अहमदाबाद। गुजरात में दूसरे चरण का मतदान 14 दिसम्बर को है। इस चरण में 14 जिलों की 93 सीटें है। दूसरे चरण में मध्य गुजरात के 8 और उत्तर गुजरात के 6 जिलें शामिल है। दूसरा चरण यह तय कर देगा कि बहुमत की सरकार किसकी बन रही है। 2012 विधानसभा चुनाव परिणाम को देखे तो मध्य गुजरात और उत्तर गुजरात में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी। उत्तर गुजरात के 6 जनपदों के 32 सीटों में से कांग्रेस की 17 सीटें थी। जोकि बीजेपी से 2 सीटें अधिक है। बीजेपी को उत्तर गुजरात में मात्र 15 सीटें मिली थी। मध्य गुजरात की 61 सीटों में से 37 बीजेपी और 22 कांग्रेस को मिली थी और 2 सीटें अन्य दलों को मिली थी।
अहमदाबाद एक ऐसा जनपद है जहां सर्वाधिक 21 सीटें है। इनमें से 2012 में बीजेपी को 17 और कांग्रेस को 4 सीटें मिली थी। 2012 चुनाव परिणाम और 2017 का विधानसभा चुनाव के स्थानीय समीकरण जातीय और धार्मिक ध्रुवीकरण का विश्लेषण करें तो कमंडल पर मण्डल भारी दिख रहा है। मध्य क्षेत्र के अहमदाबाद, आनंद, छोटा उदयपुर, दोहद, खेड़ा, महिसागर, पंचमहल, वडोदरा और उत्तर गुजरात के अरावली, बनासकाठा, गांधीनगर, मेहसाणा, पाटन और साबरकांठा जनपदों में पिछले चुनाव की तुलना में धार्मिक ध्रुवीकरण से ज्यादा जातीय ध्रुवीकरण दिखाई दिया। यहीं बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है क्योकि 2012 में बीजेपी के पक्ष में कई समीकरण थे, जिसमें मोदी जैसा मुख्यमंत्री और पाटीदारों सहित पिछड़ें वर्ग का व्यापक समर्थन, वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी का आशीर्वाद प्रमुख रूप से शामिल थे। विपक्ष में कांग्रेस के पास मोदी के सामने कोई भी प्रभावशाली नेता नहीं था। इसका भी फायदा बीजेपी को मिला। लेकिन 2017 में पिछड़ों में विभाजन हो चुका है।
अमित शाह के रवैये से गुजरात का भाजपा कैडर भी नाराज है और आडवाणी के समर्थक भी अपमानित महसूस कर रहे है। गांधीनगर जहां से आडवाणी सांसद है वह कांग्रेस का प्रभाव क्षेत्र है। गांधीनगर की 5 विधानसभा सीटों में 3 सीटें कांग्रेस की ही है।
urid media group की टीम ने मध्य गुजरात और उत्तर गुजरात के जनपदों में सभी जाति, धर्म, आयु, किसान, व्यापारी, युवा वर्ग के मतदाताओं से उनके रुख जानने का प्रयास किया। मतदाता के रुख से भी लग रहा है कि मोदी का करिश्मा, मोदी का गुजरात मॉडल, केंद्र सरकार की नीतियाँ, नोटबंदी, जीएसटी और महंगाई तथा मोदी द्वारा किए गए वादों पर अमल ना होने से जनता भाजपा से नाराज है। जबकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आक्रामक तेवर और पिछड़ें व दलित युवा नेताओं के साथ आने से जातीय समीकरण कांग्रेस के पक्ष में दिखाई दे रहा है।
पुराने चुनावी परिणाम और वर्तमान राजनीतिक माहौल एवं स्थानीय समीकरण से स्पष्ट है कि 2012 विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण की 93 सीटों में से भाजपा को 52 और कांग्रेस को 39 तथा अन्य को 2 सीटें मिली थी। यह आकड़ें निश्चित रूप से बदलेंगे। 2012 में अनुकूल राजनीतिक समीकरण के बाद भी भाजपा को कांग्रेस से मात्र 13 सीटें अधिक मिली थी। इस बार 2017 में भाजपा का नुकसान होना तय है और इसका लाभ कांग्रेस को ही मिलेगा। यहां तक सीटों की संख्या है urid का अनुमान है कि दूसरे चरण में सीटें भाजपा से अधिक कांग्रेस की होंगी। अंतर 10 और 15-20 भी हो सकता है।
यहां क्लिक करके 2017 विधानसभा चुनाव का परिणाम देखेँ-
http://www.uridmediagroup.com/protected/uploadedImages/complete_urid_book.pdf
अहमदाबाद एक ऐसा जनपद है जहां सर्वाधिक 21 सीटें है। इनमें से 2012 में बीजेपी को 17 और कांग्रेस को 4 सीटें मिली थी। 2012 चुनाव परिणाम और 2017 का विधानसभा चुनाव के स्थानीय समीकरण जातीय और धार्मिक ध्रुवीकरण का विश्लेषण करें तो कमंडल पर मण्डल भारी दिख रहा है। मध्य क्षेत्र के अहमदाबाद, आनंद, छोटा उदयपुर, दोहद, खेड़ा, महिसागर, पंचमहल, वडोदरा और उत्तर गुजरात के अरावली, बनासकाठा, गांधीनगर, मेहसाणा, पाटन और साबरकांठा जनपदों में पिछले चुनाव की तुलना में धार्मिक ध्रुवीकरण से ज्यादा जातीय ध्रुवीकरण दिखाई दिया। यहीं बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है क्योकि 2012 में बीजेपी के पक्ष में कई समीकरण थे, जिसमें मोदी जैसा मुख्यमंत्री और पाटीदारों सहित पिछड़ें वर्ग का व्यापक समर्थन, वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी का आशीर्वाद प्रमुख रूप से शामिल थे। विपक्ष में कांग्रेस के पास मोदी के सामने कोई भी प्रभावशाली नेता नहीं था। इसका भी फायदा बीजेपी को मिला। लेकिन 2017 में पिछड़ों में विभाजन हो चुका है।
अमित शाह के रवैये से गुजरात का भाजपा कैडर भी नाराज है और आडवाणी के समर्थक भी अपमानित महसूस कर रहे है। गांधीनगर जहां से आडवाणी सांसद है वह कांग्रेस का प्रभाव क्षेत्र है। गांधीनगर की 5 विधानसभा सीटों में 3 सीटें कांग्रेस की ही है।
पुराने चुनावी परिणाम और वर्तमान राजनीतिक माहौल एवं स्थानीय समीकरण से स्पष्ट है कि 2012 विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण की 93 सीटों में से भाजपा को 52 और कांग्रेस को 39 तथा अन्य को 2 सीटें मिली थी। यह आकड़ें निश्चित रूप से बदलेंगे। 2012 में अनुकूल राजनीतिक समीकरण के बाद भी भाजपा को कांग्रेस से मात्र 13 सीटें अधिक मिली थी। इस बार 2017 में भाजपा का नुकसान होना तय है और इसका लाभ कांग्रेस को ही मिलेगा। यहां तक सीटों की संख्या है urid का अनुमान है कि दूसरे चरण में सीटें भाजपा से अधिक कांग्रेस की होंगी। अंतर 10 और 15-20 भी हो सकता है।
यहां क्लिक करके 2017 विधानसभा चुनाव का परिणाम देखेँ-
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13th December, 2017