विजय शंकर पंकज
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सरकार और संगठन की नब्ज टटोलने आये भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह कार्यकर्ताओं की पीड़ा से रूबरू हुए परन्तु उनके जख्म पर मलहम नही लगा पाये। सरकार और संगठन से कार्यकर्ताओं की शिकायते सुनने के बाद भी कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने का पार्टी प्रमुख से कोई आश्वासन नही मिला। ऐसे में भाजपा अध्यक्ष का तीन दिवसीय लखनऊ प्रवास कार्यकर्ताओं के लिए निराशाजनक और हताशा को बढ़ावा दे गया। अमित शाह को सरकार के कुछ मंत्रियों और संगठन के पदाधिकारियों के रवैये को भी लेकर शिकायतें मिली और उसके लिए कड़ी चेतावनी भी दी गयी। शाह के तेवर से साफ है कि अगस्त के तीसरे सप्ताह में ही उत्तर प्रदेश सरकार और संगठन में फेरबदल किया जाएगा।
शाह के रहते छावनी बना भाजपा कार्यालय
अमित शाह के लखनऊ आने से एक दिन पूर्व ही भाजपा के प्रदेश कार्यालय को छावनी बना दिया गया। भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल की रणनीति के तहत विश्वसनीय कार्यकर्ताओं को छोड़ अन्य किसी के भी भाजपा कार्यालय में प्रवेश की अनुमति नही दी गयी। यहां तक कि भाजपा विधायकों से लेकर मीडिया से जुड़ा लोगों को भी कार्यालय से दो दिन बाहर रखा गया। अमित शाह के आने से पहले सुनील बंसल ने मीडिया प्रवक्ताओं और अन्य मीडिया से जुड़ा लोगों को बुलाकर खरी-खोटी सुनायी। बंसल का आरोप है कि भाजपा की इतनी बड़ी मीडिया की टीम होते हुए भी पार्टी के खिलाफ नकरात्मक खबरे छप रही हैं। बंसल ने मीडिया से जुड़े लोगों को इस बात से सावधान रहने की हिदायत दी कि भाजपा विरोधी पत्रकारों से अन्दरूनी बाते करने से परहेज रखे और जिसके भी ऐसे लोगों से संबंध की बात उजागर होगी, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अमित शाह के दौरे के तीसरे दिन प्रेस कान्फ्रेंस के लिए ही मीडिया को प्रवेश की अनुमति मिली।
शाह की मौजुदगी में राजनाथ की अनदेखी
अमित शाह के लखनऊ आने पर उनके स्वागत के लिए अमौसी हवाई अड्डे से लेकर पूरे शहर को पोस्टर-बैनर तथा भगवा ध्वजों से पाट दिया गया था। सरकार और संगठन के पदाधिकारियों में पोस्टरों के माध्यम से अपनी उपस्थिति जताने के लिए एक होड़ सी लगी हुई थी। अमित शाह के तीन दिवसीय प्रवास के सभी कार्यक्रमों केन्द्रीय गृहमंत्री एवं लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह को उपेक्षित रखा गया। राजनाथ सिंह लखनऊ के सांसद है और तीन बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। सरकार और संगठन के किसी भी कार्यक्रम में राजनाथ सिंह का नाम तक नही लिया गया और नही किसी पोस्टर-बैनर में उनका फोटो या जिक्र तक नही किया गया। यह स्थिति तब रही जबकि राजनाथ की ही कृपा से कई लोगों मंत्री बने है। राजनाथ सिंह के लोगों को भी संगठन के कामों से दूर रखा गया। इस पर प्रदेश भाजपा के एक पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि राजनाथ सिंह अपने विरोधियों को भी साथ लेकर चलने पर जोर देते रहे परन्तु अमित शाह की भाजपा में अपनों को छोड़ गैरों को अपनाने की रणनीति अपनायी जा रही है।
कार्यकर्ताओं के समक्ष विनम्र अमित शाह
अपने स्वभाव के विपरीत अमित शाह पहली बार लखनऊ के इन्दिरागांधी प्रतिष्ठान के कार्यक्रम में एकदम विनम्र बने रहे। शाह ने धैर्य पूर्वक कार्यकर्ताओं की शिकायतों को दो घंटे तक सुना। बीच-बीच में कुछ कार्यकर्ताओं के आक्रोश एवं असंयमित शब्दो के चयन पर चेतावनी अवश्य दी फिर भी उनकी बाते सुनी। हालांकि इस कार्यक्रम में चयनित कार्यकर्ताओ को भी बुलाया गया था। यहां तक पार्षदों को भी बैठक में नही बुलाया गया। संगठन की कमान संभालने वालों को अन्देशा था कि पार्षद संगठन के पदाधिकारियों के खिलाफ आवाज बुलन्द कर सकते है। पूरी सूची संगठन मंत्री सुनील बंसल की तिकड़ी ने बनायी थी जो उनकी पसन्द के थे। अन्य कार्यकर्ताओं के प्रवेश को पूरी तरह से रोक दिया गया था।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने कहा कि तीन दशकों से भी ज्यादा समय से संगठन के प्रति समर्पण एवं निष्ठा से रहते हुए भी आज सरकार या संगठन में उनकी कोई नही हो रही है। मंत्री सत्ता के दलालों के माध्यम से काम कर रहे है और कार्यकर्ताओं के आवेदन पर कोई कार्रवाई नही हो रही है। दूसरों दलों से आये नेता सरकार में ज्यादा हावी है। सरकारी अधिवक्ताओं के चयन में सपा एवं बसपा के प्रभावी लोगों को तरजीह दी गयी है। दो माह तक यह चर्चा होती रही कि सरकारी अधिवक्ताओं का चयन संगठन से भेजी गयी सूची के ही आधार पर होगा परन्तु जब परिणाम आया तो सब भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ था। कार्यकर्ताओं के मुद्दे पर सरकार और संगठन में कोई तालमेल नही है। मंत्री कहते है कि संगठन से पैरवी पत्र लाये और संगठन के पदाधिकारी कहते है कि यह सरकार और मंत्री का काम है, संगठन के पदाधिकारी सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप नही करेंगे। कार्यकर्ताओं का आरोप था कि केन्द्र से लेकर राज्य तक तमाम सरकारी पद खाली है परन्तु भाजपा कार्यकर्ताओं का समायोजन नही हो रहा है। शाह ने संगठन के कमियों और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के लिए महामंत्री संगठन सुनील बंसल को पहल करने का निर्देश दिया।
संगठन को लेकर कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश भाजपा कुछ लोगों की जेबी होकर रह गयी है। प्रदेश भाजपा का पूर्णकालिक अध्यक्ष न होने से भी कार्य प्रभावित हो रहा है। दूसरे दलों से आये नेता अपने लोगों को सरकार और संगठन के कामकाज में तरजीह दे रहे है। इसका परिणाम है कि जिलों- जिलों में कई गुट बनते जा रहे है। थानों और तहसीलों पर भी कार्यकर्ताओं की यह गुटबाजी आमने-सामने आ रही है। कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का असर है कि सितम्बर तक पार्टी के निर्धारित कार्यक्रम विफल होने लगे है। संगठन पदाधिकारियों के बुलाये जाने पर आक्रोशित कार्यकर्ता अब आने से कतरा रहा है। यही स्थिति रही तो २०१९ के लोकसभा चुनाव में बूथ स्तर की तैयारिया निष्फल हो सकती है और कार्यकर्ता चुनाव के समय असहयोग करेगा तो परिणाम गड़बड़ हो सकता है।
सरकार की आलोचना पर कार्यकर्ताओं का कहना था कि मौरंग-बालू के खनन से पूरे प्रदेश में त्राहि-त्राहि मची हुई है। कामकाज ठप है और मजदूर बेरोजगार है जिससे पार्टी को जन आक्रोश का सामना करना पड़ा रहा है। कई कार्यकर्ताओं ने लोक निर्माण, नगर विकास, आवास, बिजली, स्वास्थ्य, सिंचाई, वन एवं प्रदूषण, ग्राम विकास, पंचायती राज, शिक्षा एवं बाल पुष्टाहार आदि विभागों में भ्रष्टाचार की चर्चाओं का भी उल्लेख करते हुए कहा कि इससे सरकार की छवि प्रभावित हो रही है। सरकार की शिकायतों पर अमित शाह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ इशारा किया जो योगी ने साफ कहा कि सरकार के पास किसी भी विभाग में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर किसी तरह का समझौता मान्य नही होगा। योगी ने कहा कि वह अपनी शिकायतें सीधे तौर पर मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज सकते है। वैसे प्रत्येक दिन जनशिकायतों को सुनने के लिए एक मंत्री की प्रदेश भाजपा कार्यालय में बैठने का निर्देश दिया गया है जिसका सकरात्मक परिणाम सामने आ रहा है। मुख्यमंत्री ने कार्यकर्ताओं से सरकार के कामकाज में सहयोग की अपेक्षा करते हुए कहा कि केवल आलोचना से कार्यकर्ताओं का हित साधन नही होगा। अमित शाह के इस दौरे में भाजपा विधायकों से मुलाकात का कार्यक्रम निर्धारित था परन्तु दिल्ली में सांसदों की बैठक में उपजी नाराजगी को देखते हुए इसे टाल दिया गया।
कार्यकर्ताओं की पीड़ा, मंत्रियों पर निकली भड़ास
कार्यकर्ताओं की पीड़ा एवं नाराजगी को सुनने के बाद मंत्रियों एवं पदाधिकारियों की बैठक में अमित शाह का संयम जवाब दे गया और इसकी भड़ास उन्होंने कुछ मंत्रियों पर निकाली। शाह ने कहा कि संगठन की पैरवी के नाम पर मंत्री कार्यकर्ताओं के यथोचित कामों को न लौटाये। कार्यकर्ताओं का काम किस प्रकार होगा, इसका रास्ता निकालना मंत्री का काम है, इसके लिए किसी संगठन पदाधिकारी के पैरवी की जरूरत नही है। उन्होंने मंत्रियों से अपनी कार्यावधि में कुछ समय निर्धारित कर उनकी समस्याओं का समाधान करने की सलाह दी। मंत्रियों ने कहा कि ज्यादातर कार्यकर्ता अधिकारियों के तबादले अथवा ठेके-पट्टे की पैरवी का काम लेकर आते है। इस पर शाह ने कहा कि जो काम नियमानुसार हो उसे कर दे अन्यथा साफ तौर पर बता दे कि यह काम संभव नही है।
शाह के आगमन पर विपक्ष में सेंध
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के लखनऊ आगमन पर उनके राजनीति स्वागत के लिए अन्दरखाने जो शतरंजी चाल चली थी उसके अन्तर्गत विपक्ष में सेंध लगाना था। मुख्यमंत्री सहित पांच मंत्री ऐसे है जो किसी भी सदन के सदस्य नही है। इसमें से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से तथा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कौशाम्बी से सांसद है। उपराष्ट्रपति के 5 अगस्त को होने वाले चुनाव के बाद इन दोनों का संसद से इस्तीफा दिया जाना तय है। इसके साथ ही गोरखपुर एवं कौशाम्बी के एक-एक विधायक भी विधानसभा से इस्तीफा देकर इनके चुनाव लडïने का रास्ता प्रशस्त करेगे। संभावना है कि योगी आदित्यनाथ गोरखपुर (देहात) तथा केशव मौर्य सिराथु विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। शेष तीन मंत्रियों उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, स्वतंत्रदेव सिंह तथा मोहसिन रजा को १९ सितम्बर तक विधान परिषद पहुंचाने के लिए भाजपा के रणनीतिकारों ने समाजवादी पार्टी के दो यशवन्त सिंह तथा बुक्कल नवाब और बसपा ठाकुर जयवीर सिंह के इस्तीफा दिलाकर रास्ता साफ कर दिया। विधान परिषद से इस्तीफा देने के दो दिन बाद अमित शाह के लखनऊ से दिल्ली जाने के कुछ घंटे बाद ही इन तीनों से भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली।
भ्रष्टाचारियों को भा रही भाजपाई गंगा
सपा और बसपा छोड़कर भाजपा की शरण लेने वाले नेताओं पर कई तरह के भ्रष्टाचार एवं अन्य आरोप लगते रहे है। इस समय यह राजनीतिक चर्चा गरम है कि विपक्षी दलों के भ्रष्टाचारियों तथा अपराधियों को भाजपा की गंगा भाने लगी है। भाजपा के साथ आते ही इन विपक्षी दलों के सभी पाप धूल जा रहे है। बसपा से भाजपा की शरण में आने वाले ठाकुर जयवीर सिंह पश्चिमी यूपी एवं नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा के बड़े भूमाफिया एवं बिल्डर माने जाते है। नोएडा के जिस यादव सिंह प्रकरण की सीबीआई जांच चल रही है, उसमें जयवीर सिंह की भी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। वैसे भाजपा में आने के बाद भी जयवीर के बसपा नेता मायावती से अच्छे संबंध बताये जाते है। जयवीर सिंह बसपा नेता के आर्थिक स्रोत से अब भी प्रवल स्तम्भ माने जाते है। अपने भू एवं बिल्डर कारोबार को बचाने के लिए जयवीर सिंह का भाजपा में आने मजबूरी थी। इसी प्रकार सपा छोड़ भाजपा में आने वाले बुक्कल नवाब पर भी फर्जी कागजातों के माध्यम एलडीए से करोड़ों रूपये मुआवजे हासिल करने के आरोप है। गोमती रिवर फ्रंड के भूमि मुआवजे में भी बुक्कल नवाब का नाम है जिसकी योगी सरकार ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है। सपा छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले यशवन्त सिंह पर कोई भ्रष्टाचार का आरोप नही है परन्तु उनकी क्षत्रिय राजनीति के कारण सपा में विवाद था और वह असहज महसूस कर रहे थे। वैसे चर्चा है कि यशवन्त के भी भाजपा के एक नेता के साथ आर्थिक तंत्र जुड़ा है।
विपक्ष में बड़ी टूट का खाका तैयार
भाजपा में चर्चा है कि अमित शाह ने यूपी के विपक्षी दलों में भारी तोड-फोड़ करने का खाका तैयार लिया है। इसके लिए चार सदस्यों की एक टीम उच्च स्तर पर काम कर रही है। सूत्रों के अनुसार सपा के डेढ दर्जन, बसपा के ५ से ६,कांग्रेस के ३ और ३ निर्दल विधायक भाजपा में आने के लिए लाइन में लगे है। इन विधायकों ने भाजपा नेताओं की लगातार वार्ता चल रही है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सरकार और संगठन की नब्ज टटोलने आये भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह कार्यकर्ताओं की पीड़ा से रूबरू हुए परन्तु उनके जख्म पर मलहम नही लगा पाये। सरकार और संगठन से कार्यकर्ताओं की शिकायते सुनने के बाद भी कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने का पार्टी प्रमुख से कोई आश्वासन नही मिला। ऐसे में भाजपा अध्यक्ष का तीन दिवसीय लखनऊ प्रवास कार्यकर्ताओं के लिए निराशाजनक और हताशा को बढ़ावा दे गया। अमित शाह को सरकार के कुछ मंत्रियों और संगठन के पदाधिकारियों के रवैये को भी लेकर शिकायतें मिली और उसके लिए कड़ी चेतावनी भी दी गयी। शाह के तेवर से साफ है कि अगस्त के तीसरे सप्ताह में ही उत्तर प्रदेश सरकार और संगठन में फेरबदल किया जाएगा।
3rd August, 2017