लखनऊ। अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इलाहाबाद हाइकोर्ट को बड़ा निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस 10 दिनों के भीतर नए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करें।
राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही सुनवाई में स्पष्ट कर चुका है कि 5 दिसंबर के बाद दोनों में से किसी पक्ष को समय नहीं दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को भी निर्देश दिए हैं कि हाईकोर्ट में पेश किए गए सभी सबूतों की रिकॉर्डिंग का अनुवाद अगले 10 सप्ताह में कर लें।
गौरतलब है कि पक्षकारों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। जिसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा मस्जिद और तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दिया था।
क्या कहा था इलाहाबाद हाईकोर्ट ने
कोर्ट ने आदेश दिया था कि जहां पर रामलला की मूर्ति है, वहां रामलला को विराजमान कर दिया जाए। राम चबूतरा और सीता रसोई वाली जगह निर्मोही अखाड़े को और बचा हुआ एक-तिहाई हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया जाए।
राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही सुनवाई में स्पष्ट कर चुका है कि 5 दिसंबर के बाद दोनों में से किसी पक्ष को समय नहीं दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को भी निर्देश दिए हैं कि हाईकोर्ट में पेश किए गए सभी सबूतों की रिकॉर्डिंग का अनुवाद अगले 10 सप्ताह में कर लें।
गौरतलब है कि पक्षकारों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। जिसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा मस्जिद और तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दिया था।
कोर्ट ने आदेश दिया था कि जहां पर रामलला की मूर्ति है, वहां रामलला को विराजमान कर दिया जाए। राम चबूतरा और सीता रसोई वाली जगह निर्मोही अखाड़े को और बचा हुआ एक-तिहाई हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया जाए।
11th September, 2017