केजीएमयू के पूर्व कुलपति डॉ. रविकांत के खिलाफ जांच के आदेश हुए हैं। उन पर भर्ती, प्रमोशन में मानकों की अनदेखी व उपकरणों की खरीद में अनियमितता की शिकायत है।
31 अगस्त तक रिपोर्ट तलब: शासन ने शिकायतों का संज्ञान लेते हुए मामले की जांच के आदेश दिए हैं। विशेष सचिव संजय कुमार उपाध्याय ने केजीएमयू प्रशासन को चिट्ठी लिखकर 31 अगस्त तक पूरी रिपोर्ट मांगी है।
केजीएमयू के पूर्व कुलपति डॉ. रविकांत मौजूदा समय में ऋषिकेश एम्स के निदेशक पद पर कार्यरत हैं। केजीएमयू कार्यपरिषद व शिक्षक संघ ने पूर्व कुलपति डॉ. रविकांत के समय हुई भर्तियों की शिकायत की थी। कुलाधिपति व सीएम से शिकायत हुई।
केजीएमयू के पूर्व कुलपति डॉ. रविकांत पर शिक्षक व कर्मचारियों की मनमाने तरीके से भर्ती का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि करीब 100 डॉक्टर व कर्मचारियों की नियमों के खिलाफ भर्ती की गई। वृद्धावस्था व मानसिक स्वास्थ्य विभाग में डॉ. प्रीति की भर्ती राज्यपाल ने निरस्त कर दी थी। हालांकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है। इसी तरह अन्य विभागों में शिक्षकों की भर्ती की गई। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मानकों को दरकिनार कर यूनिटों को अलग कर विभाग बना दिए गए। उनमें शिक्षकों की तैनाती दी गई।
चक गजरिया स्थित कैंसर संस्थान में कार्यवाहक निदेशक रहते हुए भी तमाम अनियमित तरीके से भर्ती के आरोप लगे हैं। रायबरेली रोड स्थित ट्रॉमा-2 में भी भर्ती को लेकर शिकायत हुई है। 25 डॉक्टरों के प्रमोशन में भी नियमों को दरकिनार कर दिया गया। आरोप हैं कि उपकरणों की खरीद-फरोख्त में भी नियमों का पालन नहीं किया गया।
केजीएमयू में करीब 48 विभाग थे। इन सभी विभागों का अपना फंड होता था। इस फंड से विभाग अपनी छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा करते थे। आरोप हैं कि पूर्व कुलपति ने बिना विभागाध्यक्षों की मर्जी के फंड को केजीएमयू खाते में ट्रांसफर करा लिया। इस बजट को मनमाने तरीके से खर्च किया।
पूर्व कुलपति ने केजीएमयू सीएमएस, कुलसचिव और उपकुलसचिव समेत दूसरे अहम प्रशासनिक पदों पर शिक्षकों की तैनाती मुख्यमंत्री, शीर्ष अधिकारी, राज्यपाल के पूर्व प्रमुख सचिव के मौखिक निर्देशों पर कर डाली। कार्यपरिषद के सदस्यों ने बकायदा शिकायत भेजकर कहा कि केजीएमयू को बदनाम करने के लिए कुलपति ने मौखिक आदेश की बात कही थी। सीनियर व जूनियर रेजीडेंट की भर्ती में गड़बड़ी।