी बहुमत कई तरह की विसंगतियां पैदा करता है। उत्तर प्रदेश भाजपा में भी आजकल यही चल रहा है। हताश विपक्ष से ज्यादा भाजपा नेता ही सरकार और संगठन के लिए समस्याएं पैदा करते जा रहे है। प्रदेश में भाजपा नेताओं की उलजुलूल हरकतें और उटपटांग बयानबाजी ने कई बार सरकार और संगठन को असमन्जस की स्थिति में डाल दिया। भाजपा नेताओं की इन हरकतों से आजिज आने के बाद भी नेतृत्व अब तक कोई कार्रवाई नही कर पा रहा है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में एतिहासिक जीत हासिल करने के बाद भी सरकार और संगठन से नेतृत्व को अपेक्षित परिणाम नही मिल रहा है। कामों के बंटवारे से लेकर सरकार में मंत्रियों के यहां कार्यकर्ताओं की तैनाती हो या अधिकारियों की पोस्टिंग हर स्तर पर विवाद फंस रहा है। अधिकारियों से लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं की तैनाती को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल के बीच तकरार की खबरों ने सरकार और संगठन में खलबली मचा दी है। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पेशबंदी ने भाजपा नेतृत्व की परेशानी और ही बढ़ा दी है। सरकार और संगठन में सत्ता के केन्द्र्रीकरण पर संघ ने कड़ी आपत्ति जताते हुए वरिष्ठ एवं युवा लावी में समन्वय बनाकर कर काम करने का निर्देश दिया है। सरकार के तीन माह से ज्यादा समय होने के बाद अभी तक मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों तक पीआरओ आदि की तैनाती नही हुई है। मंत्रियों को अपनी पसन्द की किसी व्यक्ति को रखने की इजाजत नही है। यह सारा अधिकार संगठन के नाम पर सुनील बंसल दे दिया गया है। सुनील बंसल ने मुख्यमंत्री के ओएसडी के नाम पर एक सूची मुख्यमंत्री के पास भेजी जिसमें से कुछ नामों को खारिज कर अन्य की तैनाती कर दी गयी। इस पर सुनील बंसल ने एतराज जताया तो मुख्यमंत्री ने साफ किया कि कुछ लोग उनकी चाहत के भी होने चाहिए।
सरकार और संगठन में यह आम चर्चा है कि इसके बाद सुनील बंसल ने मुख्यमंत्री से संबंद्ध तथा अन्य कुछ अधिकारियों की तैनाती की सूची भेजी तो योगी भड़क गये और उन्होंने सुनील बंसल को तल्ख लहजे में कहा कि सुनील जी आपकों संगठन की जिम्मेदारी दी गयी है, वही संभालिए। मुझे सरकार चलाने दीजिए। अब से सरकार के काम में आपको हस्तक्षेप नही करना दिया जाएगा। बताते है कि इस तकरार के बाद सुनील बंसल और योगी दोनों ही दिल्ली दरबार जाकर अपना पक्ष बता आये। इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र्र मोदी ने योग दिवस के अवसर पर लखनऊ के कार्यक्रम में योगी सरकार के सही दिशा में काम करने की बात कहकर साफ संकेत दे दिया कि फिलहाल केन्द्र्रीय नेतृत्व योगी के साथ है। सरकार और संगठन में इसी खींचतान को दूर कर समन्वय बनाने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के जुलाई में कार्यक्रम निर्धारित किये जाने के प्रयास किये जा रहे है। संगठन का सरकार में हस्तक्षेप तो बढ रहा है लेकिन संगठन जिला इकाइयों को कार्यक्रम देकर शान्त बैठ गया है। पार्टी को ब्लाक से लेकर बूथ तक कार्यकर्ता ही नही मिल रहे है। सरकार के कामकाज में भाजपा महामंत्री संगठन के हस्तक्षेप का आलम यह है कि पार्टी कार्यकर्ता जो भी क्षेत्रीय समस्या लेकर जा रहे है, उन सभी को मंत्री यह कहकर टरका दे रहे है कि सुनील जी से दिशा-निर्देश लेकर आये। सरकार से लेकर संगठन तक भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं की कही भी पूछ नही हो पा रही है। आजकल सबसे ज्यादा चर्चा सरकारी अधिकारियों की तैनाती का है। सरकार बनने के बाद से ही सुनील बंसल सरकारी वकीलों की तैनाती की सूची बना रहे है। इसमें कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं की तैनाती के बाद पूरा मामला अभी अधर में ही फंसा है। विधि मंत्री बृजेश पाठक से लेकर महाधिवक्ता और तमाम मंत्री इस मामले से हाथ खींच चुके है। भाजपा के अधिवक्ता अपने तमाम माध्यमों से महिनों से सरकार एवं संगठन के गलियारे का चक्कर लगा रहे है परन्तु सुनील बंसल की सूची हनुमान की पूंछ की तरह बढती जा रही है। योगी सरकार का पहला सबसे विवादास्पद निर्णय बाल पुष्टाहार का है। सरकार ने अगले तीन माह के लिए यह ठेका उन्ही ब्लैकलिस्ट कंपनियों को सौंप दिया जो पिछली सपा-बसपा सरकार में अपना काला कारनाम दुहराते आ रहे है। भाजपा ने इन कंपनियों के खिलाफ जांच कराकर कार्रवाई करने की घोषणा की थी। अब भाजपा सरकार भी उन्ही बाल पुष्टाहार के गोरखधंधे संलिप्त हो गयी है।
इस मकरजाल में फंसने की योगी सरकार की कमजोरी क्या थी यह तो साफ नही आया है लेकिन सरकार एवं संगठन में यह चर्चा है कि भाजपा के एक प्रभावशाली नेता के दबाव यह काम किया गया। चर्चा है कि बाल पुष्टाहार माफिया ग्रुप ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए योगी सरकार के बाल पुष्टाहार मंत्री के माध्यम से 5 करोड की रकम दी। बताया जाता है कि बेसिक शिक्षा एवं बाल पुष्टाहार मंत्री अनुपमा जायसवाल को भाजपा के इस प्रभावी नेता का वरदहस्त प्राप्त है। इस दाग से मुख्यमंत्री योगी को बचाने के लिए उनके समर्थकों का कहना है कि भाजपा के इस प्रभावशाली मंत्री ने यह कहकर ठेका पुरानी ब्लैकलिस्ट कंपनी को देने का मन बनाया कि पार्टी को 2019 का लोकसभा चुनाव लडना है और साधुवाद से चुनावी खर्च नहीं मिलता है। इसी प्रकार चीनी मिल बिक्री घोटाले की जांच को भी दबाने के लिए इस नेता की भूमिका बतायी जा रही है। इस कार्य में इनका सहयोग एक वरिष्ठ नौकरशाह दे रहा है कि जिसकों चाहते हुए भी योगी अभी तीन माह से हटा नही पा रहे है। लोक निर्माण, सिंचाई तथा खनन जैसे विभागों के कामों में ई-टेन्डरिंग व्यवस्था में पहल बनाने के लिए यह काम निजी एजेन्सी को दिये जाने की कार्ययोजना बनायी जा रही है। अभी तक सरकार के संचार तकनीकी कामों की कमान एनआईसी के पास थी जिसमें ज्यादा हस्तक्षेप किया जाना संभव नही था। अब इसके लिए भाजपा के प्रभावी नेता ने कुछ प्राइवेट संचार तकनीकी कंपनियों से जोडतोड करना शुरू कर दिया है। कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का कच्चा चि_ा पिछले दिनों संघ की समन्वय बैठक में उभर कर आयी। संघ के वरिष्ठ होसबोले ने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को गंभीर मानते हुए प्रदेश भाजपा नेतृत्व कड़ी चेतावती दी कि इसका शीघ्र ही निस्तारण किया जाय। होसबोले ने भाजपा नेतृत्व को साफ किया कि पार्टी का यही रवैया रहा तो अगले चुनाव में बूथ पर कार्यकर्ता तक नही मिलेंगे। कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का ही परिणाम है कि भाजपा ने मई से सितम्बर तक निचले बूथ स्तर तक लगातार कार्यक्रम निर्धारित कर दिया परन्तु अभी तक कोई भी कार्यक्रम सफल नही हो पा रहा है। अब निष्ठावान कार्यकर्ता भी भाजपा के कार्यक्रमों से अपनी दूरी बनाने लगा है। अब जिलों में पदाधिकारियों के बुलाने पर कार्यकर्ता नही पहुंचते है। जिलों और ब्लाकों में भाजपा पदाधिकारियों के खिलाफ अधिकारियों एवं व्याापारियों से वसूली की खबरे आ रही है। इससे स्थानीय स्तर भाजपा की छवि ही खराब नही हो रही बल्कि अधिकारियों और भाजपा नेताओं के बीच तकरार की खबरों से सरकार की परेशानी बढ़ रही है। कानून व्यवस्था के मुद्े पर कई जिलों के अधिकारियों ने भाजपा कार्यकर्ताओं के हस्तक्षेप की शिकायतें की है।
13th July, 2017