मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन की स्थापना व उसके संचालन से जुड़ी कार्ययोजना पर सहमति दे दी है। यह हेल्पलाइन 500 सीटों से शुरू होगी। यानी 500 लोग एक साथ इस हेल्पलाइन पर टोल-फ्री नंबर, वेब पोर्टल, मोबाइल एप तथा पत्र के जरिए शिकायत दर्ज करा सकेंगे।
बाद में 1000 सीटों तक बढ़ाया जाएगा। इस हेल्पलाइन के जरिए सरकार आम लोगों से सीधे जुड़ जाएगी। हेल्पलाइन शुरू करने की डेडलाइन 15 नवंबर तय की गई है। इसे चलाने वाली एजेंसी के चयन की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दे दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री हेल्पलाइन राजधानी से संचालित होगी। इसके लिए स्थान का चयन किया जाना है। इस हेल्पलाइन पर डायल-100, 102, 108 व 1090 आदि से शिकायतें आएंगी तो उसे संबंधित हेल्पलाइन को स्थानांतरित कर दिया जाएगा। यदि हेल्पलाइन व्यस्त होगी तो कॉल संबंधित जिले के डीएम व एसएसपी को ट्रांसफर कर दी जाएगी।
शासन के एक अधिकारी ने बताया कि हेल्पलाइन दो पालियों में संचालित होगी। सुबह सात बजे से रात 11 बजे तक इस पर इनबाउंड व आउटबाउंड कॉलिंग की व्यवस्था रहेगी। आपातकालीन स्थिति में किसी भी समय कॉल की जा सकेगी। सेंटर का संचालन करने वाली एजेंसी को प्रति सीट के आधार पर भुगतान किया जाएगा।
चार राज्यों के अनुभव लेकर यूपी मॉडल पर काम भाजपा ने अपने चुनाव संकल्प पत्र में वादा किया था कि सत्ता में आने पर सरकार में भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज करने के लिए सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय की निगरानी में विशेष हेल्पलाइन शुरू की जाएगी।
सरकार ने इस वादे पर अमल के लिए अधिकारियों की अलग-अलग टीम मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र व आंध्र प्रदेश भेजी। वहां संचालित मुख्यमंत्री हेल्पलाइन, ग्रीवांस रिड्रेसल सिस्टम की कार्यप्रणाली व उनकी बेस्ट प्रैक्टिसेज का अध्ययन कराया। इन अनुभवों का लाभ लेते हुए हेल्पलाइन शुरू करने की तैयारी है।
हेल्पलाइन में शिकायत के समाधान की चार स्तरीय व्यवस्था होगी। स्तर एक व दो अधिकारी बिना शिकायतकर्ता की संतुष्टि के शिकायत बंद नहीं कर पाएंगे। संतोषपूर्ण कार्य न होने पर स्तर तीन व स्तर चार के अधिकारियों को शिकायत स्वत: स्थानांतरित होती जाएगी।
सीएम हेल्पलाइन में ट्विटर, वॉट्सएप, फेसबुक के जरिए मिलने वाली शिकायतें का भी संज्ञान लेकर इनका समाधान कराया जाएगा।
जनता दरबार व भ्रमण की शिकायतों का निपटारा भी हेल्पलाइन से कराया जाएगा। इस हेल्पलाइन को इंटीग्रेटेड ग्रीवांस रिड्रेसल सिस्टम से जोड़ा जाएगा। फर्जी कॉल्स को चेक करने की भी व्यवस्था होगी। बाद में चलकर शिकायतों के पंजीकरण के लिए आधार नंबर अनिवार्य किया जाएगा। हालांकि अपवाद की स्थिति के लिए आधार से छूट रहेगी।
मुख्यमंत्री हेल्पलाइन के संचालन में मदद के लिए केपीएमजी सर्विसेज को कंसल्टेंट के रूप में चयनित किया गया है। परियोजना की शुरुआती अवधि तीन साल के लिए होगी। एक बार में एक वर्ष के हिसाब से अधिकतम दो साल तक इसे बढ़ाया जा सकेगा।
14th August, 2017