RAJENDRA DWIVEDI, AHMEDABAD। गुजरात विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस पार्टी से ज्यादा व्यक्तिगत रूप से पीएम नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता
राहुल गांधी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। कहने के लिए तो एक राज्य का विधानसभा चुनाव है लेकिन इसका परिणाम देश में नई
राजनीतिक दिशा तय करेगा। नरेंद्र मोदी के लिए यह चुनाव उनके राजनीतिक जीवन का सबसे अहम है क्योकि पहला मौका है जब
प्रधानमंत्री के रूप में मोदी राज्य का चुनाव लड़ रहे है। पूरा चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम पर ही लड़ा जा रहा है। कहने के लिए तो
अमित शाह सहित भाजपा नेताओं की बहुत बड़ी टीम गुजरात चुनाव में जुटी है लेकिन प्रतिष्ठा केवल मोदी और मोदी की ही लगी
हुई है। यह चुनाव तय करेगा कि 2019 लोकसभा चुनाव की दिशा क्या होगी?
अगर गुजरात चुनाव भाजपा जीती तो यह माना जायेगा की मोदी का जादू अभी भी बरकरार है और जनता प्रधानमंत्री की बातों पर
भरोसा कर रही है। विपक्ष पीएम के बयान को लेकर चाहे जो आरोप लगाए। इस चुनाव के बाद भी 2019 के लिए भाजपा का एक
मजबूत आधार बन जाएगा और यह माना जाएगा कि मोदी पर अभी भी राहुल की चुनौती बेअसर है।
दूसरी तरफ अगर भाजपा गुजरात में चुनाव हारती है तो यह माना जाएगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घर की जनता ने नकार दिया है
और जनता का भरोसा प्रधानमंत्री के वादों से उठ चुका है। इस चुनाव परिणाम के बाद से यह माना जाएगा कि भाजपा की उल्टी
गिनती शुरू हो जाएगी और 2019 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प बन सकते है?
गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के आरोपों और प्रत्यारोपों और सरकार बनाने के दावों पर हमने 9 दोनों में गुजरात
में 1400 से अधिक किमी की यात्रा किया और मतदाताओं से उनका मत जाने का प्रयास किया। बातचीत में मतदाता बटे-बटे नजर
आए। मतदाताओं के अपने अपने तर्क थे। मतदाता पूरी तरह से जातीय, धार्मिक समीकरण में बटे दिखाई दिये। जामनगर बस
स्टेशन के सामने समाचार पत्र बेचने वाले रऊफ ने बड़े तार्किक ढंग से गुजरात में मोदी के खिलाफ चल रही लहर और जनआक्रोश
को गिनाया। रऊफ का कहना था विकास के नाम पर मोदी ने ऐसा कोई मॉडल नहीं बनाया जिससे आम गरीब को लाभ मिल सके।
रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य का लाभ आज भी गरीब को नहीं मिल पा रहा है। निजी संस्थाओं ने शिक्षा स्वास्थ्य पर अपना कब्जा कर
लिया है। गुजरात के स्थानीय रोजगार छिन गए है। बड़ी बड़ी कंपनियाँ लाभ ले रही है और गुजरात के लोग बेरोजगार होते जा रहे
है। नोटबंदी और जीएसटी से भी गरीब परेशान हुआ है रोजगार छिने है लाभ केवल अमीरों के खातें में गया है।
रऊफ ने समाचार पत्र में छपी एक खबर दिखाया जिसमें सूरत में 50 करोड़ पुराने नोट पकड़े जाने का उल्लेख था। उनका कहना था कि नोटबंदी में इसी तरह से बड़े लोगों के नंबर दो के नोट बदल दिये गए जो भाजपा से जुड़े थे। जिन 50 कारों के नोटों के साथ पकड़े जाने वाले लाभू झालावाड़िया, सुरेश झालावाड़िया ये सभी भाजपा से जुड़े है सवाल यह है कि अगर पुराने नोट रखना अपराध है तो 50 करोड़ के पुराने नोट अभी कैसे और कहाँ जा रहे थे। यह तय है कि सरकार के सहयोग से आरबीआई आज भी कालेधन को सफेद कर रही है। यह नोट पकड़ें इसलिए गए क्योकि चुनावों में कई विभागों के राज्यों के बाहर के अधिकारी भी लगे है। उनका कहना था कि जनता के हर वर्ग में बहूत नाराजगी है और वादों-वादों से गरीब परेशान है।
अगोरा माँल में लगे कई निजी सुरक्षाकर्मी के भी गुजरात के विकास मॉडल और चुनाव में हो रहे बयानबाजी पर अपने अपने विचार बताए। दलित समुदाय से जुड़े भूपेंद्र का कहना था कि दलितों के साथ भाजपा ने न्याय नहीं किया है। मायावती के नाम पर भी दलित नाराज थे उनका कहना था कि मायावती अंबेडकर के मिशन से हटकर सत्ता के लिए कार्य कर रही है। आज भी दलित कमजोर और उसे उंसका हक नहीं मिल रहा है। गुजरात चुनावों में दलित किसके साथ है इसपर भूपेंद्र कहते है कि भाजपा को वोट नहीं देंगे। लेकिन साथ ही ईवीएम को लेकर सवाल भी उठाते है कि ईवीएम मे गड़बड़ी है। वोट किसी को देंगे सरकार मोदी बना लेंगे ।
जामनगर, राजकोट के बाढ़ प्रभावी सिक्का, नैनी, खाबड़ी गाँवों के मतदाताओं ने गुजरात सरकार के खिलाफ काफी नाराजगी दिखी। विशेषकर किसान इस बात से बहुत आहत थे कि बाढ़ में किसी प्रकार की मदद नहीं मिली चुनाव में मतदान के सवाल पर किसानों में एक सुर में कहा कि भाजपा को वोट नहीं देंगे। किसे देंगे इसपर चुप हों गए। यह चुप्पी निश्चित रूप से भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं है।
राहुल गांधी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। कहने के लिए तो एक राज्य का विधानसभा चुनाव है लेकिन इसका परिणाम देश में नई
राजनीतिक दिशा तय करेगा। नरेंद्र मोदी के लिए यह चुनाव उनके राजनीतिक जीवन का सबसे अहम है क्योकि पहला मौका है जब
प्रधानमंत्री के रूप में मोदी राज्य का चुनाव लड़ रहे है। पूरा चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम पर ही लड़ा जा रहा है। कहने के लिए तो
अमित शाह सहित भाजपा नेताओं की बहुत बड़ी टीम गुजरात चुनाव में जुटी है लेकिन प्रतिष्ठा केवल मोदी और मोदी की ही लगी
हुई है। यह चुनाव तय करेगा कि 2019 लोकसभा चुनाव की दिशा क्या होगी?
अगर गुजरात चुनाव भाजपा जीती तो यह माना जायेगा की मोदी का जादू अभी भी बरकरार है और जनता प्रधानमंत्री की बातों पर
भरोसा कर रही है। विपक्ष पीएम के बयान को लेकर चाहे जो आरोप लगाए। इस चुनाव के बाद भी 2019 के लिए भाजपा का एक
मजबूत आधार बन जाएगा और यह माना जाएगा कि मोदी पर अभी भी राहुल की चुनौती बेअसर है।
दूसरी तरफ अगर भाजपा गुजरात में चुनाव हारती है तो यह माना जाएगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घर की जनता ने नकार दिया है
और जनता का भरोसा प्रधानमंत्री के वादों से उठ चुका है। इस चुनाव परिणाम के बाद से यह माना जाएगा कि भाजपा की उल्टी
गिनती शुरू हो जाएगी और 2019 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प बन सकते है?
गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के आरोपों और प्रत्यारोपों और सरकार बनाने के दावों पर हमने 9 दोनों में गुजरात
में 1400 से अधिक किमी की यात्रा किया और मतदाताओं से उनका मत जाने का प्रयास किया। बातचीत में मतदाता बटे-बटे नजर
आए। मतदाताओं के अपने अपने तर्क थे। मतदाता पूरी तरह से जातीय, धार्मिक समीकरण में बटे दिखाई दिये। जामनगर बस
स्टेशन के सामने समाचार पत्र बेचने वाले रऊफ ने बड़े तार्किक ढंग से गुजरात में मोदी के खिलाफ चल रही लहर और जनआक्रोश
को गिनाया। रऊफ का कहना था विकास के नाम पर मोदी ने ऐसा कोई मॉडल नहीं बनाया जिससे आम गरीब को लाभ मिल सके।
रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य का लाभ आज भी गरीब को नहीं मिल पा रहा है। निजी संस्थाओं ने शिक्षा स्वास्थ्य पर अपना कब्जा कर
लिया है। गुजरात के स्थानीय रोजगार छिन गए है। बड़ी बड़ी कंपनियाँ लाभ ले रही है और गुजरात के लोग बेरोजगार होते जा रहे
है। नोटबंदी और जीएसटी से भी गरीब परेशान हुआ है रोजगार छिने है लाभ केवल अमीरों के खातें में गया है।
रऊफ ने समाचार पत्र में छपी एक खबर दिखाया जिसमें सूरत में 50 करोड़ पुराने नोट पकड़े जाने का उल्लेख था। उनका कहना था कि नोटबंदी में इसी तरह से बड़े लोगों के नंबर दो के नोट बदल दिये गए जो भाजपा से जुड़े थे। जिन 50 कारों के नोटों के साथ पकड़े जाने वाले लाभू झालावाड़िया, सुरेश झालावाड़िया ये सभी भाजपा से जुड़े है सवाल यह है कि अगर पुराने नोट रखना अपराध है तो 50 करोड़ के पुराने नोट अभी कैसे और कहाँ जा रहे थे। यह तय है कि सरकार के सहयोग से आरबीआई आज भी कालेधन को सफेद कर रही है। यह नोट पकड़ें इसलिए गए क्योकि चुनावों में कई विभागों के राज्यों के बाहर के अधिकारी भी लगे है। उनका कहना था कि जनता के हर वर्ग में बहूत नाराजगी है और वादों-वादों से गरीब परेशान है।
अगोरा माँल में लगे कई निजी सुरक्षाकर्मी के भी गुजरात के विकास मॉडल और चुनाव में हो रहे बयानबाजी पर अपने अपने विचार बताए। दलित समुदाय से जुड़े भूपेंद्र का कहना था कि दलितों के साथ भाजपा ने न्याय नहीं किया है। मायावती के नाम पर भी दलित नाराज थे उनका कहना था कि मायावती अंबेडकर के मिशन से हटकर सत्ता के लिए कार्य कर रही है। आज भी दलित कमजोर और उसे उंसका हक नहीं मिल रहा है। गुजरात चुनावों में दलित किसके साथ है इसपर भूपेंद्र कहते है कि भाजपा को वोट नहीं देंगे। लेकिन साथ ही ईवीएम को लेकर सवाल भी उठाते है कि ईवीएम मे गड़बड़ी है। वोट किसी को देंगे सरकार मोदी बना लेंगे ।
जामनगर, राजकोट के बाढ़ प्रभावी सिक्का, नैनी, खाबड़ी गाँवों के मतदाताओं ने गुजरात सरकार के खिलाफ काफी नाराजगी दिखी। विशेषकर किसान इस बात से बहुत आहत थे कि बाढ़ में किसी प्रकार की मदद नहीं मिली चुनाव में मतदान के सवाल पर किसानों में एक सुर में कहा कि भाजपा को वोट नहीं देंगे। किसे देंगे इसपर चुप हों गए। यह चुप्पी निश्चित रूप से भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं है।
11th December, 2017