'मैं जा रहा हूं...मेरा इंतजार मत करना...', ये कहकर अनवर जलालपुरी तो बीती 2 जनवरी को दुनिया से अलविदा कह गए लेकिन ऐसे रोशन सितारों की चमक भला कब अलविदा कहती है। अशआर की शक्ल में जो नगीने अनवर जलालपुरी जमाने को दे गए, उनका रुतबा उस वक्त और बढ़ गया जब गुरुवार को पद्म पुरस्कारों की घोषणा हुई।
भारत सरकार ने मरणोपरांत अनवर जलालपुरी को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की है। यह पुरस्कार उन्हें भगवद्गीता का उर्दू अनुवाद करने के लिए दिया गया है। जब यह खबर 'हिन्दुस्तान' के जरिए अनवर के बेटे शाहकार जलालपुरी को मिली तो एकबारगी उन्हें यकीन नहीं हुआ। उन्होंने दो बार इसकी ताकीद की कि यह खबर सही है या नहीं। तसल्ली होने के बाद शाहकार बोले कि उनके पिता ने पूरी जिंदगी हिन्दू-मुस्लिम एकता, भाषाई एकता और साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की बात की और इसी के लिए काम भी करते रहे। आज उनकी कोशिशों को सरकार सम्मान दे रही है तो वह इसके लिए भारत सरकार व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शुक्रगुजार हैं। बता दें कि अनवर जलालपुरी ने केवल संस्कृत में लिखी गई गीता को उर्दू के अशआर में ढाला, बल्कि अरबी में लिखी कुरान, बांग्ला में लिखी रवीन्द्रनाथ टैगोर की गीतांजलि और फारसी में रचे गए उमर खय्याम के साहित्य को भी सरल उर्दू में लिखकर आम लोगों तक पहुंचाने को कोशिश की है।
26th January, 2018