विजय शंकर पंकज,
लखनऊ। हां- आपको जानकर आश्चर्य होगा। प्रदेश की राजधानी के सबसे महत्वपूर्ण एवं सुरक्षित क्षेत्र राजभवन के सामने लोक निर्माण विभाग का भवन आग का भंडार बना हुआ है। प्रदेश भर में विभिन्न निर्माण कार्यो का मार्गदर्शन करने वाला लोक निर्माण विभाग अभी तक खुद अपने लिए अग्निशमन के मानको का पालन नही कर रहा है।
यह स्थिति तब है जबकि वर्ष 2015-16 में लोनिवि भवन के सौन्दर्यीकरण के नाम पर 12 करोड़ रूपये खर्च किये गये जबकि प्रदेश में नयी योगी सरकार बनने पर उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या के कैम्प कार्यालय के निर्माण के लिए गेस्टहाउस में आलीशान कक्ष बनाने के लिए 5 करोड़ रूपये की धनराशि खर्च की गयी है।
बिना जरूरत 17 करोड़ खर्च करने वाले अधिकारियों ने अग्निशमन की व्यवस्था के लिए लगभग 5.60 करोड़ रूपये की धनराशि को मंजूरी नही दी। अब 15 जुलाई को ट्रामा सेन्टर में अग्निकांड की घटना के बाद सरकार ने जब सभी विभागों के पेंच कसे तो लोक निर्माण विभाग में हड़कंप मचा है। यह स्थिति तब है जब इस भवन में मंत्री तथा शासन के वरिष्ठ अधिकारियों सहित अन्य प्रदेश भर के अभियन्ताओं की बैठके होती रहती है और कई वरिष्ठ अभियन्ताओं के यहां पर नियमित कार्यालय है।
वर्ष 2012 में लोक निर्माण विभाग के पिछले हिस्से में आग लगने के बाद पहली बार लखनऊ के मुख्य अग्निशमन अधिकारी ने शासन को इन तथ्यों से अवगत कराया कि वीआईपी इलाके में स्थित इस बहुमंजिला भवन में अग्निशमन की व्यवस्था न होना संवदेनशील मामला है। इसके बाद शासन ने अग्निशमन व्यवस्था के लिए रिपोर्ट मांगी।
वर्ष 2012 में ही लोक निर्माण विभाग की तरफ से अग्निशमन की व्यवस्था के लिए विस्तृत रिपोर्ट शासन को भेजी गयी। इसके तहत विभिन्न भवनों की स्थिति इस प्रकार रही।
मुख्य भवन एवं नवीन भवन इस चार मंजीले भवन में उच्च स्तर के अधिकारी, प्रमुख अभियन्ता एवं मुख्य अभियन्ता के कार्यालय स्थित है जहां राज्य भर से अभियन्ता आते रहते है। इस भवन में अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं गोपनीय अभिलेखों का भी संग्रह है। यहां के मीटिंग हाल में मंत्री तथा शासन के वरिष्ठ अधिकारी भाग लेते है। नवीन भवन में के बेसमेंट में दो पहिया वाहनों की पार्किंग एवं स्टेशनरी का स्टोर स्थापित है, जो अत्यन्त ही ज्वलनशील पदार्थ की श्रेणी में आता है। इस भवन के बेसमेंट में स्प्रिंकलर सिस्टम की स्थापना अनिवार्य है।
अन्वेषणालय भवन -- इस तीन मंजिला भवन में रासायनिक, सी.सी., मृदा परीक्षण एवं ब्रिक टेस्ट आदि की प्रयोगशालाएं स्थित है। प्रयोगशालाओं में 3 फेज एवं उच्च क्षमता के टेस्टिंग उपकरण-संयन्त्र भारी संख्या में है। टेस्टिंग के दौरान विभिन् निकलती है। इन गैसों तथा उच्च क्षमता के विद्युत संयंत्रों के कारण आग फैलने की स्थिति भयावह हो सकती है।
निरीक्षण भवन -- यह संवेदनशील दो मंजिला भवन है। इसमें दो ब्लाक है। ए ब्लाक में मीटिंग हाल में जिसमें मंत्री तथा अधिकारियों की बैठक होती है जबकि बी ब्लाक में राज्यपाल के अध्यासन के लिए दो कक्ष आरक्षित रहते है। ए ब्लाक में ही पिछले तीन माह में 5 करोड़ रूपये की लागत से विशेष कक्ष का निर्माण हुआ है परन्तु नये निर्माण में भी अग्निशमन की कोई व्यवस्था नही की गयी है। यह नही इन कक्षों में अत्यन्त ज्वलनशील फाल्स सीलिंग तथा अन्य विद्युतीय कार्य भी किये गये है।
विश्वेशरैया प्रेक्षागृह -- इस प्रेक्षागृह में राज्यपाल, मुख्यमंत्री केन्द्रीय तथा राज्यमंत्रियों के साथ उच्चस्तरीय बैठके होती रहती है। इसमे उच्च क्षमता के आधुनिक विद्युत संयन्त्र, साउन्ड सिस्टम, केन्द्रीय वातानुकूलित कक्ष, डीजी सेट, स्टेज लाइटिंग आदि स्थापित है।
इसके अलावा पूरे भवन में चारों तरफ भारी संख्या में चार पहिया एवं दो पहिया वाहन खड़े रहते है जो किसी भी क्षण आग भड़कने के माध्यम हो सकते है।
लोक निर्माण विभाग ने अपने आगणन में अग्निशमन के लिए 8 स्तर पर निर्माण की मंजूरी मांगी थी। इसमें प्रमुख अभियन्ता कार्यालय में फायर हाइड्रेन्ट सिस्टम की स्थापना, नवीन भवन के बेसमेंट में स्प्रिंकलर सिस्टम की स्थापना, राइजिंग सिस्टम को प्रेशरयुक्त जलापूर्ति के लिए 2.5 लाख लीटर क्षमता के भूमिगत सम्प के निर्माण एवं मेनपंप, स्प्रिंकलर पंप, डिजल इंजन पंप, जाकी पंप की स्थापना अनिवार्य है।
इसके साथ ही पंपों के रखरखाव के लिए एक अदद पंप रूम के निर्माण, पांच हजार लीटर की क्षमता के सात अदद टैरिस टैंक की स्थापना, फायर इन्सक्टीग्यूसर की स्थापना तथा एक 5 एचपी समरर्सिबल पंप की स्थापना कराया जाना है। वर्ष 2012 के बाद अब इसकी निर्माण लागत 6 करोड़ रूपये अनुमानित की गयी है।
प्रदेश के मुख्यसचिव राजीव कुमार ने 27 जुलाई को सभी विभिागध्यक्षों को पत्र लिखकर अग्निसुरक्षा व्यवस्था को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है। मुख्यसचिव ने यह भी साफ किया है कि जहां पर अग्निशमन की व्यवस्था न हो, वहां पर इसकी व्यवस्था करने तथा जहां पर इसकी व्यवस्था है, वहां पर इसके समुचित रखरखाव किये जाने का निर्देश दिया है।
लखनऊ। हां- आपको जानकर आश्चर्य होगा। प्रदेश की राजधानी के सबसे महत्वपूर्ण एवं सुरक्षित क्षेत्र राजभवन के सामने लोक निर्माण विभाग का भवन आग का भंडार बना हुआ है। प्रदेश भर में विभिन्न निर्माण कार्यो का मार्गदर्शन करने वाला लोक निर्माण विभाग अभी तक खुद अपने लिए अग्निशमन के मानको का पालन नही कर रहा है।
7th September, 2017