नई दिल्ली : हृदयरोगियों के लिए स्टेंट की कीमत में कटौती करने के कुछ महीने बाद सरकार ने बुधवार को घुटना प्रतिरोपण की मूल्य सीमा 54 हजार रुपये से 1.14 लाख रुपये के बीच निर्धारित कर दी है जिसमें सर्जरी की मौजूदा लागत में करीब 70 प्रतिशत तक की कमी की गयी है. निजी अस्पतालों द्वारा घुटना बदलने की सर्जरी के लिए काफी कीमत वसूले जाने की खबरों के बीच सरकार ने घुटना प्रतिरोपण (नी इम्प्लांट्स) का अधिकतम खुदरा मूल्य तय कर दिया है. इस कदम से इस तरह की सर्जरी कराने वाले रोगियों का सालाना करीब 1500 करोड़ रुपये बच सकता है.
रसायन और उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने यहां संवाददाताओं से कहा कि सरकार अवैध और अनैतिक तरीके से मुनाफा कमाने के चलन पर मूकदर्शक बनकर नहीं रहेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लाल किले की प्राचीर से अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में घुटना प्रतिरोपण सर्जरी को स्टंट की तरह सस्ता करने की बात कही थी. कैंसर और ट्यूमर के लिए विशेष इम्प्लांट के मामले में कीमत मौजूदा 4-9 लाख रुपये से काफी कम करके 1,13,950 रुपये की गयी है.
सरकार के अनुसार देश में डेढ़ से दो करोड़ रोगियों को घुटना बदलवाने की जरूरत है. हर साल भारत में 1.2 लाख से डेढ़ लाख ऐसी सर्जरी होती हैं. नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग ऑथोरिटी (एनपीपीए) ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि ऑर्थोपेडिक नी इम्प्लांट पर औसत लाभ 313 प्रतिशत तक होने का पता चला है.
अनंत कुमार ने कहा, ‘हृदयरोगियों के लिए स्टेंट के दाम सीमित करने के बाद अब हमने सभी तरह के घुटना प्रतिरोपण की कीमत नियंत्रित करने का फैसला किया है.’उन्होंने कहा कि अगर अस्पताल, आयातक, खुदरा विक्रेता एमआरपी से अधिक वसूलते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए चिकित्सा उपकरण उद्योग संघ ‘एमटैल’ने कहा कि वह एनपीपीए के आदेश की समीक्षा कर रहा है. नई मूल्य प्रणाली के तहत सर्वाधिक इस्तेमाल होने वाले कोबाल्ट-क्रोमियम इम्प्लांट का एमआरपी 54,720 रुपये निर्धारित किया गया है जिसके साथ जीएसटी और जोड़ा जाएगा. इसमें पूर्ववर्ती 1,58,324 रुपये के औसत एमआरपी में 65 प्रतिशत तक की कमी की गयी है. पहले इसकी कीमत 1.58 लाख रुपये से ढाई लाख रुपये तक होती थी.
18th August, 2017