यूपी में विकास नही योगी का हिन्दुत्व
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विजय शंकर पंकज,लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार में विकास को किनारे का रास्ता दिखा दिया गया है। योगी सरकार की प्राथमिकताओं में राज्य का विकास न होकर अयोध्या में राम मूर्ति की स्थापना तथा जिला स्तर पर गौशाला खोलने का है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकास के वादे पर भारी बहुमत से सत्ता में आयी भाजपा ने गेरूआ वस्त्रधारी को जो कमान सौपी, वह उसी प्रकार निर्लिप्त भाव से कट्टर हिन्दुत्ववादी राह को अपनाये हुए है। पिछले 6 माह की सरकार में योगी सरकार अपने ही किये वादों से मुकर गयी है। हालात यह है कि भाजपा नेतृत्व भी इस मुद्दे पर शान्त है। योगी सरकार के एक दर्जन से ज्यादा मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त है और कार्यकर्ता उदासीन चल रहे है। जनता से लेकर कार्यकर्ताओं तक की सुनवाई नही हो रही है। निकाय चुनाव में प्रत्याशियों की घोषणा होने के बाद कार्यकर्ताओं का आक्रोश खुलकर सामने आ गया है। इसका प्रभाव निकाय चुनावों पर पड़ने की आशंका जतायी जा रही है।
सरकार बनने के बाद योगी मंत्रिमंडल की पहली बैठक में चुनावी वादे के अनुरूप किसानों की कर्जमाफी का निर्णय लिया गया। इस प्रक्रिया में ऐसी जटिलता पैदा कर दी गयी कि हजारों किसानों को पैसे में कर्जमाफी का भुगतान किया गया। इस भुगतान का श्रेय लेने के लिए मुख्यमंत्री से मंत्री तक के कार्यक्रम लगाये गये जो किसानों की कर्जमाफी से केवल कार्यक्रम पर खर्च हो गया। इस मुद्दे पर सरकार की हुई फजीहत के बाद मंत्रियों के दौरे बंद हुए। किसानों की कर्जमाफी के लिए योगी सरकार ने जो बजटीय व्यवस्था की, उससे सरकार का आर्थिक तंत्र ही गड़बड़ा गया। हालात यह है कि प्रदेश की सभी विकास योजनाएं बंद कर दी गयी है। राज्य कर्मचारियों का वेतन देना भी सरकार पर भारी पड़ रहा है। सरकार ने कर्मचारियों का डीए तथा बढ़े वेतन को जनवरी से लागू करने की घोषणा की है। इस अवधि की धनराशी कर्मचारियों के पीएफ में डाले जाने का आदेश दिया गया है ताकि सरकार के अर्थतंत्र को कुछ दिनों के लिए स्थिर रखा जा सके।
योगी सरकार की प्राथमिक घोषणाओं में सभी शहरी मजदूरों को सस्ता भोजन उपलब्ध कराने के लिए "" अन्नपूर्णा योजना"" शु डिग्री करने की थी परन्तु 6 माह बितने के बाद भी इस योजना का अभी तक खाका ही तैयार नही हो पाया है। इसके पीछे सरकार का कमजोर अर्थतंत्र बताया जा रहा है। अब मुख्यमंत्री योगी भी इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है। योगी सरकार ने प्रदेश की खस्ता हाल सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का अभियान चलाया परन्तु यह कागजों तक ही सीमित हो कर रह गया। पहले बरसात का मौसम बताकर काम रोका गया परन्तु उसके बाद भी सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का कार्य शु डिग्री नही हुआ। कारण साफ है कि सरकार के पास पैसा नही है। खनन माफियाओं पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने सभी खदानों पर रोक लगा दी। इसके लिए " ई टेन्डरिंग " की प्रक्रिया लागू की गयी परन्तु अभी तक इसका पूरी कार्य योजना ही नही लागू हुई है।
हालात यह है कि पिछले 6 माह से खनन पर रोक से निर्माण कार्य बंद पड़े है। इससे निजी कार्य भी नही हो पा रहे है और लाखो मजदूरों की भुखमरी की स्थिति पैदा हो गयी है। निर्माण कार्य में आने वाले गिट्टी, बालू एवं मौरंग के भाव आसमान छू रहे है। योगी सरकार इस पर कान पर रूई डाले हुए है। अन्य सरकारी निर्माण कार्य के विभागों में भी " ई टेन्डरिंग " व्यवस्था लागू होने से छोटे काम ठप पड़े है। सरकार बनने पर मंत्रियों एवं बंगलो के रखरखाव एवं सौन्दर्यीकरण पर लगभग 20 करोड़ रूपये की धनराशि जारी हुई परन्तु उसका भुगतान न होने से ठेकेदारों ने काम बंद कर दिया है। लोक निर्माण विभाग ने राज्य संपत्ति के आवासों एवं कार्यालयों के मरम्मत एवं सौन्दर्यीकरण कार्यो को " ई टेन्डरिंग" से बाहर करने का प्रस्ताव किया है परन्तु मुख्यमंत्री कार्यालय चुप्पी साधे हुए है।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार एवं गरीबों को मुफ्त इलाज करने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने ही शहर गोरखपुर में सैकडों बच्चों की भयावह मौत से होकर गुजरना पड़ा। वहां पर गैस सप्लाई करने वाली कंपनी को भुगतान न करने के कारण इस भयावह स्थिति से गुजरना पड़ा। सरकार की गरीबों के लिए खाद्यान योजना छिन्न-भिन्न पड़ी हुई है। इससे कई जिलो में लोगों के भुखो मरने की सूचनाएं आयी परन्तु मामले को दबाने के लिए बिमारी कारण बताकर पल्ला झाड़ लिया गया। आबकारी, बाल पुष्टाहार तथा शिक्षा विभाग के बड़े ठेके पुरानी सरकारों के ब्लैक लिस्टेड कंपनियों के देने से योगी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम को तगड़ा झटका लगा है। इससे योगी मंत्रिमंडल के कई मंत्रियों के क्रियाकलापों पर सवालिया निशान लगने लगे है। प्रदेश में जब विकास कार्य अवरूद्ध है और कानून-व्यवस्था खराब है तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश छोड़ दूसरों राज्यों में हिन्दुत्व का नारा देकर चुनाव प्रचार करने में जुटे है।
विकास कार्यो से जनता का ध्यान हटाने के लिए योगी सरकार ने बड़े ही करीने से हिन्दूत्व का कार्ड खेलना शु डिग्री कर दिया है। इसके लिए अयोध्या में सरयू किनारे भव्य दीपोत्सव का आयोजन किया गया तो सरयू में 133 करोड़ की धनराशि से विशाल राममूर्ति स्थापित करने की घोषणा कर दी गयी। हालांकि अभी तक इस दिशा में एक कदम भी नही चली है सरकार। इससे भी मामला नही सुलझा तो योगी मंत्रीमंडल ने हर जिले में गौशाला खोलने की घोषणा कर दी। सवाल यह है कि जब सरकार के पास अन्नपूर्णा योजना के लिए सस्ता भोजन उपलब्ध कराने के लिए पैसा नही है तो गौशालाओं के लिए पैसा कहा से आएगा। भाजपा नेतृत्व भी योगी के योगिया रंग का लाभ उठाते हुए उत्तर प्रदेश के विकास से हटाकर चुनाव वाले राज्यों में प्रचार कराकर हिन्दुत्व को धार देना चाहता है।
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स्लाइडशो दोबारा देखेंविजय शंकर पंकज,लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार में विकास को किनारे का रास्ता दिखा दिया गया है। योगी सरकार की प्राथमिकताओं में राज्य का विकास न होकर अयोध्या में राम मूर्ति की स्थापना तथा जिला स्तर पर गौशाला खोलने का है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकास के वादे पर भारी बहुमत से सत्ता में आयी भाजपा ने गेरूआ वस्त्रधारी को जो कमान सौपी, वह उसी प्रकार निर्लिप्त भाव से कट्टर हिन्दुत्ववादी राह को अपनाये हुए है। पिछले 6 माह की सरकार में योगी सरकार अपने ही किये वादों से मुकर गयी है। हालात यह है कि भाजपा नेतृत्व भी इस मुद्दे पर शान्त है। योगी सरकार के एक दर्जन से ज्यादा मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त है और कार्यकर्ता उदासीन चल रहे है। जनता से लेकर कार्यकर्ताओं तक की सुनवाई नही हो रही है। निकाय चुनाव में प्रत्याशियों की घोषणा होने के बाद कार्यकर्ताओं का आक्रोश खुलकर सामने आ गया है। इसका प्रभाव निकाय चुनावों पर पड़ने की आशंका जतायी जा रही है।