नोएडा-जीएम बनने के चक्कर में यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी के डीजीएम (प्रॉजेक्ट) हवालात पहुंच गए हैं। सोमवार को अथॉरिटी के चेयरमैन ने पहले उन्हें बहाने से अपने ऑफिस में बुलवाया और फिर पुलिस को बुलाकर उनके हवाले कर दिया। आरोप है कि खुद का रास्ता साफ करने के लिए डीजीएम ने सरकार को तीन करोड़ रुपये की रिश्वत की झूठी शिकायत दी थी। इसमें एक आईएएस अफसर समेत कई अन्य अधिकारियों की मिलीभगत होने की बात सामने आ रही है। इन सभी पर कार्रवाई के लिए सरकार से अनुमति मांगी गई है।
क्या है मामला
11 अगस्त को यमुना अथॉरिटी की ओर से कासना कोतवाली में बंटी सिंह, शिव कुमार, राकेश, धर्मेंद्र पाल और यमुना अथॉरिटी के कुछ अज्ञात अफसरों के खिलाफ फ्रॉड की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि कुछ लोगों ने सरकार को शिकायत भेजकर आरोप लगाया गया था कि बागपत में तैनात सिंचाई विभाग के एक अफसर को तीन करोड़ लेकर यमुना अथॉरिटी में जीएम बनाया गया है। सरकारी जांच में शिकायत करने वालों के पते फर्जी निकले, लिहाजा शिकायत भी झूठी मानी गई। पुलिस और यमुना अथॉरिटी की जांच में सामने आया कि यह झूठी शिकायत अथॉरिटी में ही तैनात डीजीएम ए. के. सिंह ने कराई थी। अथॉरिटी अफसरों के अनुसार वह खुद जीएम बनना चाहते थे और इसके लिए सरकार के पास आवेदन भी किया था। पुलिस के अनुसार कॉल डिटेल व सर्विलांस के आधार पर ए. के. सिंह की मिलीभगत का खुलासा हुआ। शिकायत करने वाले लोगों से ए. के. सिंह की लगातार बात हो रही थी। इसी के आधार पर शिकायतकर्ताओं की भी पहचान हो गई है, जो फरार हैं। उनकी भी तलाश की जा रही है।
जांच के आधार पर यमुना अथॉरिटी के चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार ने सोमवार को ए.के.सिंह को अपने कार्यालय बुलाया और पुलिस के हवाले कर दिया। इसकी सूचना मिलते ही अथॉरिटी दफ्तर में हड़कंप मच गया। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है। वहीं आरोपी की पैरवी को लेकर एक पूर्व विधायक से लेकर अथॉरिटी के अफसर तक जुट गए। थाने में भी कुछ लोग पहुंचे। बाद में सीओ ग्रेटर नोएडा फर्स्ट अमित किशोर श्रीवास्तव भी पूछताछ करने जा पहुंचे। चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार का कहना है कि आगे की कार्रवाई पुलिस कर रही है। इसमें अन्य जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन सभी के खिलाफ कार्रवाई होगी।
यमुना अथॉरिटी में जीएम (प्रॉजेक्ट) पद पर तैनात भगवान सिंह 31 जून 2017 को रिटायर्ड हो गए थे। इस खाली पद को प्रतिनियुक्ति से भरा जाना था। इसके लिए कई लोगों ने आवेदन किया था। आरोपी डीजीएम ने भी आवेदन किया था। सरकार ने बागपत में तैनात देवेंद्र सिंह बालियान का नाम तय किया। इसके बाद सरकार के पास चार अलग-अलग शिकायतें आईं कि यह प्रतिनियुक्ति तीन करोड़ रुपये लेकर की गई है। इसमें अथॉरिटी के चेयरमैन, एक केंद्रीय मंत्री व शासन के अन्य अधिकारी 50-50 लाख रुपये दिए गए हैं।
ए. के. सिंह पहले गाजियाबाद नगर निगम में अधिशासी अभियंता यातायात (नगर) के पद पर तैनात थे। एसपी सरकार के दौरान 28 दिसंबर 2015 को डेप्युटेशन पर उनकी यमुना अथॉरिटी में सीनियर मैनेजर के रूप में नियुक्ति हुई थी। यहां आते ही उन्हें प्रभारी डीजीएम (प्रॉजेक्ट) का पद दे दिया गया और बाद में डीजीएम का पद मिला।
29th August, 2017